राहुल गांधी ने शुक्रवार को रायबरेली लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल किया. काफी सस्पेंस के बाद कांग्रेस ने पूर्व अध्यक्ष को वायनाड के बाद बहुचर्चित अमेठी की जगह रायबरेली से उतारा. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के परचा दाखिल करने के समय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, उनकी मां सोनिया गांधी और बहन प्रियंका गांधी भी मौजूद थीं. उन्होंने इसके बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया, जिसमें रायबरेली से नामांकन को राहुल गांधी ने एक भावुक पल बताया.
राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा, "रायबरेली से नामांकन मेरे लिए भावुक पल था. मेरी मां ने मुझे बड़े भरोसे के साथ परिवार की कर्मभूमि सौंपी है और उसकी सेवा का मौका दिया है. अमेठी और रायबरेली मेरे लिए अलग-अलग नहीं हैं, दोनों ही मेरा परिवार हैं और मुझे ख़ुशी है कि 40 वर्षों से क्षेत्र की सेवा कर रहे किशोरी लाल जी अमेठी से पार्टी का प्रतिनिधित्व करेंगे. अन्याय के खिलाफ चल रही न्याय की जंग में, मैं मेरे अपनों की मोहब्बत और उनका आशीर्वाद मांगता हूं. मुझे विश्वास है कि संविधान और लोकतंत्र को बचाने की इस लड़ाई में आप सभी मेरे साथ खड़े हैं."
रायबरेली से नामांकन मेरे लिए भावुक पल था!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 3, 2024
मेरी मां ने मुझे बड़े भरोसे के साथ परिवार की कर्मभूमि सौंपी है और उसकी सेवा का मौका दिया है।
अमेठी और रायबरेली मेरे लिए अलग-अलग नहीं हैं, दोनों ही मेरा परिवार हैं और मुझे ख़ुशी है कि 40 वर्षों से क्षेत्र की सेवा कर रहे किशोरी लाल जी… pic.twitter.com/g4E94zuOVf
गौरतलब है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पिछली बार की तरह इस बार भी दो लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. राहुल गांधी 2004 से लगातार तीन बार अमेठी निर्वाचन क्षेत्र से संसद सदस्य चुने गए थे. वो 2019 में बीजेपी नेता स्मृति ईरानी से चुनाव हार गए थे. वो अभी केरल के वायनाड निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस बार भी राहुल वायनाड से चुनाव मैदान में हैं. अब कांग्रेस ने उन्हें रायबरेली लोकसभा सीट से भी चुनाव मैदान में उतार दिया है.
राहुल गांधी ने 2004 में भारतीय राजनीति में कदम रखा और अपना पहला चुनाव अमेठी से लड़ा. यह वही सीट थी, जिसका प्रतिनिधित्व उनकी मां सोनिया गांधी (1999-2004) और उनके दिवंगत पिता राजीव गांधी ने 1981-91 के बीच किया था.
2004 में अमेठी से राहुल लगभग तीन लाख मतों के भारी अंतर से जीते. 2009 में वो फिर जीते, लेकिन 2014 में उनकी जीत का अंतर कम हो गया और 2019 में वो हार गए. उन्हें 2013 में कांग्रेस का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया और 16 दिसंबर, 2017 को उन्होंने पार्टी की कमान संभाली. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद उन्होंने मई में अध्यक्ष पद छोड़ दिया.
राहुल गांधी ने देशभर में निकाली यात्राएंइसके बाद से राहुल गांधी ने देशभर में यात्राएं निकालीं. कन्याकुमारी से कश्मीर तक की पैदल यात्रा के अलावा उन्होंने मणिपुर से मुंबई तक की यात्रा भी की. कांग्रेस नेताओं ने इन पहलों की पार्टी कार्यकर्ताओं व समर्थकों को प्रेरित करने के लिए सराहना की. गांधी ने हाल ही में कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और वंचित लोगों के लिए ‘न्याय' सुनिश्चित करना अब उनके जीवन का उद्देश्य है.
राहुल गांधी ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिये कांग्रेस के प्रचार अभियान में पांच न्याय - युवा न्याय, नारी न्याय, किसान न्याय, श्रमिक न्याय और हिस्सेदारी न्याय - की वकालत की है.
लगातार सुरक्षा खतरों के कारण राहुल और उनकी बहन प्रियंका की आगे की पढ़ाई घर पर ही हुई. अपनी स्नातक की पढ़ाई के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज में दाखिला लेने के एक साल बाद, वह हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए. अपने पिता की हत्या और उसके बाद उपजी सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर राहुल गांधी फ्लोरिडा के रोलिंस कॉलेज में स्थानांतरित हो गए. उन्होंने 1994 में स्नातक की डिग्री हासिल की.
एम.फिल की पढ़ाई कर चुके हैं राहुल
इसके बाद, 1995 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (ट्रिनिटी कॉलेज) से ‘डेवलपमेंट स्टडीज' में उन्होंने एम.फिल की पढ़ाई पूरी की. स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, राहुल ने लंदन में एक प्रबंधन परामर्श कंपनी, मॉनिटर ग्रुप में अपनी पेशेवर यात्रा शुरू की. बाद में वो भारत लौट आये और अंततः राजनीति में आए.
राहुल गांधी एक सर्टिफाइड स्कूबा गोताखोर हैं और अपनी फिटनेस के लिए जाने जाते हैं. उनके पास जापानी मार्शल आर्ट ऐकिडो में ब्लैक बेल्ट भी है.
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