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नई दिल्‍ली:

NDTV एक खास प्रोग्राम 'NDTV Creator's Manch' लेकर आया. इस मंच पर अपने-अपने क्षेत्र के कई दिग्गज शामिल हुए. दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में इस मंच पर गीतकार और लेखक जावेद अख्तर, कवि कुमार विश्वास, फिल्म निर्देशक इम्तियाज अली और उपन्यास लेखक चेतन भगत जैसे कलाकार पहुंचे. NDTV Creators मंच भारतीय कला, साहित्य और संस्कृति की विविध आवाजों का उत्सव है. यह एक प्रतिष्ठित सांस्कृतिक संगोष्ठी है, जिसमें देशभर से प्रसिद्ध लेखक, गीतकार, कवि, आलोचक, पाठक और फिल्म जगत की हस्तियां एकत्रित हुईं. इस आयोजन का उद्देश्य साहित्य, अभिव्यक्ति और सांस्कृतिक संवाद के माध्यम से समकालीन भारत की रचनात्मकता को मंच देना था. यह मंच विचारों के आदान-प्रदान, अनुभवों की साझेदारी और भाषा तथा पहचान जैसे ज्वलंत मुद्दों पर विमर्श के लिए समर्पित है. यह मंच इस बात की पुष्टि करता है कि शब्दों में आज भी प्रेरित करने, सवाल उठाने और समाज को जोड़ने की शक्ति है. तकनीक, सोशल मीडिया और AI के दौर में भी साहित्य की प्रासंगिकता पर विचार-मंथन इस कार्यक्रम की विशिष्टता है. Creators मंच, भारत की सांस्कृतिक विरासत और रचनात्मक भविष्य दोनों का उत्सव है.

NDTV Creators Manch Highlights...

अब तक कुल 23 लोगों की गिरफ्तारी - इटावा कथावाचक

इटावा कथावाचक विवाद को लेकर ज़िले के एसएसपी बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने NDTV से बताया कि इस मामले में अब तक कुल 23 लोगों की गिरफ्तारी की गई है. इनमें कथावाचक के साथ बदसलूकी के केस में अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है, वहीं यादवों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा को लेकर कुल 19 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. उन्होंने बताया कि मुकुट सिंह उर्फ मुकुट मणि अग्निहोत्री का वो वाला आधार कार्ड बरामद कर लिया गया है, जिसमें नाम में अग्निहोत्री लिखा हुआ है. उस कार्ड के असली या नकली होने की जांच की जा रही है. एसएसपी ने कहा कि फिलहाल ये जांच झांसी जोन को सौंप दी गई है. 

हिंसा से सपा का कोई लेना-देना नहीं : प्रदीप शाक्य

इटावा ज़िले के समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष प्रदीप शाक्य ने कल हुई हिंसा को लेकर दावा किया कि इससे सपा का कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने दावा किया कि गगन यादव नाम के एक यूट्यूबर ने सोशल मीडिया में प्रदर्शन की अपील की थी और उसी के बुलावे पर कुछ युवा इकट्ठे हुए थे. उन्होंने कहा कि जितने भी युवा प्रदर्शन के लिए आए थे, उनमें सपा का कोई भी नहीं था, ज़्यादातर बाबरी लोगों ने हिंसा की. उन्होंने आरोप ये भी लगता कि ये हिंसा बीजेपी ने जानबूझकर कराया है, ताकि वो सपा को बदनाम कर सकें. प्रदीप शाक्य ने प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब यूट्यूबर लोगों से इकट्ठा होने की अपील कर भीड़ ला रहा था, तब पुलिस प्रशासन कहां था? तब क्यों नहीं एलआईयू या पुलिस की इसकी भनक लगी. उन्होंने गिरफ्तारियों पर भी सवाल करते हुए कहा कि इटावा पुलिस बेकसूर लोगों को गिरफ़्तारी कर रही है.

इटावा कथा वाचक कांड पर पहली बार बोले कुमार कुमार

कथावाचक विवाद पर जानें क्या बोले कुमार विश्वास

कथावाचक विवाद पर कुमार विश्वास ने कहा कि यदुवंशी भाई भागवत में कृष्ण की कथा ही सुना रहा है. वेद व्यास और महर्षि वाल्मीकि दोनों ब्राह्मण थे. किसी को कथा कहने से वंचित करना ठीक नहीं है.  ये स्वीकार करने योग्य नहीं. मुझे प्रसन्नता है कि प्रदेश की सरकार ने कदम उठाया. 

