विज्ञापन
This Article is From Jun 23, 2022

'यह विचारधारा की लड़ाई है', राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने कहा

बीजद अध्यक्ष व ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने राज्य विधानसभा के सभी सदस्यों से अनुरोध किया कि वे 18 जुलाई को होने वाले चुनाव में 64 वर्षीय मुर्मू का साथ दें.

'यह विचारधारा की लड़ाई है', राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने कहा
यशवंत सिन्हा ने कहा है कि देश को ‘रबड़-स्टांप राष्ट्रपति’ की जरूरत नहीं है
नई दिल्ली:

ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) का समर्थन मिलने के बाद राजग की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के निर्वाचन का रास्ता और भी आसान हो गया है, वहीं इस पूरे घटनाक्रम से प्रभावित हुए बगैर विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का कहना है कि यह विचारधारा की लड़ाई है और देश को ‘रबड़-स्टांप राष्ट्रपति' की जरूरत नहीं है. नवीन पटनायक की पार्टी का समर्थन मिलने के साथ ही ओडिशा के संथाल समुदाय से ताल्लुक रखने वाली मुर्मू के पास करीब 52 फीसदी वोट (करीब 5,67,000 वोट) हो गए हैं. राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 10,86,431 वोट हैं. मुर्मू को मिलने वाले इन संभावित वोटों में से 3,08,000 वोट भाजपा और उसके सहयोगी सांसदों के हैं. वहीं बीजद के पास करीब 32,000 वोट हैं जो कुल मत मूल्य का करीब 2.9 फीसदी है.

बीजद अध्यक्ष व ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने राज्य विधानसभा के सभी सदस्यों से अनुरोध किया कि वे 18 जुलाई को होने वाले चुनाव में 64 वर्षीय मुर्मू का साथ दें. फिलहाल इटली की यात्रा पर गए पटनायक ने मुर्मू को ओडिशा की बेटी बताते हुए उनका समर्थन करने की अपील की. वहीं, बुधवार सुबह भुवनेश्वर रवाना होने से पहले मुर्मू ने ओडिशा के मयूरभंज जिले के आदिवासी बहुल रायरंगपुर में शिवमंदिर में तड़के झाडू लगाया. झारखंड के राज्यपाल पद से अगस्त, 2021 में सेवानिवृत्त होने के बाद तड़के मंदिर में झाड़ू लगाना मुर्मू की दिनचर्या का हिस्सा बन गया था.

अन्य दिनों की तरह ही मुर्मू ने स्नान के बाद मंदिर में पूजा की और नंदी के कानों में अपनी मनोकामना कही. गौरतलब है कि भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा द्वारा मंगलवार की रात राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में मुर्मू के नाम की घोषणा किए जाने के बाद केन्द्र सरकार ने उन्हें जेड-प्लस सुरक्षा मुहैया करायी है. आज तड़के भी मंदिर में पूजा के दौरान सीआरपीएफ के जवानों ने मंदिर को चारों ओर से घेर रखा था.

हालांकि, कांग्रेस विधायक दल के नेता नरसिंह मिश्रा ने कहा कि भाजपा ने निर्वाचक मंडल में बीजद के वोटों को ध्यान में रखते हुए मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाया है. उन्होंने कहा, ‘‘संभवत: उनके उपयुक्त उम्मीदवार होने के बावजूद हम चुनाव में उनका समर्थन ना करें.'' निर्वाचित होने पर मुर्मू देश की पहली आदिवासी और सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति होंगी और आशा है कि उन्हें अन्नाद्रमुक और वाईएसआर कांग्रेस जैसी क्षेत्रीय पार्टियों का भी समर्थन मिलेगा.

आशा की जा रही है कि मुर्मू 24 जून को अपना नामांकन पत्र भरेंगी और इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित राजग के विभिन्न वरिष्ठ नेता उनके साथ मौजूद होंगे.वहीं, विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा 27 जून को पर्चा भरेंगे. उन्होंने बुधवार को दिल्ली में राकांपा के कार्यालय में अपनी पहली चुनाव प्रचार रणनीति से जुड़ी बैठक की. पत्रकारों से बातचीत में 84 वर्षीय सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है बल्कि यह देश से जुड़ा मुद्दा है.

