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रक्षाबंधन 2025: रिश्तों की डोर में बंधा राष्ट्रप्रेम, बाजारों में इन थीम वाली राखियों की धूम

इस बार राखियों में विशेष रूप से फौजियों को समर्पित राखियों द्वारा एक भावनात्मक संदेश भी सभी शहरों में फौजियों को राखी बांधकर फैलाया जा रहा है. 

रक्षाबंधन 2025: रिश्तों की डोर में बंधा राष्ट्रप्रेम, बाजारों में इन थीम वाली राखियों की धूम
  • राखी के त्योहार पर देश भर में लगभग 17000 करोड़ के व्यापार की उम्मीद
  • रक्षाबंधन के लिए रंग-बिरंगी और स्पेशल थीम वाली राखियों से सजा बाजार
  • इस बार राखी बाजार में मेक इन इंडिया राखियों की धूम दिख रही है
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नई दिल्ली:

अब जब राखी के त्यौहार में केवल दो ही दिन रह गए हैं, ऐसे में दिल्ली सहित देश भर के बाजारों में राखी के त्यौहार की खरीदी को लेकर भारी भीड़ दिखाई दे रही है, जिससे चारों तरफ़ उत्साह और ऊर्जा का माहौल है. कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के एक अनुमान के मुताबिक़ इस वर्ष देश भर में राखी त्यौहार पर लगभग 17 हज़ार करोड़ रुपए के व्यापार की उम्मीद है. जबकि मिठाई, फल एवं गिफ्ट आदि के रूप में लगभग 4 हजार करोड़ रुपए का भी व्यापार होने की संभावना है. चीन की बनी हुई कोई भी रखी अथवा त्यौहारों का सामान बाज़ार से पूरी तरह नदारद है.

राखियों से सजे बाजार

हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए हमारी सेनाओं ने अपनी अनूठी वीरता एवं शौर्य का प्रदर्शन किया है और राखी वाले दिन 9 अगस्त को ही भारत छोड़ो आंदोलन की तिथि भी है. इसलिए इस बार राखी त्यौहार पर भावनाओं की डोर और देशभक्ति की थालियों से बाजार सजे हुए हैं और उपभोक्ताओं के लिए खरीदी के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. चांदनी चौक से सांसद एवं कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि इस बार रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के प्रेम का उत्सव नहीं रहेगा, बल्कि यह राष्ट्रप्रेम और आत्मनिर्भर भारत की भावना से भी ओत-प्रोत होगा.

राखी पर सेना के लिए संदेश

इस बार राखियों में विशेष रूप से फौजियों को समर्पित राखियों द्वारा एक भावनात्मक संदेश भी सभी शहरों में फौजियों को राखी बांधकर फैलाया जा रहा है. राखी के त्यौहार पर इनोवेशन वाली राखियों की धूम है, जिसमें अन्य राखियों के अलावा वोकल फॉर लोकल' से ‘डिजिटल राखी' तक तथा ऑपरेशन सिंदूर से लेकर मोदी रखी, आत्मनिर्भर भारत राखी, जयहिंद राखी, भारत माता की जय, विकसित भारत, वंदेमातरम राखी जैसी अनेक प्रकार की आकर्षक राखियों की बाज़ार में बड़ी मांग है.

बाजारों में किन राखियों की धूम

दूसरी तरफ़ इस साल बाजारों में पारंपरिक राखियों के साथ नवाचार से भरी “थीम बेस्ड” राखियां धूम मचा रही हैं जिनमें इको-फ्रेंडली राखियां: मिट्टी, बीज, खादी, बांस व कपास से बनी राखी,  कस्टमाइज राखियां: भाई-बहन की फोटो और नाम के साथ राखियों की धूम है. देश के विभिन्न क्षेत्रों की कला और संस्कृति को समेटे हुए, “वसुधैव कुटुंबकम” थीम पर आधारित राखियों में हैं कोसा राखी (छत्तीसगढ़), जूट राखी (कोलकाता), रेशम राखी (मुंबई) खादी राखी (नागपुर), सांगानेरी राखी (जयपुर), बीज राखी (पुणे) बांस राखी (झारखंड), चाय पत्ती राखी (असम), मधुबनी राखी (बिहार) आदि प्रमुख रूप से बिक रही हैं.

मेक इन इंडिया को मिल रहा बढ़ावा

खंडेलवाल ने बताया कि इनमें से कई राखियां स्थानीय महिला उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों और कारीगरों द्वारा बनाई गई हैं – जिससे “महिला सशक्तिकरण” और स्थानीय उद्योग को भी प्रोत्साहन मिल रहा है. भारत में अब उपभोक्ता त्योहारों को गर्व और आत्मसम्मान के साथ मना रहे हैं – और “मेक इन इंडिया” को हर घर तक पहुंचा रहे हैं. इस वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन न केवल पारंपरिक पर्व है, बल्कि यह “व्यापारिक अवसर”, “राष्ट्रीय गौरव” और “सांस्कृतिक धरोहर” को भी जोड़ने जा रहा है. व्यापारी समुदाय इसे एक सोशल-कमर्शियल मूवमेंट के रूप में देख रहा है और पूरे जोश और जुनून के साथ तैयारियों में जुटा हुआ है. राखी 2025 – रिश्तों की नहीं, राष्ट्र की भी डोर बांधेगी!

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