दिल से दिल तक और सफर कोई दिवाना से अपने-अपने राम तक' मशहूर कवि और वक्ता कुमार विश्वास से बातचीत

जिंदगी की तेज रफ्तार के बीच कैसा हो संगीत? जावेद अख्तर ने बताया

उम्र के जिक्र पर जावेद अख्तर की हाजिरजवाबी ने लूटी महफिल

'कमा रही महिला मर्जी से तलाक ले तो लड़के को गुजारा भत्ता देने की जरूरत नहीं' - जया किशोरी

'मैंने मोबाइल में बना रखा है शादी का फोल्डर' - शादी के सवाल पर जया किशोरी का दिलचस्प जवाब

एक अच्छे शायर और लेखक के लिए क्या जरूरी? जावेद अख्तर ने नए लेखकों को दिया खास मंत्र

जिनकी कलम ने सबके मन को छुआ... मिलिए जावेद अख्तर से

अच्छी मेंटल हेल्थ के लिए रोज कौन सी आदत ज़रूरी है? जया किशोरी से सुनिए

मन की बात जया किशोरी के साथ

मशहूर कहानियां मुकम्मल क्यों नहीं होती, अधूरी कहानियां ही क्यों रह जाती हैं दिल में? इम्तियाज़ अली से सुनिए

आलोक श्रीवास्तव की जुबानी आशुतोष राणा वाले दिव्य शिव तांडव स्तोत्र की कहानी

'सफरनामा-इम्तियाज़ की कहानियों का कारवां'

चेतन भगत की कलम का सफर... NDTV Creators Manch पर मशहूर उपन्यास लेखक

'पापा मुझपे गर्व कर पाए या नहीं...' - रुचिका लोहिया की कविता

'सुना है खूबसूरत चीजों को नजर बहुत जल्दी लगती है...' सुनें कवि कोपल की कविता

NDTV क्रिएटर्स मंच में पहुंचे कवि आलोक श्रीवास्तव ने जब सुनाई स्व रचित ये पंक्तियां

स्‍त्री, पुरुष नहीं बनना चाहती: प्रोफेसर अनामिका

NDTV Creators मंच पर 'स्‍त्री की नई छवि: देह, मन और स्त्री भाषा' सेशन में प्रोफेसर अनामिका ने कहा कि आज की स्‍त्री स्‍पेस पुरुषों को दे भी रही है. 1960 से अब तक तक नारियों का स्‍वभाव बदलता रहा है. स्‍त्री, पुरुष नहीं बनना चाहती, लेकिन पुरुष को साथ लेकर चलना चाहती है.  

परिवार में भी लिखने की परंपरा रही'- जनरल मनोज मुकुंद नरवणे

जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने बताया...कलम या तलवार क्‍या थामना ज्‍यादा मुश्किल?

कलम या तलवार क्‍या थामना ज्‍यादा मुश्किल: जनरल मनोज मुकुंद नरवणे

जनरल मनोज मुकुंद नरवणे दिसंबर 2019 से 2022 तक भारतीय सेना प्रमुख रहे. जनरल मनोज मुकुंद नरवणे एक लेखक भी हैं. तो कलम या तलवार क्‍या थामना ज्‍यादा मुश्किल है. जनरल ने बताया, 'कलम का ही इस्‍तेमाल ज्‍यादा करना चाहिए. अगर आप किसी आर्मी मैन से पूछेंगे, तो हम यही कहेंगे कि पहले बातचीत होनी चाहिए. युद्ध आखिरी विकल्‍प होना चाहिए. युद्ध से पहले बातचीत होनी चाहिए. कलम और तलवार दोनों के घाव की बात करें, तो कलम का घाव ज्‍यादा समय तक रहता है.

