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SC से भजन लाल सरकार को बड़ी राहत, राजस्थान में खनन कार्य जारी रखने की अनुमति, NGT के बंदी आदेश पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 12 नवंबर, 2024 निर्धारित की है. यह मामला माननीय मुख्य न्यायाधीश, माननीय न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला, और माननीय न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष आया है.

SC से भजन लाल सरकार को बड़ी राहत, राजस्थान में खनन कार्य जारी रखने की अनुमति, NGT के बंदी आदेश पर रोक
नई दिल्ली:

भजन लाल के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार को सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने आज नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के उस आदेश की समय-सीमा बढ़ा दी, जिसमें राज्य में लगभग 23,000 खनन पट्टों को बंद करने का निर्देश दिया गया था. इस फैसले से खनन कार्य जारी रह सकेगा, जिससे राज्य में 15 लाख से अधिक नौकरियों पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव को रोका जा सकेगा. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 12 नवंबर, 2024 निर्धारित की है. यह मामला माननीय मुख्य न्यायाधीश, माननीय न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला, और माननीय न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष आया है. इस पर राजस्थान सरकार के कानूनी टीम ने त्वरित अपील दायर की थी.

सुप्रीम कोर्ट में भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और राजस्थान के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने सरकार का प्रतिनिधित्व किया.

अपील का समय और तात्कालिकता

राजस्थान सरकार को तब झटका लगा जब NGT ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF) की ओर से विस्तार के लिए की गई अनुरोध को अस्वीकार कर दिया. इसके बाद, 6 नवंबर को अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा को तात्कालिक निर्देश दिए गए कि वह NGT के समय सीमा के समाप्त होने से पहले, 7 नवंबर को अपील दायर करें. शर्मा ने उसी दिन अपील दाखिल की और तुरंत सुनवाई के लिए अनुरोध किया. 7 नवंबर को मामले का उल्लेख करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने इसे 8 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति दी, जिससे समय पर विचार संभव हुआ.

अपील की पृष्ठभूमि

अपील में NGT के आदेश के तहत पर्यावरण अनुपालन पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा गया था. इससे पहले, NGT ने निर्देश दिया था कि जिला पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण (DEIAA) द्वारा जारी पर्यावरणीय मंजूरी वाले सभी खनन पट्टों का राज्य पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण (SEIAA) द्वारा पुनर्मूल्यांकन किया जाए. SEIAA के पास संसाधनों की सीमाएं होने के कारण, वह समय पर आवश्यक मूल्यांकन पूरा करने में असमर्थ रहा है.

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