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This Article is From Jul 12, 2022

NDTV Exclusive: क्या वाकई राष्ट्रीय प्रतीक पर शेर 'क्रोधित' दिख रहे हैं? सुनिए अशोक स्तंभ के मूर्तिकारों का जवाब

नए संसद भवन के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ को बनाने वाले मूर्तिकारों का कहना है कि उनकी कलाकृति और मूल रचना में कोई फर्क नहीं है. सुनील देवरे और रोमिल मोजेज की जोड़ी ने NDTV के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा कि काफी गहन अध्ययन औऱ रिसर्च करने के बाद काफी मेहनत से इस नेशनल एंबलम को बनाया गया है.

अशोक स्तंभ को बनाने वाले मूर्तिकारों का कहना है कि उनकी कलाकृति और मूल रचना में कोई फर्क नहीं है

नई दिल्ली:

नए संसद भवन के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ को बनाने वाले मूर्तिकारों का कहना है कि उनकी कलाकृति और मूल रचना में कोई फर्क नहीं है. सुनील देवरे और रोमिल मोजेज की जोड़ी ने NDTV के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा कि काफी गहन अध्ययन औऱ रिसर्च करने के बाद काफी मेहनत से इस नेशनल एंबलम को बनाया गया है. सुनील देवरे ने कहा कि एक कलाकार के रूप में मुझे काफी संतुष्टि मिली है कि जो मैं बना रहा हूं उसे लोग आने वाले कई वर्षों तक देखेंगे.

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की ओर से नए संसद भवन के ऊपर राष्‍ट्रीय प्रतीक अशोक स्तम्भ के अनावरण ने बड़े विवाद को जन्‍म दे दिया है. अशोक स्तंभ में शेर  की बनावट औऱ आकृति को लेकर विपक्षी दलों की आपत्ति है. विपक्ष का कहना है कि इस चिह्न में शेर को आक्रामक और गुस्सैल दिखाया गया है. बड़े – बड़े दांतों को प्रमुखता से दिखाया गया है जबकि मूल चिह्न में शेर काफी सौम्य दिखाई दे रहा है.   

मूर्तिकार सुनील देवरे से जब ये सवाल पूछा गया कि विपक्ष के आरोपों में कितना दम है तो उन्होंने कहा,”हमने म्यूजियम में जाकर काफी रिसर्च किया है ...जो रेप्लीका है वो करीबन ढ़ाई फीट का ही है...जब हम इसे बड़ा करते हैं तो सब कुछ फैल जाता है.... संसद में हम इसे 100 मीटर के दायरे से देखेंगे ... तो इसलिए हमने काफी बारीकी से काम किया है ...ताकि दूर से देखने पर भी वो बिल्कुल औरिजनल जैसा ही दिखे.”

सुनील कहते हैं,”शेर का एक चरित्र होता है और जो एम्बलम में चरित्र है वही चरित्र इसमें भी है ... कोई बदलाव नहीं है...मैंने बंगलुरू , चेन्नई , भोपाल हरेक जगह जा कर अशोक स्तंभ का अध्ययन किया. और फिर जैसा रिजल्ट चाहता था वैसा ही मिला.”

यह पूछे जाने पर कि 9500 किलोग्राम की आकृति को बनाना कितना चुनौती से भरा हुआ था, सुनील देवरे कहते है ,”ये हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती थी. हमने पहले तीन मॉडल बनाया..फिर हमने थोड़ा एनलार्ज किया.....डिटेल के लिए हमने थोड़ा थोड़ा चेंजे किया है लेकिन 99 प्रतिशत हमने अशोका स्तंभ की तरह ही लिया...इस मॉडल को हमने आर्किटेक्ट टीम  से एप्रूव करवाया...और फिर हमने इसका एनलार्ज्ड मॉडल औरंगाबाद में बनाया ...फिर हमने क्ले मॉडल बनाया.... औऱ फिर इसका मॉडल को कास्ट में ले कर गए..तो हमारे लिए चुनौती ये था कि पार्लियामेंट में जो क्रेन है उसकी क्षमता 1.5 टन है...तो हमको इसे पांच पार्ट में करना पड़ा ..उसके 70 से ज्यादा पार्टस बने और धीरे धीरे  हम इसे क्रेन पर ले गए....और फिर इसे स्थापित करते गए.”

राष्ट्रीय प्रतीक की आकृति पर उठ रहे विवाद को खारिज करते हुए एख दूसरे मूर्तिकार रोमिल मोजेज ने कहा,”यहां काफी बड़ी आकृति लगाई गई है. हरेक पार्ट काफी बड़ा दिखता है..और फिर ये भी इस बात पर निर्ङर करता है कि आप इसे किस एंगल से देख रहे हैं. बहरहाल, दूर से देखने पर ये बिल्कुल वैसा ही दिखेगा जैसा हम देखते आए हैं.”

रोमिल कहते हैं,”ये शेर चारों दिशा में शांति का संदेश दे रहे हैं ....और ये कभी गुस्सैल हो ही नहीं सकते.”

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