प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुजरात के द्वारका (PM Modi In Dwarka) में भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन किए और इसके बाद उन्होंने गहरे समुंदर के भीतर जाकर आस्था की डुबकी लगाई. पीएम मोदी ने इसे इतिहास और आध्यात्मिकता का अनुभव बताया. पीएम मोदी समुंदर में डूबी द्वारका के गहरे पानी के भीतर गए और वहां प्रार्थना की. उन्होंने बताया कि इस अनुभव ने देश की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक जड़ों के साथ एक दुर्लभ और गहरा संबंध प्रस्तुत किया है.खास बात यह है कि पीएम मोदी पानी के भीर भगवान कृष्ण को अर्पण करने के लिए मोर पंख भी लेकर गए थे.
"मैंने गहरे समंदर के भीतर जाकर प्राचीन द्वारका जी के दर्शन किए..." : जब #PMModi ने समुद्र में लगाई आस्था की डुबकी#Dwarka #Gujarat pic.twitter.com/pFaCfaySo8
— NDTV India (@ndtvindia) February 25, 2024
PM मोदी की द्वारका में आस्था की डुबकी
पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि पानी में डूबी द्वारका नगरी में प्रार्थना करना बहुत ही दिव्य अनुभव था. उन्हें आध्यात्मिक वैभव और शाश्वत भक्ति के एक प्राचीन युग से जुड़ाव महसूस हुआ. भगवान श्री कृष्ण सभी को आशीर्वाद दें. बता दें कि द्वारका एक प्राचीन शहर है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण की नगरी के रूप में देखा जाता है.
"भगवान श्री कृष्ण हम सभी को आशीर्वाद दें...", पीएम मोदी ने गुजरात के द्वारका में लगाई आस्था की डुबकी pic.twitter.com/hS7BMIq2bC
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"सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत"
पीएम मोदी के लिए द्वारका के समंदर में जाना सिर्फ पानी में घुसना नहीं था, बल्कि समय के जरिए एक यात्रा थी, जो शहर के गौरवशाली अतीत और भगवान कृष्ण के साथ इसके जुड़ाव को उजागर करती है. पानी में जाकर पीएम मोदी ने द्वारका को श्रद्धांजलि अप्रित की. उन्होंने इसे एक ऐसा शहर बताया, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत समेटे हुए है. इसके साथ ही पीएम मोदी ने अपने भाषण में भी द्वारका में अपने दर्शन के अनुभव को साझा किया.
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द्वारका मंदिर में किए थे पीएम मोदी ने दर्शन
इससे पहले पीएम मोदी ने गुजरात के द्वारका में भारत के सबसे लंबे केबल-आधारित ब्रिज का उद्घाटन किया था. पीएम सुदर्शन सेतु का उद्घाटन के करने के बाद बेट द्वारका जी मंदिर गए थे. उन्होंने बेट द्वारका मंदिर में पूजा-अर्चना भी की थी. बता दें कि गुजरात के ओखा और बेयट द्वारका द्वीप को जोड़ने वाले 'सुदर्शन सेतु' का निर्माण 979 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है. पीएम मोदी ने अक्टूबर 2017 में 2.3 किमी लंबे पुल की आधारशिला रखते हुए कहा था कि यह पुराने और नए द्वारका के बीच एक कड़ी के रूप में काम करेगा.
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