महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक संकट के बीच असम में शिवसेना के बागी गुट ने अपना नेता एकनाथ शिंदे को घोषित कर दिया है. डिप्टी स्पीकर को भेजे पत्र पर 37 विधायकों के हस्ताक्षर हैं. पत्र की प्रति राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और विधान परिषद के सचिव को भी भेजी गई है.हालांकि शिंदे ने अब तक उद्धव ठाकरे मंत्रिपरिषद से इस्तीफा नहीं दिया है.वहीं गुरुवार को सीएम उद्धव ठाकरे द्वारा ऑनलाइन बुलाए गए बैठक में पार्टी के मात्र 13 विधायकों ने ही हिस्सा लिया. गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के पास 55 विधायक हैं. अलग पार्टी या गुट के तौर पर मान्यता के लिए विद्रोही गुट को कम से कम 37 विधायकों की जरूरत होती है.
सोमवार को विधानपरिषद चुनाव के बाद एकनाथ शिंदे अपने साथ 18 विधायकों को लेकर बस से सूरत आ गए थे. जिसके बाद दोपहर होते-होते उनके समर्थक विधायकों की संख्या 23 हो गयी. जिसके बाद लगातार उनके समर्थक विधायकों की संख्या बढ़ती रही है. बाद में शिंदे और उनके समर्थक विधायकों ने अपनी जगह को भी बदल लिया और सभी असम पहुंच गए.
नाराज गुट की तरफ बुधवार को एक पत्र राज्यपाल को भेजा गया जिसमें शिवसेना के 30 विधायकों के हस्ताक्षर थे. साथ ही पत्र में दावा किया गया था कि शिंदे ही उनके नेता हैं. जिसके बाद बुधवार को 4 और विधायक निजी विमान से गुवाहाटी पहुंच गए. आज शाम 2 और जेट विमान मुंबई से गुवाहाटी के लिए निकला. शिंदे के खेमें में शामिल होने वालों में उद्धव ठाकरे के विश्वासपात्र रवींद्र फाटक भी शामिल हैं.
इधर शिवसेना नेता संजय राउत ने गुरुवार कहा कि 56 साल से संघर्ष करते आए हैं, क्या होगा? सत्ता जाएगी, पावर जाएगी, मंत्रिपद जाएंगे हमारे लोगों के. और क्या हो सकता है राजनीति में? आप ED CBI को हमारे पीछे लगाएंगे, वो हमें जेल में डालेंगे. उसके आगे क्या हो सकता है? आप हमको गोली मारेंगे और क्या हो सकता है? हम यह सब में से गुजर चुके हैं और हमें किसी चीज का डर नहीं है.
साथ ही उन्होंने कहा कि कोई विधायक दल का एक गुट टूट गया, फूट गया, इसका मतलब पार्टी खत्म हुई, ऐसा नहीं है. हम बार-बार एक Phoenix पक्षी की तरह ज़मीन से उठकर आसमान में उठ गए हैं. हमारे लिए यह संकट नया नहीं है.बीजेपी के साथ गठबंधन के सवाल पर राउत ने कहा कि आप जाइए बीजेपी में, आप MERGE हो जाइए. हमारी पार्टी शिवसेना ही है. बालासाहेब ठाकरे के जमाने में भी बहुत लोग छोड़कर गए. पार्टी हमने बार-बार खड़ी की है, एक बार नहीं और सत्ता तक पहुंचाई है. यह मेरा और उद्धव जी का खुला चैलेंज है, फिर एक बार पार्टी खड़ी रहेगी. फिर एक बार सत्ता में आएंगे.
इधर शिंदे और उनके साथियों की स्पष्ट मांग है कि शिवसेना कांग्रेस और पवार के सहयोगियों के साथ अपनी साझेदारी को समाप्त करे और भाजपा के साथ अपने संबंधों को फिर से शुरू करे. गौरतलब है कि 2019 तक शिवसेना भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी थी. मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों ही दलों में विवाद हो गया था जिसके बाद गठबंधन से शिवसेना अलग हो गयी थी.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि शक्ति परीक्षण से ही यह तय होगा कि किसके पास बहुमत है. पवार ने कहा कि फिलहाल के जो परिस्थिति है शिवसेना उसको लोगों को स्पष्ट कर देगी. विधानसभा में जब फ्लोर टेस्ट होगा तब पता चल जाएगा. जो परिस्थिति निर्मित हुई हैं उन पर हम जीत हासिल करेंगे. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में यह सरकार चलती रहेगी यह पूरे देश को मालूम पड़ जाएगा.
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महाराष्ट्र संकट : पार्टी पर उद्धव ठाकरे की पकड़ क्यों कमजोर पड़ती जा रही है?
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