प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र पर खून से हस्ताक्षर करते हुए पूर्व सैनिक।
नई दिल्ली:
सरकार पर वन रैंक वन पेंशन को लागू करने में देरी को लेकर डेढ़ सौ से ज्यादा पूर्व सैनिकों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खून से हस्ताक्षर करके पत्र भेजा है। सरकार ने बीते पांच सितबर को वन रैंक-वन पेंशन लागू करने का एलान किया था लेकिन अब तक उसका नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है।
सरकार में इच्छाशक्ति नहीं
वन रैंक-वन पेंशन की मांग को लेकर पिछले 133 दिन से दिल्ली के जंतर-मंतर के साथ-साथ देश के कई शहरों में पूर्व सैनिक रिले भूख हड़ताल कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार ने जो ओआरओपी का एलान किया है वह संसद और भगत सिंह कोशियारी कमेटी के मुताबिक नहीं है। इंडियन एक्स सर्विस मेन मूवमेंट के चेयरमैन मेजर जनरल सतबीर सिंह कहते हैं कि सरकार की इच्छा ही नहीं है कि सही मायने में ओआरओपी लागू हो।
देशवासियों को याद दिलाने की कोशिश
करगिल जंग में शहीद हुए कैप्टन विजयंत थापर के पिता कर्नल वीएन थापर ने कहा है 'हम अपने खून के जरिए देशवासियों को यह याद दिलाना चाहते हैं कि यह वही खून है जिसने 1948, 1962, 1965, 1971 और 1999 की जंग में देश की सरहदों की हिफाजत की है।' पूर्व सैनिकों के अंदर इस बात को लेकर काफी गुस्सा और नाराजगी है कि मोदी सरकार ने अब तक अपना वायदा पूरा नहीं किया।
सरकार में इच्छाशक्ति नहीं
वन रैंक-वन पेंशन की मांग को लेकर पिछले 133 दिन से दिल्ली के जंतर-मंतर के साथ-साथ देश के कई शहरों में पूर्व सैनिक रिले भूख हड़ताल कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार ने जो ओआरओपी का एलान किया है वह संसद और भगत सिंह कोशियारी कमेटी के मुताबिक नहीं है। इंडियन एक्स सर्विस मेन मूवमेंट के चेयरमैन मेजर जनरल सतबीर सिंह कहते हैं कि सरकार की इच्छा ही नहीं है कि सही मायने में ओआरओपी लागू हो।
देशवासियों को याद दिलाने की कोशिश
करगिल जंग में शहीद हुए कैप्टन विजयंत थापर के पिता कर्नल वीएन थापर ने कहा है 'हम अपने खून के जरिए देशवासियों को यह याद दिलाना चाहते हैं कि यह वही खून है जिसने 1948, 1962, 1965, 1971 और 1999 की जंग में देश की सरहदों की हिफाजत की है।' पूर्व सैनिकों के अंदर इस बात को लेकर काफी गुस्सा और नाराजगी है कि मोदी सरकार ने अब तक अपना वायदा पूरा नहीं किया।
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