यूपी के जौनपुर की अटाला मस्जिद पर सुनवाई करते हुए जौनपुर की न्यायालय जूनियर डिवीजन शहर ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद 2 मार्च की तारीख तय की है. मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला देते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर कोई भी सर्वे करने का आदेश पारित नहीं हो सकता है. इसलिए उस संबंध में कोई भी आदेश न दिया जाए. वहीं हिंदू पक्ष के अधिवक्ता राम सिंह ने कहा जो सर्वोच्च न्यायालय का आदेश है वह नए मामले को लेकर है न कि पुराने मामले को लेकर. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद 2 मार्च 2025 की तारीख नियत की गई है.
अटाला देवी मंदिर पर मस्जिद बनाए जाने का आरोप
जानकारी के मुताबिक, स्वराज वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार मिश्रा ने पीस कमेटी जामा मस्जिद (अटाला मस्जिद) मोहल्ला सिपाह के खिलाफ वाद दायर किया कि 13वीं शताब्दी में राजा विजय चंद्र ने अटाला देवी की मूर्ति स्थापित कर मंदिर बनवाया था जिसमें लोग पूजा कीर्तन करते थे. 13वीं शताब्दी में फिरोज शाह तुगलक ने जौनपुर पर आक्रमण किया और जौनपुर पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया. उसने अटाला देवी मंदिर की भव्यता देखकर उसमें तोड़फोड़ कराई.
मंदिर के खंभों पर ही मस्जिद का दिया गया आकार
हिंदू धर्मावलंबी के प्रबल विरोध के कारण पूरी तरह तोड़ नहीं पाया और मंदिर के खंभों पर ही मस्जिद का आकार दिया जो वर्तमान में अटाला मस्जिद है. यहां इस्लाम धर्म के लोग नमाज इत्यादि करते हैं. सनातन धर्म के व्यक्तियों का वहां प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है. 1408 में शर्की शासक इब्राहिम शाह ने पुनः मंदिरों को मस्जिद का मुकम्मल आकार दिया. अटाला मस्जिद अटला देवी का मंदिर है. यह तथ्य इतिहासकार अबुल फजल की रचना आईने अकबरी में मिलती है. रचनाओं में पूर्णतया स्पष्ट है कि मंदिर के खंभों इत्यादि पर आज भी हिंदू स्थापत्य एवं वास्तुकला तथा हिंदू रीति रिवाज के चिन्ह एवं अवशेष मौजूद हैं. सनातन धर्मावलंबियों को वहां पूजन कीर्तन करने का अधिकार है. (राजेश श्रीवास्तव की रिपोर्ट)
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