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एक दिन तुम मुख्य न्यायाधीश बनोगे, लेकिन...: जस्टिस गवई के पिता ने उनसे क्या कहा था

पिता का सपना पूरा करने के लिए जस्टस गवई ने अपने सपने को छोड़ दिया और लॉ कॉलेज में दाखिला ले लिया. वकालत की डिग्री पूरी करने के बाद उन्होंने 1985 में वकील के तौर पर प्रैक्टिस शुरू की थी. उनके अधूरे सपने के बारे में जानिए.

सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस गवई.

नई दिल्ली:

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई आज सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश बन गए. उन्होंने देश के 52वें CJI के तौर पर शपथ (Justice BR Gavai New CJI Oath) लेकर जस्टिस संजीव खन्ना की जगह ली. जस्टिस संजीव खन्ना मंगलवार को  51वें CJI पद से रिटायर हो गए थे. ये बात शायद बहुत ही कम लोगों को पता होगी कि CJI बनने जा रहे जस्टिस गवई आर्किटेक्ट बनना चाहते थे. लेकिन पिता की इच्छा पूरी करने के लिए वह वकील बन गए, ये जानकारी उनके करीबी सूत्रों के हवाले से सामने आई है. 

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अंबेडकरवादी नेता थे जस्टिस गवई के पिता

जस्टिस गवई के पिता रामकृष्ण सूर्यभान गवई एक फेमस अंबेडकरवादी नेता थे. वह रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के संस्थापक थे. उनको जानने वाले प्यार से उनको दादा साहब कहकर पुकारते थे. सूत्रों के मुताबिक, जस्टिस गवई के पिता आरएस गवई खुद भी वकील बनना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने लॉ स्कूल में दाखिला भी लिया था. लेकिन सामाजिक क्षेत्र में अपने कामकाज की वजह से वह दूसरे साल के बाद लॉ की पढ़ाई जारी नहीं रख सके. 

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वकील नहीं आर्किटेक्ट बनना चाहते थे जस्टिस गवई

वहीं जस्टिस गवई आर्किटेक्ट बनना चाहते थे. लेकिन पिता चाहते थे कि वह उनका वकील बनने का सपना पूरा करें. जिसके बाद उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया. वहां से लॉ की डिग्री ली और 16 मार्च, 1985 को वकील के तौर पर प्रैक्टिस शुरू की. बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सीके ठक्कर ने हाई कोर्ट के जस्टिस के रूप में उनकी नियुक्ति के लिए उनके नाम की सिफारिश करने के लिए उनकी परमिशन मांगी. लेकिन उनको इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी. हालांकि अपने पिता की सलाह पर उन्होंने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया. 

जस्टिस गवई के पिता ने उनसे कहा था, "तुम समाज में और ज्यादा योगदान दोगे. एक दिन तुम भारत के मुख्य न्यायाधीश बनोगे. लेकिन मैं वह दिन देखने के लिए वहां नहीं रहूंगा."  बता दें कि उनके पिता की मृत्यु 2015 में हुई थी . 

जस्टिस गवई की शिक्षा के बारे में जानिए

जस्टिस गवई ने अपनी पढ़ाई महाराष्ट्र के अमरावती के नगरपालिका प्राथमिक विद्यालय से शुरू की थी. बाद में जब उनके पिता महाराष्ट्र विधान परिषद के उपाध्यक्ष बने तो वह मुंबई के चिकित्सा समूह माध्यमिक शाला में पढ़ने चले गए. जबकि उनके भाई और बहन कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ते थे. उनकी मां कमलताई को लगता था कि मराठी माध्यम के स्कूल में पढ़ने वाले जस्टिस गवई अंग्रेजी में पिछड़ जाएंगे. उनकी मां ने इस बात पर जोर दिया कि उनका दाखिला कोलाबा के होली नेम हाई स्कूल में कराया जाए. 

  • जस्टिस गवई ने अपना करियर एक वकील के रूप में शुरू किया था.
  • जस्टस गवई ने बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस की.
  •  1990 के बाद उन्होंने नागपुर में प्रैक्टिस की.

 सिंघवी और तुषार मेहता ने की जस्टिस गवई पर क्या कहा?

वरिष्ठ वकील और सांसद डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उन्होंने अब तक जितने भी जस्टिस देखे, जस्टिस गवई उनमें सबसे व्यावहारिक और रिजल्ट-ऑरिएंटेड जजों में से एक है.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी जस्टिस गवई की विनम्रता की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि वह न सिर्फ प्रतिभाशाली हैं बल्कि विनम्र भी हैं.  उच्च संवैधानिक पद पर होने के बाद भी जमीनी से जुड़े शख्स हैं. वह बौद्धिक रूप से स्वतंत्र और पूरी तरह से निष्पक्ष हैं 

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