Rajya Sabha elections: शुक्रवार, 10 जून को होने वाले राज्यसभा चुनावों के पहले, विधायकों की खरीद-फरोख्त को टालने के लिए राजनीतिक पार्टियां तमाम जतन कर रही हैं. 'संख्या बल' को बरकरार रखने के लिए कई प्रमुख पार्टियों ने अपने विधायकों को रिसॉर्ट भेज दिया है. ज्यादा जद्दोजहद उन सीट को लेकर है जो कुछ वोटों के अंतर से किसी भी पक्ष में जा सकती है. महाराष्ट्र, राजस्थान और कर्नाटक में एक-एक सीट ऐसी है जो पूरी तरह से 'खुली' मानी जा रही है और पाटियों इसे अपने पक्ष में करने के लिए तमाम प्रयासों में जुटी हैं.
महाराष्ट्र और राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी एक-दूसरे पर विधायकों को हथियाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. बीजेपी ने यह भी कहा है कि उसके विधायकों का क्रॉस वोटिंग के लिए डराया-धमकाया जा रहा है और संबंधित राज्य सरकारों इसके लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर रही हैं. उधर कर्नाटक में जनता दल (एस) और कांग्रेस दोनों ने बीजेपी को हराने की तैयारी कर रखी है, हालांकि दोनों पार्टियां इस मामले में अब तक समझौते तक नहीं पहुंच पाई है. यहां एक सीट पर चुनाव है और दोनों पार्टियों ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं. महाराष्ट्र में 22 साल के बाद विधायक, राज्यसभा उम्मीदवार के लिए वोट देंगे. आमतौर पर उम्मीदवार निर्विरोध ही चुन लिए जाते हैं. यहां छह सीटों पर सात उम्मीदवार मैदान में हैं. बीजेपी ने तीन, शिवसेना ने दो, एनसीपी व कांग्रेस ने एक-एक उम्मीदवार उतारा है. राज्य में एक उम्मीदवार को जीत के लिए 42 विधायकों के समर्थन की जरूरत है. राज्य विधानसभा में बीजेपी के 105 विधायक हैं जबकि शिवसेना के 55, एनसीपी के 54 और कांग्रेस के 42 विधायक हैं. इसके अलावा छोटी पार्टियों और निर्दलीय के विधायकों की संख्या 29 है. शिवसेना ने अपने विधायकों को मुंबई के एक पांच सितारा होटल में शिफ्ट किया है. राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी ने भी अपने विधायकों को अपने दो दिन में मुंबई आने के निर्देश दिए हैं.
उधर , राजस्थान की चार सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव होने हैं जिसमें दो सीटें कांग्रेस को मिलना लगभग निश्चित है. पार्टी के विधानसभा में 108 विधायक है, ऐसे में पार्टी के पास 26 सरप्लस वोट है जो तीसरे उम्मीदवार की जीत के लिए जरूर 41 वोटों से 15 कम है. कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी को राजस्थान से प्रत्याशी बनाया है. दूसरी ओर, राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी के 71 विधायक हैं और एक सीट पर उसकी जीत निश्चित है. पार्टी ने एक सीट पर प्रत्याशी घोषित किया है जबकि एक अन्य सीट पर वह मीडिया दिग्गज सुभाष चंद्रा, जो निर्दलीय उम्मीदवार हैं, का समर्थन कर रही है. एनडीए के पूर्व सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के समर्थन का ऐलान किया है. आरएलपी के सदन में तीन विधायक हैं. एक सीट पर अपने उम्मीदवार को चुनने के बाद बीजेपी के पास 30 सरप्लस वोट होंगे जो स्वाभाविक तौर पर सुभाष चंद्रा के खाते में जाएंगे. आरएलपी के तीन विधायकों के समर्थन के बावजूद सुभाष चंद्रा को जीत के लिए आठ और विधायकों के वोट की दरकार होगी. कांग्रेस ने 123 विधायकों के समर्थन का दावा किया है जिसमें उसके 12 निर्दलीय और दो माकपा विधायक शामिल हैं लेकिन 'सुविधाजनक ' स्थिति के लिए पार्टी को तीन और वोट की जरूरत होगी, इसके लिए पार्टी की नजर भारतीय ट्रायबल पार्टी के दो विधायकों पर टिकी है. इन दो विधायकों का समर्थन हासिल होने का पार्टी ने मंगलवार को दावा भी किया था. एनडीटीवी को हाल में दिए इंटरव्यू में हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुडा ने कहा था कि 'नंबर' कांग्रेस के पक्ष में हैं. उन्होंने राजस्थान की तीसरी राज्यसभा सीट पर भी कांग्रेस की जीत का विश्वास जताया है.
उधर, कर्नाटक में चार सीटों पर छह उम्मीदवार मैदान में हैं. कांग्रेस ने मंगलवार को धर्मनिरपेक्ष विधायकों से उसके उम्मीदवार मंसूर अली खान को 'आत्मा की आवाज' पर वोट देने की अपील की थी. कांग्रेस के कर्नाटक इकाई के प्रमुख डीके शिवकुमार ने कहा है कि वह और पूर्व सीएम सिद्धारमैया विधानसभा में सभी से यह अपील कर रहे हैं.
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