कर्नाटक (Karnataka) से 10 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव (Rajya sabha) में चौथी सीट के मुकाबले में सत्तारूढ़ भाजपा (BJP) को हराने के उद्देश्य से किसी तरह की साझेदारी के लिए कांग्रेस और जद (एस) के बीच बातचीत अटक गई है, क्योंकि दोनों ही दल अपने रुख पर अड़े हुए हैं. जद (एस) के नेता एच डी कुमारस्वामी ने कांग्रेस के साथ दूसरी वरीयता के मतों को लेकर पेशकश की थी, लेकिन मुख्य विपक्षी दल ने बुधवार को क्षेत्रीय पार्टी को स्पष्ट कर दिया कि अब समय आ गया है कि वह पूर्व प्रधानमंत्री के लिए पिछली बार दिए गए समर्थन का बदला चुकाए. पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा पिछली बार जून 2020 में कांग्रेस के समर्थन से राज्यसभा के लिए चुने गए थे.
कर्नाटक की चार सीट के लिए हो रहे राज्यसभा चुनाव में छह उम्मीदवार मैदान में हैं, जिससे चौथी सीट के लिए मुकाबला बेहद कड़ा हो गया है. राज्य विधानसभा से चौथी सीट जीतने के लिए पर्याप्त संख्या में वोट नहीं होने के बावजूद, राज्य के तीनों प्रमुख राजनीतिक दलों - भाजपा, कांग्रेस और जद (एस)- ने इस सीट के लिए उम्मीदवार खड़े किए हैं, जिससे चुनाव कराने की जरूरत पड़ी है. कुमारस्वामी ने संवाददाताओं से कहा, “अगर कांग्रेस वास्तव में भाजपा को हराना चाहती है, तो हमने पहले ही दूसरे अधिमान्य मतों को एक-दूसरे को हस्तांतरित करने का प्रस्ताव दिया है. मैं और क्या कर सकता हूं? मैंने कहा था कि अगर आप भाजपा को हराना चाहते हैं तो चलिए सभी पुरानी चीजों को भूल जाते हैं और एक नया अध्याय शुरू करते हैं. मैंने खुली पेशकश की है, मैं कर्नाटक के वास्ते हर चीज के लिए तैयार हूं. ”
उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को स्वीकार करना या नहीं करना कांग्रेस नेतृत्व पर है. उन्होंने कहा कि अब तक कांग्रेस की तरफ से बातचीत के लिए कोई नहीं आया है. कुमारस्वामी ने कहा, “अभी भी समय है, यह खत्म नहीं हुआ है. कल दोपहर तक एक स्पष्ट तस्वीर सामने आ सकती है. ” उन्होंने आरोप लगाया कि केवल कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया प्रस्ताव के खिलाफ हैं. उन्होंने जद (एस) के उम्मीदवार को दौड़ से अलग करने की संभावना से इनकार किया. राज्य से राज्यसभा चुनाव के लिए छह उम्मीदवार मैदान में हैं. भाजपा से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, अभिनेता-नेता जग्गेश और निवर्तमान एमएलसी लहर सिंह सिरोया, कांग्रेस से पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश और राज्य महासचिव मंसूर अली खान, और जद (एस) के पूर्व सांसद डी कुपेंद्र रेड्डी मैदान में हैं.
हावेरी में पत्रकारों से सिद्धरमैया ने कहा कि यह देखते हुए कि कांग्रेस ने पहले अपना दूसरा उम्मीदवार (खान) उतारा था, जद (एस) को अपने उम्मीदवार को हटाना चाहिए और अपने विधायकों को कांग्रेस के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने के लिए कहना चाहिए. उन्होंने कहा, “जब देवगौड़ा ने पिछली बार (2020) राज्यसभा के लिए चुनाव लड़ा था, तब हमने उम्मीदवार नहीं उतारा था. हमने कुमारस्वामी को भी मुख्यमंत्री बनाया था. अब, अगर आप वास्तव में भाजपा को हराना चाहते हैं तो हमारा समर्थन करें. ”
सिद्धरमैया ने कहा कि अगर जद(एस) भाजपा को हराना चाहती है तो कांग्रेस द्वारा चौथी सीट के लिए प्रत्याशी मैदान में उतारे जाने के बाद उसे उम्मीदवार खड़ा नहीं करना चाहिए था. देवगौड़ा को समर्थन देने के सिद्धरमैया के दावों पर पलटवार करते हुए कुमारस्वामी ने कहा कि यह तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा थे जिन्होंने पहले उनसे संपर्क किया था और भाजपा आलाकमान के उनके पिता के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारने के फैसले से अवगत कराया था, क्योंकि वे पूर्व प्रधानमंत्री को संसद के उच्च सदन में चाहते थे.
उन्होंने कहा कि साथ ही अनुभवी कांग्रेसी और अब राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने स्पष्ट कर दिया था कि अगर उनकी पार्टी देवगौड़ा के खिलाफ दूसरा उम्मीदवार खड़ा करती है तो वह चुनाव नहीं लड़ेंगे. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “सिद्धरमैया या डीके शिवकुमार की गौड़ा का समर्थन करने में कोई भूमिका नहीं थी.... ”हालांकि राज्य कांग्रेस प्रमुख डी के शिवकुमार ने कुमारस्वामी की उनकी पार्टी के साथ “नए सिरे से शुरुआत” करने की पेशकश के बारे में खुशी व्यक्त की, हालांकि उन्होंने क्षेत्रीय पार्टी से (कांग्रेस) के दूसरे उम्मीदवार खान को वोट देने के लिए कहा. उन्होंने कहा, “हमारे एआईसीसी महासचिव ने आपसे (जेडीएस से) एक अनुरोध किया है और तदनुसार अपने उम्मीदवार को चुनाव से हटा दें और हमारे उम्मीदवार के पक्ष में वोट करें. हमने ऐसा अतीत में किया है. हम भविष्य में उनके (जेडीएस) लिए अच्छा चाहते हैं. ”
राज्य में एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 45 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता है, और विधानसभा में अपनी संख्या के आधार पर, भाजपा दो तथा कांग्रेस एक सीट जीत सकती है. विधानसभा में दो राज्यसभा उम्मीदवारों (सीतारामण और जग्गेश) को अपने दम पर निर्वाचित कराने के बाद, भाजपा के पास अतिरिक्त 32 विधायकों के वोट बचे रहेंगे. जयराम रमेश को चुनने के बाद कांग्रेस के पास 24 विधायकों के वोट बचे रहेंगे, जबकि जद (एस) के पास केवल 32 विधायक हैं, जो एक सीट जीतने के लिए पर्याप्त नहीं है. मतों की गिनती 10 जून को मतदान के बाद शाम पांच बजे होगी.
आधिकारिक सूत्रों ने कहा, चूंकि चौथी सीट के लिए तीन उम्मीदवार हैं और उनमें से किसी के पास जीतने के लिए पर्याप्त संख्या में वोट नहीं हैं, ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है जहां जरूरत पड़ने पर दूसरे और तीसरे अधिमान्य मतों की गिनती करनी पड़ सकती है. मैसूरु में पत्रकारों से मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि भाजपा के पास तीनों सीट पर चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त वोट हैं. उन्होंने कहा, “भाजपा की ओर से किसी को कोई प्रस्ताव नहीं है और पार्टी अपने मतों से जीत सकती है. हमें कांग्रेस और जद (एस) के ‘ऑफर गेम' से कोई लेना-देना नहीं है. ”
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