NDTV : मध्यप्रदेश में जो सियासी खेल हुआ है उसके बारे में आपकी क्या राय है?
सलमान खुर्शीद : इस बारे में फिलहाल बस इतना कहना चाहता हूं कि मुझे अफसोस है कि जो भी वजहें हैं, अगर किसी को ऐसा लगता है कि उनको अहमियत कम मिली है, ख्वाहिश के मुताबिक उनको कम तवज्जो दी गई है तो तो वे आकर हमारे यहां उत्तर प्रदेश में देखें. यहां 30 साल हो गए हमको कुछ नहीं मिला. हम इसलिए चुनाव नहीं हार जाते हैं कि हमारी कुव्वत नहीं है, उत्तर प्रदेश के हालात बिगड़ चुके हैं और हमको अहसास है कि इस बिगड़े हुए हालात में हमको अपनी पार्टी से कुछ नहीं मिल सकता है. हम अपनी पार्टी के लिए 30 साल से काम कर रहे हैं. जो लोग, जिनको नेतृत्व मिला है, उनको बार-बार संसद में जाने और बड़े ओहदों पर क़ाबिज़ रहने का मौक़ा मिला है. इतने उतावले हुए जा रहे हैं... इतनी जल्दी, बड़े अफ़सोस की बात है कि वहां क्यों हुआ क्या हुआ... मैं इस पर तब्सिरा तभी कर पाऊंगा जब मुझे और भी मालूमात हो पाएगी.
NDTV: राहुल गांधी जी ने एक ट्वीट किया था जिसमें कमलनाथ, सिंधिया और राहुल गांधी खुद थे. उसमें कहा था कि वक्त का इंतजार कीजिए. ऐसा कहा जाता है कि काफी लंबे अरसे तक सिंधिया ने इंतजार किया लेकिन जब उनको लगा कि उन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है तब शायद उन्होंने यह कदम उठाया.
सलमान खुर्शीद : इंतजार, मुल्क की जिंदगी में साल-दो साल कोई लंबा इंतजार नहीं होता. जो लोग आजादी की लड़ाई में शामिल थे उन्होंने तो अपनी जिंदगी भी कुर्बान कर दी थी. कितने सालों तक लड़ाई लड़ते रहे. किसको मालूम था कि आजादी मिल पाएगी. अगर हफ्ते- दो हफ्ते यहां से यह जो तैयारी चल रही है, इस धरने (शाहीन बाग) को तीन महीने हो गए. यहां पर कोई आता है, यह सोचकर आता है. तीन या चार दिन में हमको कोई अंजाम यहां मिल जाएगा तो यह मूवमेंट चल नहीं सकता था. वह जानकर यहां आते हैं कि एक लंबी लड़ाई है, और इस लड़ाई को हम बर्दाश्त करेंगे. मैं यहां इन लोगों को मुबारकबाद देने आता हूं. इनकी हिम्मत अफजाई करता हूं. समझता हूं कि इन लोगों ने जो रास्ता दिखाया है, ये बहुत बड़ी बात है. ये लोग सियासी लोग नहीं हैं. जो सियासत में हैं वे इतने दिन में तो टूट जाएं. जबकि इन मामलों से बाहर निकलकर लोग अपना वक्त दे रहे हैं, पैसा दे रहे हैं. अपना घरबार छोड़कर यहां आ रहे हैं. इन लोगों से कुछ सीखना चाहिए.
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NDTV: सिंधिया की लड़ाई आखिर किस से थी और किसकी थी. कुछ अंदाज़ा है आपको?
सलमान खुर्शीद : मैं यह नहीं जानता हूं कि किसकी लड़ाई थी. वह मेरे दोस्त हैं और उनके वालिद भी मेरे अजीज थे. मैं नहीं कह सकता हूं कि ये लड़ाई किसकी थी. सियासत में अक्सर ऐसी कुश्तियां होती हैं. हर एक कोशिश करता है, उनके वर्कर कोशिश करते हैं कि उनको ज्यादा अहमियत मिले. जितना मिला है, उससे ज़्यादा मिले. ऐसा कुछ हो सकता है, मैं ज्यादा कुछ कह नहीं सकता.
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NDTV: कमलनाथ ने कहा हमारे पास अभी भी बहुमत है, आप क्या कहेंगे?
सलमान खुर्शीद : मैं उम्मीद करता हूं कि बहुमत है. अब देखिए ऊंट किस करवट बैठता है, देखना होगा.
NDTV: 21 विधायक उनके साथ में हैं.
सलमान खुर्शीद : मैं वहां नहीं हूं, ये मैं कैसे गिनकर बता दूं. अगर वे कह रहे हैं तो हमको मानना पड़ेगा कि उनके पास हैं, उनके पास नंबर है.
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NDTV: आपको क्या लगता है राजस्थान तक इसकी आंच पहुंचेगी?
सलमान खुर्शीद : मुझे उम्मीद है कि ऐसा कुछ नहीं होगा.
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