लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने तीसरी बार एनडीटीवी (NDTV) को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह इंटरव्यू एनडीटीवी के नेशनल अफेयर्स एडिटर विकास भदौरिया और एक्जीक्यूटिव एडिटर पॉलिटिकल अखिलेश शर्मा ने लिया. इस दौरान पीएम मोदी से धर्म के आधार पर आरक्षण को लेकर सवाल किया गया. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मुसलमानों का एक बहुत बड़ा हिस्सा देश की विकास यात्रा में भागीदार नहीं है. उनका कहना था कि पसमांदा मुसलमानों को देश के विकास में भागीदार बनाना ही उनका विषय है. इस दौरान उन्होंने बताया कि वो एक मुसलमान बस्ती में ही पले-बढ़े हैं. इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने 19 मई को एनडीटीवी के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया को भी एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया था. इस दौरान प्रधानमंत्री ने लोकल से लेकर ग्लोबल मुद्दों तक पर विस्तार से अपनी राय रखी थी. बिहार की राजधानी पटना में आयोजित रोड शो के दौरान भी प्रधानमंत्री मोदी ने एनडीटीवी की मारिया शकील के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत की थी.
बीजेपी की तरफ कैसे आएंगे मुसलमान?
प्रधानमंत्री से सवाल किया गया, ''पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार ने मुसलमानों को ओबीसी आरक्षण दिया, जिसे कलकत्ता हाई कोर्ट ने हटाने के लिए कहा है. आप भी अपने भाषणों में कहते रहे हैं कि आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए. आपने बेंगलुरु में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कहा था कि बीजेपी के नेताओं को पसमांदा समाज तक अपनी बात पहुंचानी चाहिए.वहीं आपकी सरकार ने तीन तलाक को खत्म किया. आपका एक तरफ मुसलमानों का आरक्षण न देने की बात करना और दूसरी तरफ ये कदम उठाना, क्या आपको यह लगता है कि इससे मुसलमानों को बीजेपी की तरफ लाने के लिए संतुलन बनेगा?''
इस सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,''हमारे देश का दुर्भाग्य है कि सरकारें चलाने वालों के दिमाग में अगला चुनाव जीतने के लिए कुछ खेल करने की बात रहती है, मेरे दिमाग में ये बात नहीं रहती है. मैं सरकार दुबारा बनाने के लिए सरकार नहीं चलाता हूं. मैं देश बनाने के लिए सरकार चलाता हूं. ये सरकार देश का भविष्य बना दे, ये सरकार देश के भावी पीढ़ी का भविष्य बना दें, वोट बैंक के हिसाब से न मैं सोचता हूं और न मैं करता हूं और भगवान बचाए मैं यह नहीं करना चाहता हूं. ''
पसमांदा समाज की सच्चाई
उन्होंने कहा,''हमारे देश का यह दुर्भाग्य यह है कि आप लोग टीवी पर एनालीसिस करते हैं, एनडीटीवी भी यह काम करता है कि बनिए कितने, क्षत्रिय कितने, ब्राह्मण कितने, ढिकाने कितने और फलाने कितने. आप यह नहीं बताते हैं कि इसमें हिंदू कितने परसेंट हैं. मुसलमानों में भी जातियां हैं, लेकिन आपको मालूम नहीं होगा और न आप उनकी जाति का उल्लेख करते हैं. इसका कारण यह है कि वहां एक अगड़ा वर्ग है, जिसने वहां कब्जा जमाया हुआ है, कुछ ही परिवार हैं, जिनका ठेका है. नीचे शिक्षा नहीं है. अगर इतना बड़ा वर्ग देश की विकास यात्रा में भागीदार नहीं बनता है, तो इससे देश का नुकसान है.''
उन्होंने कहा, ''मेरे मन में रहता है कि मेरे देश की विकास यात्रा में समाज का आखिरी वर्ग शामिल हो. मेरा यह तरीका नहीं है कि वह हिंदू है तो उस पर ध्यान देना चाहिए, वह मुसलमान है तो उस पर ध्यान नहीं देना चाहिए, वह हिंदू है तो उस पर ध्यान नहीं देना चाहिए, वह मुसलमान है तो उस पर ध्यान देना चाहिए, यह मेरा तरीका नहीं है.समाज का जो अनटैप पोटेंशियल है, उस सबको हमें सामर्थ्य देना चाहिए.''
भारत की विकास यात्रा में पसमांदा समाज कहा है?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,''पसमांदा समाज के प्रति मेरा ये भाव है, वह सचमुच में...मेरा जो गांव है, मेरा घर परिवार है..उसके आसपास जो मुस्लिम परिवार हैं, मैं मुस्लिम बस्ती में ही पला-बढ़ा हूं. मेरा घर वहीं हैं.वो ज्यादातर भड़भूज हैं, अलग-अलग राज्यों में उनके नाम अलग-अलग हैं. उनकी हालत मैं देख चुका हूं. इसलिए मैं कहता हूं कि पसमांदा समाज में शिक्षा बढ़नी चाहिए.पसमांदा समाज के लोगों के एक अवसर मिलना चाहिए. भारत की विकास यात्रा में इतना बड़ा वर्ग भागीदार कैसे बने यही मेरा विषय है.''
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