New Delhi:
नोट के बदले वोट घोटाले पर विकीलीक्स खुलासे को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर जबर्दस्त हमला बोलते हुए लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने एनडीटीवी पर विकीलीक्स के मालिक जूलियन असांज के इंटरव्यू का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। सुषमा स्वराज ने कहा कि घोटालों में दूसरों के नाम गिनाकर प्रधानमंत्री अपनी ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते। उन्होंने कहा कि वह इधर-उधर की बात करने की बजाय सीधे जवाब दें और यदि उन्हें कुछ पता नहीं है तो प्रधानमंत्री बने रहने की कौन-सी मजबूरी है? लोकसभा में नियम 193 के तहत वोट के बदले कैश के भुगतान के बारे में अखबारों की रिपोर्ट के संबंध में 18 मार्च 2011 को प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए बयान पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए सुषमा ने एक मशहूर शेर के जरिए यह बात कही। उन्होंने सदन में मौजूद प्रधानमंत्री से मुखातिब होते हुए कहा, तू इधर-उधर की न बात कर, ये बता के कारवां क्यों लुटा, ये रहगुजर की बात नहीं, तेरी रहबरी (नेतृत्व) का सवाल है। सुषमा ने कहा कि सरकार का मुखिया होने के नाते प्रधानमंत्री 2008 में विश्वास मत के दौरान वोट के बदले नोट मामले पर दूसरों को बलि का बकरा बनाकर अपनी जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ सकते क्योंकि करोड़ों रुपया खर्च कर खरीदे गए सांसदों के वोटों से सबसे अधिक फायदा उन्हीं को मिला क्योंकि उनकी सरकार बची। विपक्ष की नेता ने प्रधानमंत्री पर हमले की कमान संभालते हुए ताबड़तोड़ सवाल किए, प्रधानमंत्री की आदत है। वह हर बात पर कहते हैं , मुझे कुछ नहीं पता, मेरी पार्टी ने कुछ नहीं किया... मेरी सरकार ने कुछ नहीं किया .. उन्हें नहीं पता तो किसे पता था? पूरे कांड का लाभार्थी कौन होने वाला था? प्रधानमंत्री पद पर कौन बने रहने वाला था? अगर आपको नहीं पता था तो भी आप बराबर के जिम्मेदार हैं।
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