इन दिनों एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) के राजनीतिक कदमों को समझने का प्रयास शुरू हो गया है. नीतीश के अपने कदमों में इतना अंतर्विरोध हो गया है कि उनके बारे में, सहयोगी हों या विरोधी सब एक बात पर सहमत हैं कि वो 'राजनीतिक ब्लैकमेलिंग' के दांव ज़रूर चल रहे हैं. इस ताज़ा राजनीतिक क़यासों का दौर शुक्रवार दोपहर को शुरू हुआ जब इस ख़बर की पुष्टि हुई कि नीतीश, तेजस्वी यादव द्वारा आयोजित इफ़्तार पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं.
इसके बाद नीतीश ने अपने घर से मात्र पचास मीटर की दूरी पैदल चलकर तय की, तेजस्वी के यहां पहुंचे और वहां करीब आधे घंटे बैठे और सबसे बात की. लगा कि राजनीतिक संबंधों में तनाव के कारण जो रिश्तों में खटास आई है, नीतीश उसे दूर करना चाहते हैं. यहां नीतीश की मुलाक़ात चिराग़ पासवान से भी हुई, जिन्होंने उनका पैर छूकर आशीर्वाद लिया.
लेकिन इस इफ़्तार में नीतीश-तेजस्वी के बीच फ़ोटो और वीडियो के आधार पर राजनीतिक अटकलें तेज होंगी, उसको भांपते हुए बिहार भाजपा के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने वरिष्ठ नेता शहनवाज़ हुसैन को भेज दिया जो डैमेज कंट्रोल करने में माहिर माने जाते हैं.
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इस इफ़्तार में नीतीश कुमार की उपस्थिति से साफ़ था कि वो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे से एक दिन पूर्व ये संदेश देने में कामयाब रहे कि सरकार और उनके भविष्य को लेकर अगर भाजपा अधिक चर्चा करेगी तो उसको कैसे काउंटर किया जाता है, वो उसकी कला जानते हैं. नीतीश के भाजपा के सम्बंध इसलिए सामान्य नहीं हो सकते उसके पीछे की ये राजनीतिक सच्चाई है कि उनको हाशिये पर लाने में राजद जैसे विरोधियों से अधिक 'भाजपा के एक तबके की उनके ऊपर कृपा' है, जिसकी वजह से वो ना केवल नम्बर तीन की पार्टी हैं बल्कि विधान परिषद चुनाव में कई सीट हारे जिसमें उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का मुंगेर सीट भी शामिल हैं. यहां भाजपा नेताओं ने खुलकर पार्टी प्रत्याशी का विरोध किया था.
हालांकि, शनिवार सुबह वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नीतीश कुमार ने सफ़ाई ज़रूर दी क्योंकि जो राजनीतिक चर्चा शुरू करनी थी उसमें वो कामयाब रहे.
@NitishKumar ने आज @yadavtejashwi के आयोजित इफ़्तार में भाग लेने के बाद सफ़ाई कुछ इस तर्क से दी @ndtvindia @Anurag_Dwary pic.twitter.com/ErmbULJA4I
— manish (@manishndtv) April 23, 2022
लेकिन नीतीश कुमार ने भले सफ़ाई दे दी लेकिन इसी जगह उन्होंने बीर कुंवर सिंह जयंती के बहाने भाजपा को घेरने की अपनी प्रवृति से बच नहीं पाये . और उन्होंने उनकी जयंती को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने की मांग कर भाजपा के रंग में भंग करने की कोई कसर नहीं छोड़ी. हालांकि नीतीश ने इससे पूर्व ऐसी मांग कभी नहीं की थी, लेकिन जिस भव्य तरीक़े वे भाजपा ने इस बार उनके जयंती को मनाया नीतीश को निश्चित रूप से नागवार गुज़रा है. हालांकि नीतीश ने अपने पार्टी के नेताओं को समानांतर कोई सभा इस अवसर पर करने का कोई सहमति भी नहीं दी, जो उनकी सत्ता में बने रहने की मजबूरी कहा जा सकता है.
@NitishKumar को जब ये लगा कि वीर कुँवर सिंह जयंती के बहाने भाजपा उनको अपना प्रतीक बना रही हैं तो उन्होंने उल्टे उन्हें घेरने के लिए यह माँग कर डाली कि उनके जयंती को राष्ट्रीय स्तर पर मनाना चाहिए @ndtvindia @Anurag_Dwary pic.twitter.com/ODSE5SnTP8
— manish (@manishndtv) April 23, 2022
हालांकि नीतीश यह मांग करने के कुछ घंटों के अंदर ही पटना एयरपोर्ट पर अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों और अधिकारियों के साथ उपस्थित थे, जहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जगदीशपुर जाने के क्रम में पहुंच रहे. केंद्रीय गृहमंत्री के स्वागत से साफ़ हैं कि नीतीश फ़िलहाल भाजपा को एक सीमा से अधिक नाराज़ करने के स्थिति में नहीं हैं, लेकिन नीतीश के नज़दीकियों के अनुसार नीतीश सत्ता में तो भाजपा के साथ ही बने रहना चाहते हैं लेकिन अपने पुराने रसूख़ के अनुसार, जो इस कार्यकाल में उनकी संख्या के कारण कोई उन्हें ना इज्ज़त देता है और तो और भाजपा से अकसर भीतरघात का सामना करना पड़ता है.
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