NCP में बग़ावत : परदे के पीछे की कहानी, शरद पवार को 6 महीने पहले मिल गई थी प्लान की जानकारी

एनसीपी के एक सार्वजनिक कार्यक्रम में अजित पवार ने मंच पर घोषणा की कि वह विपक्ष के नेता के रूप में नहीं बने रहना चाहते हैं. वह पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी चाहते हैं.

मुंबई:

अजित पवार सहित कुछ एनसीपी विधायकों  के भाजपा के साथ हाथ मिलाने के फैसले ने बहुत से लोगों को जरूर चौंकाया हो, लेकिन पर्दे के पीछे इसे लेकर कई महीने से रणनीति बन रही थी. अजित पवार खेमे की पार्टी तोड़ने की ये तीसरी कोशिश है. इस साल अप्रैल महीने में ही कुछ एनसीपी नेताओं ने भाजपा के साथ जाने का सुझाव रखा था, लेकिन शरद पवार ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया था. इसके बाद एनसीपी के भाजपा के साथ जाने के इच्‍छुक विधायकों ने कवायद जारी रखी. आखिरकार 2 जुलाई को एनसीपी में टूट हो गई और दावा किया जा रहा है कि 29 विधायकों का समर्थन अजित पवार के साथ है.  

अप्रैल का आखिरी सप्‍ताह: कुछ नेताओं का BJP के साथ जाने का सुझाव
एनसीपी के कुछ नेताओं (प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल, हसन मुश्रीफ, दिलीप वलसे पाटिल, सुनील तटकरे, धनंजय मुंडे) ने शरद पवार से मुलाकात की और कहा कि उन्हें लगता है कि पार्टी को भाजपा से हाथ मिलाना चाहिए, उन्होंने शरद पवार से इस पर विचार करने के लिए कहा, लेकिन उन्‍होंने कुछ जवाब नहीं दिया. 

2 मई: शरद पवार ने कहा- पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ रहा हूं
शरद पवार को एनसीपी में बगावत की चिंगारी नजर आ गई थी, इसलिए उन्‍होंने अपनी आत्मकथा के विमोचन के दौरान घोषणा की कि वह एनसीपी अध्यक्ष पद से हटना चाहते हैं. अजित पवार को छोड़कर बाकी सभी लोग उनके फैसले का विरोध करते नजर आए. हालांकि, हजारों कार्यकर्ता ने शरद पवार के इस्‍तीफे का विरोध किया, और उनसे पार्टी अध्‍यक्ष बने रहने का आग्रह किया. 

 2 से 4 मई: पूरे महाराष्ट्र में कार्यकर्ताओं का विरोध
शरद पवार के इस्‍तीफा देने की खबर से एनसीपी कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए और विरोध प्रदर्शन करने लगे. कुछ कार्यकर्ताओं ने जान देने की भी धमकी दी. दो दिनों तक महाराष्‍ट्र में एनसीपी कार्यकर्ताओं का विरोध प्रदर्शन देखने को मिला. 

5 मई: पार्टी में तय हुआ, शरद पवार ही रहेंगे अध्यक्ष
एनसीपी कार्यकर्ताओं के आग्रह के बाद शरद पवार ने निर्णय लिया कि वह अध्‍यक्ष पद पर बने रहेंगे. 

10 जून: सुप्रिया सुले, प्रफुल्ल पटेल बने कार्यकारी अध्यक्ष
शरद पवार ने एनसीपी अध्‍यक्ष पद पर बने रहने का ऐलान जरूर कर दिया था, लेकिन अंदर ही अंदर वह भी रणनीति बना रहे थे. वह समझ गए थे कि अब पार्टी का उत्‍तराधिकारी तय करने का समय आ गया है. ऐसे में शरद पवार ने बेटी सुप्रिया सुला और प्रफुल्‍ल पटेल को कार्यकारी अध्‍यक्ष बना दिया. 

21 जून: अजित पवार ने कहा- पार्टी में बड़ी ज़िम्मेदारी चाहते हैं
एनसीपी के एक सार्वजनिक कार्यक्रम में अजित पवार ने मंच पर घोषणा की कि वह विपक्ष के नेता के रूप में नहीं बने रहना चाहते हैं. वह पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी चाहते हैं. भाषण में उन्होंने सवाल किया कि सबसे बड़े नेता शरद पवार के होते हुए भी एनसीपी राज्य में अपने दम पर सरकार क्यों नहीं बना पाई है? अजित पवार के ऐलान पर शरद पवार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी.

 27 जून: भोपाल में पीएम का शरद पवार, सुप्रिया सुले पर निशाना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्‍य प्रदेश के भोपाल में एक रैली के दौरान शरद पवार और सुप्रिया सुला पर निशाना साधा. लेकिन उन्‍होंने अजित पवार का नाम नहीं लिया. इसके भी राजनीति जानकारों ने कई मायने निकाले थे. 

28 जून: शिंदे की दिल्ली में बैठक, अजित पवार रहे मौजूद
दिल्‍ली में हुई बैठक में एकनाथ शिंदे के साथ अजित पवार भी नजर आए. इनका एक फोटो भी सोशल मीडिया वायरल हुआ. इसके बाद ये बात तय हो गई थी कि अब अजित पवार, चाचा शरद पवार का साथ छोड़ने जा रहे हैं. हालांकि, अजित पवार ने इस बैठक पर खुलकर कुछ भी नहीं कहा था.  

29 जून: फडणवीस ने कहा- महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार जल्द
महाराष्‍ट्र मंत्रिमंडल में सबकुछ ठीक चल रहा था. इस बीच उपमुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस बयान ने चौंका दिया कि महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार जल्द होने वाला है. अब पता चल पाया है कि फडणवीस किसको मंत्रिमंडल में शामिल करने की तैयारी कर रहे थे.  

 2 जुलाई: अजित पवार समेत 9 NCP विधायकों ने शपथ ली
आखिरकार 2 जुलाई को अजित पवार समेत 9 एनसीपी विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली. अजित पवार ने दावा किया कि पूरी एनसीपी उनके साथ है.  

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अजित पवार खेमे की पार्टी तोड़ने की ये तीसरी कोशिश है और इस बार दावा मजबूत है. हैरानी की बात यह है कि अजित पवार के साथ-साथ प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल ने शरद पवार को अंधेरे में रखा. शायद यही वजह है कि शरद पवार आज सतारा रवाना हो गए हैं और उन्‍होंने पार्टी के नेताओं के साथ कोई बात नहीं की.