- भारतीय रेलवे में पिछले एक दशक में रेल दुर्घटनाओं की संख्या में लगभग नब्बे प्रतिशत की कमी आई है
- वित्तीय वर्ष दो हजार पच्चीस से छह तक नवंबर तक रेल दुर्घटनाएं ग्यारह दर्ज की गईं जो कोविड काल से भी कम हैं
- साल-दर-साल आंकड़ों के अनुसार दस साल पहले 350 से लेकर हाल के वर्षों में मात्र 40 दुर्घटनाएं हुईं हैं
देश की जीवनरेखा कही जाने वाली भारतीय रेलवे में रेल दुर्घटनाओं में भारी कमी आई है. पिछले एक दशक में रेल दुर्घटनाएं 90 प्रतिशत कम हो गए हैं. जबकि प्रतिवर्ष आंकड़ों में भी कमी देखी गई है. यह जानकारी केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में दिया. रेल मंत्री ने सदन में बताया कि आखिर हादसों को कम करने के लिए किस तरह की प्लानिंग पर खास तौर पर काम किया गया है.
10 साल में कम हुए रेल हादसे
मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार ने पिछले एक दशक में रेल संचालन में सुरक्षा सुधारने के लिए कई उपाय किए हैं. इसके परिणामस्वरूप, दुर्घटनाओं की संख्या में भारी कमी आई है. साल 2004 से 2014 के बीच रेल दुर्घटनाओं की संख्या 1711 थी यानी औसतन 171 हादसे प्रति वर्ष होते है जो 2024-25 में घटकर 31 हो गई.
50% रेल हादसों में आई कमी
रेल मंत्रालय के अनुसार, मौजूदा वित्तीय वर्ष (2025-2026) में नवंबर 2025 तक हादसों की संख्या घटकर 11 हो गई है, जो कोरोना महामारी के समय से भी 50 प्रतिशत कम है. साल 2020-21 में 22 रेल हादसे हुए थे. ये वो वक्त था जब भारत सहित पूरी दुनिया कोरोना महामारी से त्राहिमाम कर रहा था, जिंदगी भी बेपटरी हो गई थी और रेल गाड़ियां भी बहुत कम चल रही थी. ऐसे में मौजूदा समय में रेल दुर्घटनाओं में कमी सरकार के प्रयासों को और मजबूत करते हैं.
साल दर साल रेल दुर्घटनाओं में आई कमी
मंत्रालय के अनुसार, 2005-06 में 234 रेल हादसे हुए थे. जबकि 2009-10 में 165, 2014-15 में 135, 2019-20 में 55, 2021-22 में 35, 2022-23 में 48, 2023-24 में 40 दुर्घटनाएं दर्ज की गई हैं.
सुरक्षा के लिए उठाये गए ये कदम
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेलवे की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए सरकार ने लगातार सुरक्षा संबंधी गतिविधियों के लिए बजट को भी तीन गुणा बढ़ाया गया है. उन्होंने कहा कि 2013-14 में 39463 करोड़ रुपए का बजट था जिसे 2025-26 में बढ़ाकर 116470 करोड़ रुपए का कर दिया गया है. इसके अलावा, दुर्घटनाओं को कम करने के लिए ट्रैक, सिग्नलिंग और स्टेशन सिस्टम को आधुनिक बनाया गया है. कोहरे में सुरक्षित संचालन के लिए नए उपकरण, ड्राइवरों के लिए सुरक्षा सिस्टम और ट्रैक की लगातार निगरानी जैसी तकनीकें लगाई गई हैं. रेलवे, आरपीएफ और राज्य पुलिस मिलकर ट्रैक सुरक्षा, गश्त और संदिग्ध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखते हैं. इन सभी प्रयासों से रेल यात्रा पहले की तुलना में काफी सुरक्षित हो गई है.
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