- पीएम मोदी ने जी20 समिट में वैश्विक विकास के नए मानदंड और एकात्म मानववाद अपनाने पर जोर दिया
- उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं और हेल्थ इमरजेंसी के लिए G20 ग्लोबल हेल्थकेयर रिस्पांस टीम गठन का प्रस्ताव रखा
- ड्रग्स और आतंकवाद का नेटवर्क तोड़ने के लिए भी पीएम ने जोहानिसबर्ग में आयोजित समिट में अहम सुझाव दिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए वैश्विक विकास के लिए एक नई दिशा का आह्वान किया. उन्होंने विकास के मौजूदा पैमानों पर सवाल उठाते हुए भारत के एकात्म मानववाद (Integral Humanism) दर्शन को अपनाने पर जोर दिया. इसके अलावा वैश्विक संकटों से निपटने के लिए उन्होंने दो महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी सामने रखे.
हेल्थ इमरजेंसी और ड्रग्स-टेरर गठजोड़ से निपटने के प्रस्ताव
पहला प्रस्ताव प्राकृतिक आपदाओं और हेल्थ इमरजेंसी के लिए G20 ग्लोबल हेल्थकेयर रिस्पांस टीम के गठन का है. पीएम मोदी के मुताबिक, इसमें प्रशिक्षित मेडिकल एक्सपर्ट्स शामिल हों जो संकट के समय तुरंत तैनात किए जा सकें. दूसरा प्रस्ताव नशीले पदार्थों और आतंकवाद के गठजोड़ को तोड़ने के लिए G20 इनिशिएटिव ऑन काउंटरिंग द ड्रग-टेरर नेक्सस का है. प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी कि फेंटेनिल जैसी घातक ड्रग्स न सिर्फ जन स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं बल्कि आतंकवादी फंडिंग का भी बड़ा जरिया बन रहे हैं. इसे रोकने के लिए फाइनेंस, गवर्नेंस और सिक्योरिटी को एक साथ आना होगा.

विकास के तरीकों पर फिर से विचार की जरूरत
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले कई दशकों में, G20 ने ग्लोबल फाइनेंस और दुनिया की आर्थिक वृद्धि को दिशा दी है. लेकिन ग्रोथ के जिन पैरामीटर्स पर अब तक काम हुआ है, उनके कारण बहुत बड़ी आबादी रिसोर्सेज से वंचित रह गई है. साथ ही, प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक शोषण को भी बढ़ावा मिला है. अफ्रीका इसका बहुत बड़ा भुक्तभोगी है. आज जब अफ्रीका पहली बार G20 समिट की मेजबानी कर रहा है तो यहां हमें विकास के पैरामीटर्स पर फिर से विचार करना चाहिए.
एकात्म मानववाद से प्रगति और प्रकृति के बीच सौहार्द
पीएम ने कहा कि इसका एक रास्ता भारत के सभ्यतागत मूल्यों में है. और वो रास्ता एकात्म मानववाद (Integral Humanism) का है. यानि हमें मानव, समाज और प्रकृति को संयुक्त रूप में देखना होगा, तभी प्रगति और प्रकृति के बीच सौहार्द संभव हो पाएगा. दुनिया में ऐसे कई समुदाय हैं, जिन्होंने अपने पारंपरिक और इको बैलेंस्ड लाइफस्टाइल को संभालकर रखा है. इन परंपराओं में सस्टेनेबिलिटी के साथ ही सांस्कृतिक ज्ञान, सामाजिक एकता और प्रकृति के प्रति गहरा सम्मान भी दिखता है.

पारंपरिक ज्ञान का एक कोष बनाने का सुझाव
पीएम मोदी ने भारत की तरफ से सुझाव दिया कि G20 के तहत एक पारंपरिक ज्ञान का एक कोष Global Traditional Knowledge Repository बनाया जाए. भारत का जो इंडियन नोलेज सिस्टम इनिशिएटिव है, वो इसका आधार बन सकता है. यह ग्लोबल प्लेटफॉर्म मानवता के समग्र ज्ञान को भावी पीढ़ी तक पहुंचाने में मदद करेगा.
अफ्रीका में 10 लाख ट्रेनर तैयार करने का लक्ष्य
प्रधानमंत्री ने कहा कि अफ्रीका के विकास और अफ्रीका के यंग टैलेंट को सक्षम बनाना पूरी दुनिया के हित में है. इसलिए भारत G20-अफ्रीका स्किल्स मल्टीप्लयर इनिशिएटिव का प्रस्ताव रखता है. ये अलग-अलग सेक्टर्स के लिए "ट्रेन-द-ट्रेनर्स” मॉडल के तहत चल सकता है और G20 के सभी पार्टनर इसको फाइनेंस कर सकते हैं, सपोर्ट कर सकते हैं.

ग्लोबल साउथ की आवाज और बुलंद हो
भारत-अफ्रीका संबंधों की गर्मजोशी पर पीएम मोदी ने कहा कि हमारे रिश्ते हमेशा से मज़बूत रहे हैं. नई दिल्ली समिट के दौरान अफ्रीकन यूनियन का जी20 का स्थाई सदस्य बनना एक बहुत बड़ा कदम था. अब जरूरी है कि इस भावना का G20 से भी आगे भी विस्तार हो. सभी वैश्विक संस्थाओं में ग्लोबल साउथ की आवाज और बुलंद हो, इसके लिए हमें मिलकर प्रयास करना चाहिए.
पीएम मोदी ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा को G20 समिट के शानदार आयोजन और सफल अध्यक्षता के लिए बधाई देते हुए कहा कि साउथ अफ्रीका की अध्यक्षता में, स्किल्ड माइग्रेशन, टूरिज्म, फूड सिक्योरिटी, एआई, डिजिटल इकॉनॉमी, इनोवेशन और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों पर प्रशंसनीय कार्य काम हुआ है. नई दिल्ली G20 समिट में जो ऐतिहासिक इनिशिएटिव लिए गए थे, उनको यहां आगे बढ़ाया गया है.
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