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क्यों भड़का हुआ है सत्य को मानने और हिंसा से दूर रहने वाला छत्तीसगढ़ का सतनामी समाज, जानें किसकी करते हैं पूजा

सतनामी समाज छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बड़ा और ताकतवर फैक्टर है. सतनामी समाज छत्तीसगढ़ की 90 में से 15-17 विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका में रहता है. राज्य की सभी 10 आरक्षित सीटों पर सतनामी समाज का प्रभाव है.

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क्यों भड़का हुआ है सत्य को मानने और हिंसा से दूर रहने वाला छत्तीसगढ़ का सतनामी समाज, जानें किसकी करते हैं पूजा
नई दिल्ली:

छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार में सोमवार को हुई हिंसा के बाद सतनामी समाज चर्चा में है.कहा जा रहा है कि सतनामी समाज के धार्मिक प्रतीक जैताखाम में हुई तोड़फोड़ के बाद यह हिंसा हुई है.सतनामी समाज को आमतौर पर शांतिप्रिय समाज माना जाता है. यह समाज छत्तीसगढ़ की राजनीति में अच्छी दखल रखता है. आइए जानते हैं कि सतनामी समाज क्या और इसकी मान्यताएं क्या हैं.

छत्तीसगढ़ की भक्ति परंपरा

वरिष्ठ पत्रकार आलोक पुतुल के मुताबिक छत्तीसगढ़ में भक्ति की मुख्यतौर पर तीन परंपराएं हैं. ये हैं कबीरपंथ, रामनामी और सतनामी. कबीरदास के एक शिष्य ने इस इलाके में कबीरपंथ का प्रचार-प्रसार किया. उन्होंने दामाखेड़ा में कबीरपंथ के एक आश्रम की स्थापना की थी.प्रदेश में कबीरदास को मानने वाल लोग बड़ी संख्या में रहते हैं. वहीं एक दूसरी धारा है रामनामी की.राम में आस्था रखने वाला यह समाज उनके निर्गुण रूप की अराधना करता है.रामनामी लोग अपने शरीर के हर हिस्से पर राम नाम का गोदना गुदवाते हैं. 

सतनामी समाज की स्थापना

भक्ति की तीसरी धारा सतनाम की है. सतनामी परंपरा को 18वीं शताब्दी के संत गुरु घासीदास ने शुरू किया था.वो भाटापार जिले के बलौदाबाजार के गिरौदपुरी नाम के गांव के रहने वाले थे.यह जगह सतमानी समाज के लोगों का तीर्थस्थान है. गुरु घासीदास ने अपने अनुयायियों को सतनाम या सत्य के साथ चलने और हिंसा से दूर रहने की सीख दी थी.सतनाम समाज के लोग जैतखंभ की अराधना करते हैं.लकड़ी या कंक्रीट से बना यह खंभा ही सतनामी समाज का प्रतीक चिन्ह है. जैत मतलब सत्य और खाम मतलब खंभा. सतनामी समाज इसी जैतखाम की पूजा करता है.इस परंपरा को मानने वालों में सबसे अधिक लोग दलित समाज के हैं.सतनामी समाज के गुरुओं में संन्यास की परंपरा नहीं है.सतनामी समाज के गुरु अपना घर परिवार बसा के रहते हैं.

छत्तीासगढ़ की राजनीति में सतनामी

सतनामी समाज छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बड़ा और ताकतवर फैक्टर है. सतनामी समाज छत्तीसगढ़ की 90 में से 15-17 विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका में रहता है. राज्य की सभी 10 आरक्षित सीटों पर सतनामी समाज का प्रभाव है. इस वजह से छत्तीसगढ़ के दोनों राजनीतिक दल कांग्रेस और बीजेपी चुनाव में इस समाज के किसी गुरु को टिकट जरूर देती है. भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार में सतनामी समाज के रुद्र गुरु मंत्री थे. वहीं उनके पिता विजय गुरु अविभाजित मध्य प्रदेश में मंत्री-विधायक रहे.वहीं बीते साल हुए विधानसभा चुनाव में आरंग विधानसभा सीट से गुरु खुशवंत साहेब बीजेपी के टिकट पर विधायक चुने गए हैं. सतनामी समाज के लोग छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र के भी कुछ इलाकों में निवास करते हैं.

कैसे हुई बलौदाबाजार में हिंसा

बलौदाबाजार में सतनामी समाज के लोग गिरौदपुरी से पांच किमी दूर स्थित बाघिन गुफा में बने जैतखाम में हुई तोड़फोड़ के विरोध में धरना-प्रदर्शन कर रहे थे. पुलिस ने 14 मई को हुई तोड़फोड के आरोप में तीन लोगों का गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार लोगों का कहना था कि ठेकेदार ने उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं किया था, इसी वजह से उन्होंने तोड़फोड़ की. पुलिस की इस थ्यौरी से सतनामी समाज के लोग सहमत नहीं थे. इसके खिलाफ पिछले कुछ दिनों से प्रतर्शन कर रहे थे.हालांकि सरकार ने इस तोड़फोड़ की न्यायिक जांच की सिफारिश कर दी है. इसके बाद भी बलौदाबाजार में हिंसा हुई.

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