बालासोर ट्रेन हादसे (Balasore Train Accident) को लेकर रेलवे बोर्ड की सदस्य (ऑपरेशन एंड बीडी,) जया वर्मा सिन्हा ने आज यानी कि रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और हादसे के बारे में जानकारी दी. सिन्हा ने बताया कि दुर्घटना जिस स्टेशन पर हुई, वहां चार प्लेटफार्म हैं. बीच में दो मेन लाइन हैं और बगल में दो लूप लाइन हैं. वहां एक लूप लाइन पर मालगाड़ी (Goods Train) खड़ी थी. वहीं से चेन्नई से हावड़ा ट्रेन जा रही थी और हावड़ा से दूसरी ट्रेन आ रही थी. दोनों मेल लाइन पर सिग्नल ग्रीन था. कोरोमंडल ट्रेन (Coromandel Train) की स्पीड 128kmph थी. वहीं यशवंतपुर ट्रेन 126 kmph की स्पीड पर थी. दोनों ट्रेन की स्पीड 130 किलो मीटर प्रति घंटे तय की गई थी, मतलब कि दोनों में से कोई ट्रेन ओवरस्पीडिंग नहीं थी.
जया सिन्हा ने कहा कि सिग्नलिंग में कोई परेशानी नहीं पाई गई. सिर्फ एक कोरोमंडल ट्रेन की दुर्घटना हुई थी. किसी वजह से वो ट्रेन दुर्घनटाग्रस्त हुई, इंजन और कोच इसके मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गए. आयरन की मालगाड़ी थी जिस पर कोरोमंडल की बोगी और इंजन चढ़े.आयरन होने की वजह से यात्री ट्रेन को ज्यादा क्षति पहुंची है. कोरोमंडल के डिब्बे डाउन लाइन पर आ गए जिस पर यशवंतपुर ट्रेन गुजर रही थी और आखिरी इसके दो डब्बे डिरेल हो गए.
अपनों के लिए परेशान लोग 139 पर कर सकते हैं कॉल
सिन्हा ने कहा कि अपने लोगों जो लोग अपनों को खोज रहे हैं वो 239 पर फोन कर पूछताछ कर सकते हैं. मुआवजा हम लगातार दे रहे हैं, जो मुआवजा का ऐलान किया है. अब तक करीब साढ़े 3 करोड़ रु मुआवजा दे चुके हैं. सिग्नल में खामी का कारण प्राथमिक तौर पर पता चला है. लेकिन पूरी जांच के बाद ही इसके बारे में कोई ठोस बात कह पाएंगे. इसके लिए अभी CRS की रिपोर्ट का इंतजार है.
इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग
प्वाइंट सीधा या लूप लाइन में ले जाना है और इसके जरिए ऑक्यूपेंसी ऑफ ट्रैक तो नहीं इसको इंटरलॉकिंग कहते हैं. लाइन जिस पर ट्रेन को जाना है. ये सुनिश्चित करता है. यहां कंप्यूटर बेस्ड इंटरलॉकिंग थी. इसलिए इसे इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग कहते हैं. मशीन में पॉइंट 1 % चांस फेल्योर का हो सकता है. या मानवीय भूल है. इसको समझने की कोशिश कर रहे हैं. इस हादसे के लिए कौन लोग जिम्मेदार हैं इसकी शुरुआती तौर पर पहचान कर ली गई है.
हादसे के लिए कौन है जिम्मेदार समझ रहे हैं?
सिन्हा ने कहा कि हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है इस इंफॉर्मेशन को हम एज ए डिडक्टिव समझने का प्रयास कर रहे हैं. घटना स्थल पर सब तहस-नहस हो गया है. घटना के समय रिएक्शन टाइम बहुत कम था इस स्पीड पर. Signalling इंटरफ्रेंस का फेल्योर कहना ठीक नहीं होगा. फिजिकली कुछ नहीं है पर डिजिटल एविडेंस से सिग्नल ग्रीन था ट्रेन का ये पता चला. अब इस पर एनालिसिस की जरूरत है. घटना स्थल पर CRS तब तक रहेंगे जब तक एविडेंस न जुटा लें. सभी डेटा सीज कर लिए गए हैं. सभी डाटा को ऐसे हादसे के वक्त तुरंत सीज किया जाता है और यहां भी यह काम किया गया है.
कोरोमंडल ट्रेन के ड्राइवर ने क्या कहा ?
सिन्हा ने कहा कि कोरोमंडल ट्रेन के ड्राइवर से उनकी बात हुई है. ड्राइवर ने बताया कि सिग्नल ग्रीन मिला था इसलिए गाड़ी अपनी गति से आगे बढ़ रही थी. सिन्हा ने बताया कि ड्राइवर की हालत गंभीर है और उसका इलाज चल रहा है. यशवंतपुर ट्रेन के टीटी ने कहा कि मैंने पीछे की ओर बहुत जोर की आवाज़ सुनी थी. वहीं मालगाड़ी का गार्ड नीचे उतरा हुआ था. इसलिए उसको कुछ नहीं हुआ. नहीं तो नहीं बचता.
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