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'उसे कोई नहीं झुका सकता...' मां ने जस्टिस बी आर गवई को बताया डेयरडेविल

क्‍या घर में भी जस्टिस बीआर गवई एक जज ही रहते हैं या फिर... कमल ताई गवई कहती हैं बिल्‍कुल भी नहीं, घर पर लगता ही नहीं कि वह इतना बड़ा जज है. दरअसल, सेवा की भावना उसने अपने पिता से सीखी है.

मुझे यकीन वो देश के लोगों को इंसाफ देगा...

नई दिल्‍ली:

एक मां से बेहतर बेटे को कोई नहीं जानता है. मां ही बच्‍चे की पहली टीचर होती है, जो अच्‍छाई और बुराई का पाठ पढ़ाती है. भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बनने जा रहे जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई की मां का कहना है कि उनका बेटा डेयरडेविल है, जिसे कोई झुका नहीं सकता है. वह देश के लोगों को पूरी ईमानदारी के साथ इंसाफ देगा. जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई आज भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे. सीजेआई न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को समाप्त हो गया. न्यायमूर्ति गवई भारत के 52वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने जा रहे हैं. इस अवसर पर एनडीटीवी ने जस्टिस गवई की मां कमल ताई गवई से खास बातचीत की. इस दौरान कमल ताई गवई ने अपने बेटे को लेकर कई ऐसी बातें बताईं, जिससे जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई की छवि के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है.  

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई कैसे सीजेआई साबित होंगे? इस सवाल के जवाब में कमल ताई गवई कहती हैं, 'मेरे बेटे के दिल में जो होगा, वही करेगा. न्याय के रास्ते में उसे कोई नहीं झुका सकता. इसलिए वह एक अच्‍छा सीजेआई साबित होगा. वैसे भी वह एक डेयरडेविल  है... और साहसी लोग हर मुश्किल परिस्थिति का दृढ़ता के साथ सामना करते हैं, वह भी ऐसा ही करेगा. 

जस्टिस गवई के जज बनने के पीछे की कहानी भी बेहद दिलचस्‍प है. कमल ताई गवई बताती हैं, 'एक बार बाप बेटे में ये चर्चा हुई कि वकील बन कर पैसे कमाने चाहिए या जज बनकर लोगों को न्याय दिलाना चाहिए? इस पर लंबी बहस चली. कई तर्क दिये गए. आखिर में तय हुआ कि जज बनाना चाहिए. इसके बाद भूषण ने जज बनने का निर्णय लिया.' 

जस्टिस गवई का बंबई से दिल्‍ली तक का सफर

  • न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा. 
  • 23 नवंबर को 65 वर्ष की आयु होने पर न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल खत्म हो जाएगा.
  • वह 24 मई 2019 को हाई कोर्ट के न्यायाधीश बनाए गए थे.
  • न्यायमूर्ति गवई वर्तमान CJI खन्ना के बाद हाई कोर्ट के सबसे सीनियर जज हैं.
  • अमरावती में 24 नवंबर 1960 को न्यायमूर्ति गवई का जन्‍म हुआ था. 
  • 14 नवंबर 2003 को बंबई हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था.  
  • वह 12 नवंबर 2005 को हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बने. 
  • वह 16 मार्च 1985 को बार में शामिल हुए थे. 



क्‍या घर में भी जस्टिस गवई एक जज ही रहते हैं या फिर... कमल ताई गवई कहती हैं, 'बिल्‍कुल भी नहीं, घर पर लगता ही नहीं कि वह इतना बड़ा जज है. दरअसल, सेवा की भावना उसने अपने पिता से सीखी है. आज भी अगर घर में वो अकेले होता है, तो मेहमान को खुद से पानी लेकर देता है. वह हमेशा कहता है कि जब कुर्सी पर होता हूं, तब जज हूं... नहीं तो आम आदमी. जब पिताजी के साथ मुंबई में सामाजिक कार्यकर्ता की तरह काम करता था, उस वक़्त जमीन पर चादर बिछाकर भी सोता था. मुझे यकीन वो देश के लोगों को इंसाफ देगा.  

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