भाजपा से 2018 में अलग हुए सिन्हा हमेशा नरेंद्र मोदी नीत सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं और उनका कहना है, ‘‘मैं उन सभी राजनीतिक दलों का आभारी हूं जिन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में मुझे अवसर दिया. यह चुनाव मेरी व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है. देश के सामने खड़े मुद्दों के आधार पर निर्वाचक मंडलों को फैसला करना है.'' उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रचार के लिए देश के विभिन्न स्थानों पर जाएंगे... हम उसी को लेकर रणनीति बना रहे हैं. मैं द्रौपदी मुर्मू को बधाई देता हूं, लेकिन यह चुनाव ‘मैं बनाम वह' नहीं है, यह वैचारिक मुकाबला है. देश में रबर-स्टाम्प राष्ट्रपति नहीं होना चाहिए.''

सिन्हा की चुनावी रणनीति से जुड़ी बुधवार को हुई बैठक में जयराम रमेश (कांग्रेस), के. के. शास्त्री (राकांपा) और सुधींद्र कुलकर्णी जैसे नेता शामिल हुए. बाद में एक बयान जारी करके सिन्हा ने कहा कि अगर वह राष्ट्रपति निर्वाचित होते हैं तो भय या पक्षपात के बिना संविधान के बुनियादी मूल्यों और विचारों को अक्षुण रखेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि संविधान के संघीय ढांचे पर हो रहे हमलों के बीच केंद्र सरकार राज्य सरकारों के वैधानिक अधिकारों और शक्तियों को छीनने की कोशिश कर रही है जो पूरी तरह अस्वीकार्य होगा.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुने जाने पर वह किसानों, कामगारों, बेरोजगार युवाओं और वंचित तबकों के लिए आवाज उठाएंगे. भाजपा के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने भी चुनाप प्रक्रिया में शामिल पार्टी नेताओं के साथ बैठक की. संभावना है कि मुर्मू और सिन्हा दोनों ही चुनाव से पहले देश का दौरा करेंगे और अपने-अपने पक्ष में जनप्रतिनिधियों तथा राजनीति दलों का समर्थन जुटाने का प्रयास करेंगे.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के उत्तराधिकारी के रूप में झारखंड की पूर्व राज्यपाल मुर्मू का चयन करके भाजपा ने सबको आश्चर्यचकित कर दिया है और ऐसा लग रहा है कि वह इस कदम से लोगों को आकर्षित करने में सफल रही है. गौरतलब है कि मौजूदा राष्ट्रपति कोविंद दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं जबकि मुर्मू आदिवासी संथाल समुदाय से आती हैं. ताजा आंकड़ों के मुताबिक संसद के दोनों सदनों के कुल 776 सदस्यों में भाजपा के कुल 393 सदस्य हैं. इनमें राज्यसभा के चार मनोनीत सदस्य शामिल नहीं हैं क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव में वे मतदान नहीं कर सकते. इस लिहाज से भाजपा के पास स्पष्ट बढ़त है.

वहीं अगर जनता दल (यूनाईटेड) के 21 सांसदों के अलावा राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, अपना दल और पूर्वोत्तर के क्षेत्रीय व सहयोगी दलों के सांसदों की सदस्य संख्या को जोड़ लिया जाए तो भाजपा उम्मीदवार और मजबूत स्थिति में पहुंच जाती है. राज्यसभा व लोकसभा के सदस्यों के वोट का मूल्य करीब 700 हैं. राज्यों में कुल 4033 विधायक हैं. राज्य के हिसाब से इन विधायकों का मत निर्धारित है. राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 18 जुलाई को होना है. इसके लिए नामांकन 29 जून तक भरा जा सकेगा और चुनाव परिणाम की घोषणा 21 जुलाई तक हो जाएगी. राष्ट्रपति कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है.

* महाराष्ट्र के सियासी मैदान में चल रहा आंकड़ों का खेल, 10 बातों में समझें इस समीकरण को
* बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने आखिर कैसे द्रौपदी मुर्मू को समर्थन किया?
* UP में बुलडोज़र की कार्रवाई कानूनी, सुप्रीम कोर्ट में योगी आदित्यनाथ सरकार का हलफ़नामा

"मुझे किडनैप किया गया था": सूरत से भागकर वापस लौटने वाले शिव सेना विधायक बोले

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com