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This Article is From Jul 19, 2022

केंद्र की MSP को लेकर बनी कमेटी का करेंगे बहिष्कार, संसद में बने कानून : राकेश टिकैत

किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी (MSP) को लेकर बनाई गई कमेटी का वह विरोध करेंगे, क्योंकि उस कमेटी में सरकार के काले कानूनों का समर्थन करने वाले लोग हैं. उन्होंने कहा कि यह कानून देश की संसद (Parliament) में बनना चाहिए.

केंद्र की MSP को लेकर बनी कमेटी का करेंगे बहिष्कार, संसद में बने कानून : राकेश टिकैत
पटना:

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने बिहार (Bihar) प्रवास के दौरान आज खगड़िया में कहा कि किसानों की फसलों का न्यूनतम समर्थन मू्ल्य (MSP) तय करने के लिए केंद्र सरकार के द्वारा बनाई गई कमेटी का वह बहिष्कार करेंगे. भारतीय किसान यूनियन के एक भी प्रतिनिधि कमेटी की बैठक में शामिल नहीं होंगे, क्योंकि इस कमेटी में तीन काले कानूनों का समर्थन करने वाले अधिकारियों को रखा गया है. कमेटी में जो अधिकारी हैं वह निरस्त तीन कृषि कानून के पक्षधर थे. इसलिए इस कमेटी का बहिष्कार किया जाएगा. टिकैत ने कहा कि बिहार के किसानों का शोषण हो रहा है. मंडी बंद हैं, चकबंदी की व्यवस्था नहीं है. किसानों को MSP का लाभ नहीं मिलता है. लिहाजा किसानों की समस्याओं को लेकर बिहार में जल्द बड़ा आंदोलन होगा.

संसद में बने एमएसपी गारंटी कानून
राकेश टिकैट ने कहा कि एमएसपी गारंटी कानून पार्लियामेंट में चर्चा के बाद बने, जिससे किसानों को असली फायदा होगा. टिकैत ने कहा कि तीन काले कानूनों का समर्थन करने वाले अधिकारियों को केमेटी में रखा गया है. इसलिए यह कमेटी किसानों के साथ न्याय नहीं कर सकती. उन्होंने कहा कि देश की संसद में इस पर चर्चा होनी चाहिए और संसद में एमएसपी कानून बनने से देश के किसानों को फायदा होगा. 

एमएसपी पर बड़े आंदोलन की तैयारी है: योगेंद्र यादव  
किसान ने राकेश टिकैत की तरह ही योगेंद्र यादव ने कहा कि नवंबर के बाद एमएसपी पर बड़े आंदोलन की तैयारी होगी. उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहता है, लेकिन जनहित पर मुद्दे पर खुलकर आवाज उठाता है. MSP पर सरकार की कमेटी में ऐसे लोग शामिल हैं, जो कृषि कानूनों का खुलकर विरोध करते रहे हैं. फसलों का दाम वैज्ञानिक तरीके से तय करने की बात कही गई है. इस पर 2015 में बनी एक सरकारी कमेटी पहले ही अपनी रिपोर्ट दे चुकी है. अब फिर कवायद क्यों?

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