नई दिल्ली:
केंद्र सरकार द्वारा पशुओं को वध के लिए बेचने ओर खरीदने को लेकर जारी अधिसूचना के नियम फिलहाल लागू नहीं होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन पर देशभर में रोक लगाने के मद्रास हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाई.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जब तक केंद्र सरकार इस अधिसूचना में नियमों में बदलाव कर रिनोटिफाई नहीं करता, रोक बनी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार जब दोबारा अधिसूचना जारी करे तो लोगों को पर्याप्त वक्त दिया जाना चाहिए.
वहीं, केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि इन नियमों को लेकर राज्य सरकारों से कई सुझाव और आपत्ति जताई है जिन पर विचार किया जा रहा है. केंद्र सरकार फिलहाल नियमों को लागू नहीं कर रही है और इनमें बदलाव करने में करीब तीन महीने का वक्त लगेगा. इसके बाद केंद्र सरकार नियमों में बदलाव कर दोबारा नोटिफिकेशन जारी करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने सारी याचिकाओं का निपटारा किया और कहा कि जब नए नियम बनेंगे तो कोई भी कोर्ट में चुनौती दे सकता है. केंद्र सरकार द्वारा पशुओं को वध के लिए बेचने ओर खरीदने को लेकर जारी अधिसूचना के विरोध में दायर याचिका अपना पक्ष रखा गया. केंद्र सरकार ने कोर्ट में बताया कि राज्यों को पशुओं के लिए बाजारों की पहचान करने में तीन महीने का वक्त लगेगा. केंद्र अगस्त के आखिर तक नियमों में बदलाव करेगी. तब तक इस नोटिफिकेशन के नियम लागू नहीं होंगे.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने पशु बाजार में वध के लिए मवेशियों को खरीदने और बचने पर रोक लगाने वाली अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था.
हैदराबाद निवासी याचिकाकर्ता ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी और कहा था कि केंद्र का नोटिफिकेशन ‘भेदभाव पूर्ण और असंवैधानिक’ है क्योंकि यह मवेशी व्यापारियों के अधिकारों का हनन करता है. याचिकाकर्ता मोहम्मद फहीम कुरैशी ने पशु क्रूरता रोकथाम (जब्त पशुओं की देखभाल तथा इलाज) कानून, 2017 को भी चुनौती दी है.
पेशे से वकील फहीम कुरैशी ने दलील दी है कि पशु क्रूरता रोकथाम (मवेशी बाजार विनियमन) कानून, 2017 तथा पशु क्रूरता रोकथाम (जब्त पशुओं की देखभाल तथा इलाज) कानून, 2017 मनमाना, अवैध तथा असंवैधानिक है.
याचिकाकर्ता ने 23 मई को जारी दोनों अधिसूचनाओं के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी है. फहीम कुरैशी ने उस नियम पर सवाल उठाया है, जिसमें कम उम्र के मवेशियों को तब तक बाजार में नहीं बेचा जा सकता, जबतक कि खरीदार एक हलफनामा भरे, जिसमें वह बताए कि वह एक किसान है, मवेशी का केवल कृषि उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होगा और उसे छह महीनों तक नहीं बेचा जाएगा.
बता दें कि केंद्र सरकार के इस नोटिफिकेशन का केरल समेत देश के कई राज्यों में विरोध किया गया है. केरल में तो विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में हिस्सा लेने से पहले विधायकों ने नाश्ते में गोमांस का सेवन कर विरोध जताया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जब तक केंद्र सरकार इस अधिसूचना में नियमों में बदलाव कर रिनोटिफाई नहीं करता, रोक बनी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार जब दोबारा अधिसूचना जारी करे तो लोगों को पर्याप्त वक्त दिया जाना चाहिए.
वहीं, केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि इन नियमों को लेकर राज्य सरकारों से कई सुझाव और आपत्ति जताई है जिन पर विचार किया जा रहा है. केंद्र सरकार फिलहाल नियमों को लागू नहीं कर रही है और इनमें बदलाव करने में करीब तीन महीने का वक्त लगेगा. इसके बाद केंद्र सरकार नियमों में बदलाव कर दोबारा नोटिफिकेशन जारी करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने सारी याचिकाओं का निपटारा किया और कहा कि जब नए नियम बनेंगे तो कोई भी कोर्ट में चुनौती दे सकता है. केंद्र सरकार द्वारा पशुओं को वध के लिए बेचने ओर खरीदने को लेकर जारी अधिसूचना के विरोध में दायर याचिका अपना पक्ष रखा गया. केंद्र सरकार ने कोर्ट में बताया कि राज्यों को पशुओं के लिए बाजारों की पहचान करने में तीन महीने का वक्त लगेगा. केंद्र अगस्त के आखिर तक नियमों में बदलाव करेगी. तब तक इस नोटिफिकेशन के नियम लागू नहीं होंगे.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने पशु बाजार में वध के लिए मवेशियों को खरीदने और बचने पर रोक लगाने वाली अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था.
हैदराबाद निवासी याचिकाकर्ता ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी और कहा था कि केंद्र का नोटिफिकेशन ‘भेदभाव पूर्ण और असंवैधानिक’ है क्योंकि यह मवेशी व्यापारियों के अधिकारों का हनन करता है. याचिकाकर्ता मोहम्मद फहीम कुरैशी ने पशु क्रूरता रोकथाम (जब्त पशुओं की देखभाल तथा इलाज) कानून, 2017 को भी चुनौती दी है.
पेशे से वकील फहीम कुरैशी ने दलील दी है कि पशु क्रूरता रोकथाम (मवेशी बाजार विनियमन) कानून, 2017 तथा पशु क्रूरता रोकथाम (जब्त पशुओं की देखभाल तथा इलाज) कानून, 2017 मनमाना, अवैध तथा असंवैधानिक है.
याचिकाकर्ता ने 23 मई को जारी दोनों अधिसूचनाओं के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी है. फहीम कुरैशी ने उस नियम पर सवाल उठाया है, जिसमें कम उम्र के मवेशियों को तब तक बाजार में नहीं बेचा जा सकता, जबतक कि खरीदार एक हलफनामा भरे, जिसमें वह बताए कि वह एक किसान है, मवेशी का केवल कृषि उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होगा और उसे छह महीनों तक नहीं बेचा जाएगा.
बता दें कि केंद्र सरकार के इस नोटिफिकेशन का केरल समेत देश के कई राज्यों में विरोध किया गया है. केरल में तो विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में हिस्सा लेने से पहले विधायकों ने नाश्ते में गोमांस का सेवन कर विरोध जताया था.
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