- उत्तराखंड के राजाजी टाइगर नेशनल पार्क में सात साल बाद एलिफेंट सफारी पर्यटकों के लिए शुरू की गई है
- एलिफेंट सफारी के लिए राधा और रंगीली नामक 37 और 30 साल के अनुभवी हाथियों को चुना गया है
- सफारी दिन में दो बार सुबह साढ़े सात बजे और दोपहर तीन बजे पार्क के तीन किलोमीटर लंबे रास्ते पर कराई जाएगी
उत्तराखंड के राजा जी टाइगर नेशनल पार्क में 7 साल बाद एलिफेंट सफारी शुरू की गई है. अभी तक उत्तराखंड में कॉर्बेट नेशनल टाइगर पार्क में ही एलिफेंट सफारी पर्यटकों को करवाई जाती थी, लेकिन 7 साल बाद एक बार फिर से राजाजी टाइगर नेशनल पार्क में पर्यटक एलीफेंट के ऊपर जंगल में वन्य जीवों और जंगल का हाथी पर बैठकर लुफ्त उठा सकेंगे. एनडीटीवी की टीम ने राजा जी टाइगर नेशनल पार्क के चीला फॉरेस्ट डिविजन में पहुंची, जहां पार्क प्रशासन कैसे एलिफेंट सफारी करवा रहा है. इस खबर में आपको बताते हैं कि नेशनल पार्क में किस तरह से इंतजाम किए गए हैं और वह कौन से दो हाथी हैं, जिन पर पर्यटक एलिफेंट सफारी का मजा ले सकेंगे.

राधा और रंगीली दो मादा हाथी कराएंगी एलिफेंट सफारी
राजाजी पार्क प्रशासन ने राधा और रंगीली दो मादा हाथियों को एलिफेंट सफारी करवाने के लिए रखा है. इसके अलावा पाठ प्रशासन के पास पांच और हाथी हैं, लेकिन राधा और रंगीली ही फिलहाल अभी पर्यटकों को राजा जी टाइगर नेशनल पार्क में घुमा सकेंगी. राजाजी टाइगर नेशनल पार्क में जिन दो हाथियों को पर प्रशासन ने चुना है, जिसमें राधा करीब 37 साल की हैं और रंगीली करीब 30 साल की हैं. दोनों को एक्सपीरियंस है और एलिफेंट सफारी करने का अनुभव भी है.
सफारी का क्या रहेगा समय?
राजाजी टाइगर नेशनल पार्क में दिन में दो बार एलिफेंट सफारी पर्यटकों को करवाई जाएगी. पहले सुबह 7:30 से और दूसरी करीब 3:00 बजे के करीब. इसके लिए पार्क प्रशासन ने नेशनल पार्क में 3 किलोमीटर का रास्ता बनाया है, जिसमें राधा और रंगीली दोनों मादा हाथी एलिफेंट सफारी पर्यटकों को करवाएंगी. राजाजी टाइगर नेशनल पार्क में हाथी, बंगाल टाइगर ,लेपर्ड जंगल कैट, हायना, घुराल, हिरण, हिमालय ब्लैकबेयर, लोमड़ी ,सांभर, लंगूर ,मॉनिटर, लिजर्ड जैसे कई वाइल्डलाइफ एनिमल्स हैं.
कितनी लगेगी टिकट?
राजाजी टाइगर नेशनल पार्क प्रशासन ने प्रति व्यक्ति हजार रुपए एलिफेंट सफारी के लिए किराया रखा है. विदेशी पर्यटकों के लिए प्रति व्यक्ति 3000 रुपए एलिफेंट सफारी का किराया रखा गया है. 5 साल से नीचे के बच्चों और 13 साल तक के स्कूली बच्चों के लिए भी किराए में छूट रखी गई है.
क्या बोले पर्यटक?
वहीं, एलिफेंट सफारी का लुफ्त उठाने आए पर्यटकों ने कहा कि अब तक उन्होंने टीवी या फिर फोटो में देखा है कि एलिफेंट सफारी में लोग जंगल में घूमने जा रहे हैं. लेकिन आज वह खुद एलिफेंट सफारी का लुफ्त उठा रहे हैं तो उनके लिए किसी रोमांच से यह काम नहीं है. हरिद्वार से एलिफेंट सफारी करने ग्रीष्मा का कहना है कि वह बहुत खुश हैं और वह इस रोमांस का लुफ्त उठाने के लिए कई दिनों से बेताब थीं, जब से उन्होंने सुना कि एलिफेंट सफारी शुरुआत हो रही है तो उन्होंने पहले ही दिन के लिए अपना टिकट बुक करा लिया था.पर्यटक योगेश ने बताया कि यह बेहद रोमांचक है. हाथी की सवारी वह भी जंगल में, क्योंकि जंगल में जाना अपने आप में एक रोमांच होता है और हाथी पर बैठकर जंगल में जाना तो अपने आप में बात ही अलग है.

हाथियों की सेहत पर डॉक्टर की नजर
इसके अलावा नेशनल पार्क प्रशासन के चीला फॉरेस्ट रेंज में हाथियों की रखरखाव के लिए महावत भी रखे हैं. साथ ही डॉक्टर उनकी देखरेख करता है. राजाजी टाइगर नेशनल पार्क के पशु चिकित्सक डॉक्टर विवेकानंद सती ने बताया कि,"हाथियों का हर दिन चेकअप किया जाता है. उनके खाने-पीने और उनके व्यवहार को हर दिन मॉनिटर किया जाता है, ताकि हाथी स्वस्थ रहे. एलिफेंट सफारी शुरू हो रही है तो ऐसे में हाथियों की देखरेख की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है, क्योंकि हाथी का व्यवहार कैसा है, हाथी बीमार तो नहीं है,या फिर हाथी सुस्त तो नहीं है, यह सब देखा जाता है. तभी एलिफेंट सफारी के लिए उसको आगे जंगल में भेजा जाता है."
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