नई दिल्ली:
तरक्की में भी आरक्षण को लेकर चल रहे विवाद के बीच प्रधानमंत्री ने मंगलवार को सर्वदलीय बैठक रखी है। सरकार को 22 तारीख को राज्यसभा में संविधान संशोधन बिल लाना है।
हाल ही में प्रोमोशन में भी रिजर्वेशन के मसले पर राज्यसभा में काफी हंगामा चला।
तभी दबाव में आई सरकार ने वादा किया कि वह 22 अगस्त को इससे जुड़ा संविधान संशोधन बिल लाएगी। लेकिन, इसके लिए होने वाली सर्वदलीय बैठक से ठीक पहले समाजवादी पार्टी ने इस पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
समाजवादी पार्टी के महासचिव मोहन सिंह ने कहा कि सरकार को संभलकर आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि मंडल कमीशन की तरह बैकलेश हो सकता है।
मोहन सिंह यही सवाल सर्वदलीय बैठक में भी उठाने वाले हैं। लेकिन, मोहन सिंह अकेले नहीं हैं। दूसरे सिरे पर यह सवाल सिविल सोसाइटी की तरफ से उठने लगे हैं। उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की संस्था सर्वजन हिताय संरक्षण समिति इसको लेकर अलग−अलग दलों के नेताओं शरद यादव रामगोपाल यादव, सुषमा स्वराज जैसे नेताओं से मिल चुकी है।
यूपी की सर्वजन हिताय संरक्षण समिति के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे का कहना है कि हम इसके खिलाफ हैं। मेरिट से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। इससे सरकारी संस्थानों के कामकाज पर बुरा असर पड़ेगा।
आरक्षण को संवैधानिक दर्जा देने का सवाल पेचीदा है और संवेदनशील भी। ऐसे में संविधान संशोधन बिल पर राजनीतिक सहमति बनाने की जद्दोजहद में जुटे प्रधानमंत्री को इस प्रस्ताव पर संभलकर आगे बढ़ना होगा।
हाल ही में प्रोमोशन में भी रिजर्वेशन के मसले पर राज्यसभा में काफी हंगामा चला।
तभी दबाव में आई सरकार ने वादा किया कि वह 22 अगस्त को इससे जुड़ा संविधान संशोधन बिल लाएगी। लेकिन, इसके लिए होने वाली सर्वदलीय बैठक से ठीक पहले समाजवादी पार्टी ने इस पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
समाजवादी पार्टी के महासचिव मोहन सिंह ने कहा कि सरकार को संभलकर आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि मंडल कमीशन की तरह बैकलेश हो सकता है।
मोहन सिंह यही सवाल सर्वदलीय बैठक में भी उठाने वाले हैं। लेकिन, मोहन सिंह अकेले नहीं हैं। दूसरे सिरे पर यह सवाल सिविल सोसाइटी की तरफ से उठने लगे हैं। उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की संस्था सर्वजन हिताय संरक्षण समिति इसको लेकर अलग−अलग दलों के नेताओं शरद यादव रामगोपाल यादव, सुषमा स्वराज जैसे नेताओं से मिल चुकी है।
यूपी की सर्वजन हिताय संरक्षण समिति के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे का कहना है कि हम इसके खिलाफ हैं। मेरिट से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। इससे सरकारी संस्थानों के कामकाज पर बुरा असर पड़ेगा।
आरक्षण को संवैधानिक दर्जा देने का सवाल पेचीदा है और संवेदनशील भी। ऐसे में संविधान संशोधन बिल पर राजनीतिक सहमति बनाने की जद्दोजहद में जुटे प्रधानमंत्री को इस प्रस्ताव पर संभलकर आगे बढ़ना होगा।
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