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महाराष्ट्र ATS ने मालेगांव धमाके में मोदी-योगी को फंसाने की साजिश रची? साध्वी प्रज्ञा ने क्या बताया

मालेगांव बम धमाके में गिरफ्तारी के बाद 17 नवंबर 2008 को नासिक के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में प्रज्ञा सिंह ने एक हलफनामा दायर किया था, लेकिन इसमें मोदी और योगी का जिक्र नहीं था.

महाराष्ट्र ATS ने मालेगांव धमाके में मोदी-योगी को फंसाने की साजिश रची? साध्वी प्रज्ञा ने क्या बताया
  • मुंबई की विशेष अदालत ने मालेगांव बम धमाके के सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था.
  • साध्वी प्रज्ञा ने अदालत के बाहर पहली बार एटीएस पर मोदी और योगी को फंसाने का आरोप लगाया था.
  • 2008 के हलफनामे में प्रज्ञा ने एटीएस की हिरासत में हुई प्रताड़ना का जिक्र किया था, लेकिन मोदी योगी का नहीं.
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मुंबई:

क्या वाकई महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ता (एटीएस) साध्वी प्रज्ञा सिंह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मालेगांव बम धमाके के मामले में फंसाने के लिए दबाव डाल रहा था? प्रज्ञा ने साल 2008 में उसने जो हलफनामा अदालत को सौंपा था, उसमें इस बात का कहीं जिक्र नहीं था. इस हलफनामें में प्रज्ञा ने विस्तार से एटीएस की हिरासत में उसके साथ हुई कथित प्रताड़ना का जिक्र किया था. बीती 31 जुलाई को साध्वी प्रज्ञा सिंह समेत 2008 के मालेगांव बम धमाके के सभी सात आरोपियों को मुंबई की विशेष अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था. साध्वी पर बमकांड की साजिश का मास्टरमाइंड होने का आरोप था. एटीएस के मुताबिक-जिस मोटरसाइकिल पर वो बम रखा गया था, जिसके फटने से 6 लोगों की मौत हुई थी और 101 लोग घायल हुए थे, वो प्रज्ञा सिंह की थी. अदालती आदेश आने के तीसरे दिन साध्वी प्रज्ञा ने मुंबई में अदालत के बाहर पत्रकारों से बातचीत की और ये कहकर सनसनी फैला दी कि एटीएस के अधिकारी उन्हें योगी और मोदी को फंसाने के लिए प्रताड़ित कर रहे थे. इस तरह का आरोप प्रज्ञा ने बीते 17 सालों में पहली बार लगाया था. इसके पहले न तो प्रज्ञा ने, न उसके परिजनों ने और न ही उसके वकीलों ने इस बात का कभी जिक्र किया था.

पूछताछ के बहाने सूरत से मुंबई बुलाया गया था

मालेगांव बम धमाके में गिरफ्तारी के बाद 17 नवंबर 2008 को नासिक के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में प्रज्ञा सिंह ने एक हलफनामा दायर किया था. इस हलफनामे में उन्होंने बड़े ही विस्तार से बताया कि कैसे अक्टूबर 2008 में जब वे सूरत में थीं तो महाराष्ट्र एटीएस ने उनसे संपर्क किया और पूछताछ के बहाने उन्हें उनके एक शिष्य भीमभाई पसरीचा के साथ मुंबई ले आई. प्रज्ञा के मुताबिक- एटीएस अधिकारी ने उनसे कहा था कि मुंबई में पूछताछ करने के बाद उन्हें छोड़ दिया जाएगा, लेकिन मुंबई में एटीएस के कालाचौकी दफ्तर में उन्हें प्रताड़ित किया जाने लगा और मालेगांव धमाके में उनकी कथित भूमिका के बारे में सवाल पूछे जाने लगे. आरोप के मुताबिक- ये प्रताड़ना उनकी औपचारिक तौर पर गिरफ्तारी से पहले शुरू हो गई थी.

प्रज्ञा की पसरीचा से भी पिटाई करवाई गई

प्रज्ञा ने हलफनामे में शिकायत की कि उनके शिष्य पसरीचा को एटीएस अधिकारियों ने डंडे और पट्टे से उनकी पिटाई करने को कहा. जब पसरीचा ने ऐसा करने से इंकार किया तो एटीएस अधिकारी उसे ही पिटने लगे. पिटाई से बचने के लिए फिर पसरीचा ने भी प्रज्ञा की पिटाई की चूंकि पसरीचा प्रज्ञा को पीटते वक्त जोर नहीं लगा रहा था इसलिए एटीएस अफसर खुद प्रज्ञा को पीटने लगे. अधिकारी उन्हें और उनके गुरू को गालियां भी दे रहे थे और उनके चरित्र पर भी सवाल उठा रहे थे. पिटाई से उनकी हालत इतनी खराब हो गई कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ गया. प्रज्ञा के मुताबिक- वह मानसिक तौर पर इतनी टूट गई थीं कि आत्महत्या करने के बारे में सौचने लगीं.

हलफनामे में मोदी-योगी का जिक्र नहीं

अपने आठ पन्नों के हलफनामें में उन्होंने विस्तार से एटीएस की ओर से की गई पूछताछ और अपने वकीलों से बातचीत का ब्यौरा दिया. हलफनामें में उन्होंने मांग की कि इस आरोप की जांच की जाए कि गिरफ्तारी से पहले गैरकानूनी तौर पर उन्हें हिरासत में क्यों रखा गया. उन्हें पूछताछ के दौरान प्रताड़ित करने वाले एटीएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी प्रज्ञा ने मांग की, लेकिन पूरे हलफनामे में कहीं भी मोदी या योगी कि जिक्र नहीं है. इसके अलावा करीब 17 साल तक चले मुकदमे के दौरान भी प्रज्ञा ने इस बाबत कोई जिक्र नहीं किया. 2019 में उन्होंने भोपाल से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान भी उन्होंने मोदी और योगी का फंसाने वाली बात का जिक्र नहीं किया.

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