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This Article is From Oct 22, 2011

केंद्र राज्यों के साथ नहीं करता सौतेला व्यवहार : पीएम

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार राज्यों के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं करती।
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नई दिल्ली: कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा केंद्र पर सौतेला व्यवहार करने के आरोप लगाए जाने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को जोर देकर कहा कि उनकी सरकार राज्यों के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं करती। उन्होंने कहा कि सरकार सभी राज्यों के साथ निष्पक्ष व्यवहार करती है। राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) की 56वीं बैठक में अपने समापन सम्बोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ राज्यों ने भेदभाव का मामला उठाया है लेकिन यह वास्तविकता पर आधारित नहीं है। उन्होंने कहा, "केंद्र सभी राज्यों के साथ निष्पक्ष व्यवहार करने के लए प्रतिबद्ध है।" प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार गरीब प्रदेशों को ज्यादा सहायता करना चाहती है लेकिन इसका मतलब भेदभाव करना नहीं है। उन्होंने कहा, "यह सही है कि हम गरीब राज्यों को ज्यादा सहयोग देते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपेक्षाकृत विकसित राज्यों के साथ भेदभाव कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि यदि भेदभाव की धारण है तो यह सच्चाई से परे है। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता सहित कुछ गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार पर उनके राज्यों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विभिन्न राज्यों के सुझावों को जहां उपयुक्त होगा वहां शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा, "योजना आयोग को दृष्टिकोण पत्र में दर्शाए गई रूपरेखा में आज की चर्चा के सुझावों को शामिल करते हुए आगे बढ़ना चाहिए।" इससे पहले, प्रधानमंत्री ने सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में कहा था कि  बुनियादी रूप से मजबूत भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर निराश होने की आवश्यकता नहीं है। अर्थव्यवस्था में मौजूदा धीमा विकास मात्र अल्पकालिक प्रक्रिया है, जो पश्चिमी दुनिया में जारी संकट के कारण है। प्रधानमंत्री ने कहा, "मौजूदा आर्थिक धीमापन चिंता का विषय है। लेकिन इसे एक अल्पकालिक प्रक्रिया के रूप में देखा जाना चाहिए, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में उच्च दर्जे की अस्थिरता को जाहिर कर रही है। सभी देशों में वृद्धि दर नीचे की ओर जा रही है।" प्रधानमंत्री ने यहां कहा, "हमें नकारात्मक सोच से बचना चाहिए, जो लगता है कि पूरे देश में व्याप्त कर गई है।" प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि हर स्तर पर कुछ ठोस उपाय कर दिए जाएं तो अगले पांच वर्षो में नौ प्रतिशत विकास दर, यद्यपि कठिन तो है लेकिन उसे हासिल किया जा सकता है। सिंह ने कहा, "मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि देश की दीर्घकालिक सम्भावनाएं बहुत अच्छी हैं।" मौजूदा वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है। औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर मंद है और महंगाई उच्चस्तर पर बनी हुई है। प्रधानमंत्री ने हालांकि कहा कि स्थिति उतनी खराब नहीं है, जितनी लगती है। प्रधानमंत्री ने जॉन मेनार्ड कीन्स की पुस्तक 'द जनरल थ्योरी ऑफ एम्प्लॉयमेंट, इंटरेस्ट ऑफ मनी' से उद्धरण देते हुए कहा, "अंततोगत्वा निवेश उद्यम की पशुवत भावनाओं का एक प्रत्यक्षीकरण है।" प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया, कुछ प्रमुख केंद्रीय मंत्रियों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया।

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