
विपक्षी 'इंडिया' गठबंधन के कांग्रेस समेत 16 घटक दलों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर पहलगाम आतंकी हमले और 'ऑपरेशन सिंदूर' से संबंधित हालात पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है. कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बात करते हुए कहा कि हमने मांग की है कि संसद का एक विशेष सत्र बुलाया जाए, ताकि सभी दल हमारे सशस्त्र बलों को धन्यवाद दे सकें और सरकार बिंदुवार अपनी बात रखे.
गठबंधन के 16 राजनीतिक दलों ने पीएम मोदी को पत्र लिखा
दीपेंद्र हुड्डा ने एनडीटीवी से कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले और भारत तथा पाकिस्तान के बीच संघर्ष के दौरान, सभी विपक्षी दल हमारे सशस्त्र बलों और भारत सरकार के समर्थन में खड़े थे. इसके बाद अमेरिका ने भारत पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की घोषणा की. इसीलिए अब 'इंडिया' गठबंधन के 16 राजनीतिक दलों ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है और कहा है कि संसद का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले से लेकर 'ऑपरेशन सिंदूर' और अमेरिका द्वारा संघर्ष विराम का ऐलान किए जाने तक पर संसद में चर्चा होनी चाहिए.
संसद में चर्चा कर एक संयुक्त रणनीति तय होनी चाहिए- हुड्डा
कांग्रेस सांसद ने पूछा कि क्या पाकिस्तान को हम दुनिया में कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने में कामयाब हो पाए हैं? जो पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह देता है, क्या दुनिया के बड़े-बड़े मुल्क और आईएमएफ लोन या आर्थिक मदद करते हैं, उससे क्या आतंकवाद पर लगाम लगेगा? आगे सीमा पर आतंकवाद से निपटने की हमारी क्या रणनीति होनी चाहिए? ऐसे कई सवालों पर चिंतन होनी चाहिए और चर्चा कर एक संयुक्त रणनीति तय होनी चाहिए.

कांग्रेस सांसद ने कहा, "हमें आतंकवाद को कैसे खत्म किया जाए और अपनी आगे की रणनीति पर भी संसद में चर्चा करनी चाहिए. अब जब भारत सरकार दुनिया के सामने अपने विचार रख रही है तो मुझे लगता है कि सरकार को संसद में भी ऐसा ही करना चाहिए."
ट्रंप ने धौंस दिखाकर भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर करवाया?
उन्होंने कहा कि जब देश की सरकार के प्रतिनिधि दुनिया के तमाम देशों में अपनी बात रख रहे हैं, ऐसे में सरकार भी अपने संसद में बात रखे. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक-दो बार नहीं, बल्कि 15 बार ऐसा कहा है कि उन्होंने व्यापार का धौंस दिखाकर भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर करवाया. हमारी फौज और हमारा देश कभी भी इस तरह के घौंस में नहीं आता, इस पर सरकार की तरफ से बात रखी जाए. संसद की तरफ से एक संयुक्त संदेश जाए.

गौरतलब है कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, शिवसेना (उबाठा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), नेशनल कांफ्रेंस, माकपा, आईयूएमएल, भाकपा, आरएसपी, झामुमो, भाकपा (माले) (लिबरेशन) सहित कुछ अन्य दलों के नेताओं ने प्रधानमंत्री को लिखे इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले विदेश में हैं, इसलिए वो इस पर हस्ताक्षर नहीं कर पाई हैं.
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