धारा 370 हटने से कैसे बौखला गया था पाकिस्‍तान, पूर्व राजनयिक अजय बिसारिया ने बताया

जम्‍मू-कश्‍मीर से जब धारा 370 हटाई गई, तब पूर्व राजनयिक अजय बिसारिया पाकिस्‍तान में तैनात थे. लेकिन जैसे ही धारा 370 को हटाया गया, वैसे ही अजय बिसारिया को पाकिस्‍तान से निष्‍कासित कर दिया गया था. इस लम्‍हे को याद करते हुए अजय बिसारिया ने बताया, 'पाकिस्‍तान एक अद्भुत देश है और उसके साथ हमारे रिश्‍ते नॉर्मल नहीं हैं. अगस्‍त 2019 में मैं पााकिस्‍तान से निकला था. तब पाकिस्‍तान को बहुत धक्‍का लगा था. उसे लगा ही नहीं था कि भारत एक ऐसा कदम उठा भी सकता है. वहां, एक ऐसी अफवाह उड़ी कि भारत ने पाकिस्‍तान को पूरी तरह से ले लिया है. इसके बाद वहां काफी बौखलाहट थी. वे सेना कश्‍मीर भेजने के बारे में सोच रहे थे, वे कबालियों को खैबर पख्तूनख्वा के जरिए भेजने पर भी विचार कर रहे थे. लेकिन तब के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ऐसा करने से सेना को रोका. उन्‍होंने कहा कि हम भारत के खिलाफ ऐसा कदम नहीं उठा सकते, क्‍योंकि वे बेहद पावरफुल हैं. इसके बाद उन्‍होंने मुझे बुलाया और पाकिस्‍तान से जाने के लिए कह दिया.   

बच्‍चा-बच्‍चा जानता था कराची में दाउद इब्राहिम का घर : पूर्व राजनयिक रुचि घनश्‍याम

पूर्व राजनयिक रुचि घनश्‍याम ने बताया कि पाकिस्‍तान के कराची में सभी को पता था कि दाउद इब्राहिम का घर कहां है. मुझे भी हमारे ड्राइवर ने उसके घर का पता बताया था. एक दिन हम कराची में कार में बैठकर कहीं जा रहे थे, तो हमारे ड्राइवर ने बताया कि मेडम ये बेनजीर भुट्टो का घर है और आगे जाकर दाउद इब्राहिम का घर पड़ता है. तो मैं पहले यह जानकर चौंक गई, लेकिन बाद में पता चला कि वहां बच्‍चा-बच्‍चा जानता है कि दाउद इब्राहिम का कराची में कहां घर है. दाउद का कराची में सिर्फ एक नहीं, एक से ज्‍यादा घर हैं. इस बात को हमने पाकिस्‍तान को वर्ल्‍ड बैंक की ग्रे लिस्‍ट में शामिल करने के मुद्दे पर उठाया था. 

NDTV Creators मंच पर 3 पूर्व राजनयिक

'लेखन- कितना मुश्किल कितना आसान' सेशन के दौरान पूर्व राजनयिक अजय बिसारिया, पूर्व राजनयिक रुचि घनश्‍याम और पूर्व राजनयिक डीपी श्रीवास्‍तव NDTV Creators मंच पर एक साथ नजर आए. इस दौरान  रुचि घनश्‍याम ने बताया कि वह पहली ऐसी ऐसी महिला राजनयिक थीं, जो इस्‍लामाबाद में काम करने के लिए पहुंची थीं. उन्‍होंने बताया कि पाकिस्‍तान को लेकर मेरे मन में बहुत जिज्ञासा थी. मेरे पति भी राजनयिक थे. हम दोनों की पोस्टिंग पाकिस्‍तान में हुई थी. जब हम वहां पहुंचे, तो मन में कोई डर में नहीं था. लेकिन वहां इतनी सारी घटनाएं हुईं, जिससे डर लगने लगा. एक बार तो ऐसा लगा कि कहीं इंडियन एयरफोर्स के बम से ही हम न मारे जाएं.   

समाज को संबोधित कविताएं...

हर कविता अपने पाठक या श्रोता को तलाशती है?

NDTV Creators Manch: कला और जीवन...

कला और जीवन... कविता किसके लिये

NDTV Creators मंच पर पहुंचे कई मशहूर कवियों ने बताया कि कोई कविता कब सफल होती है. 'कला और जीवन' सेशन में गगन गिल, मनीषा कुलशेष, अविनाश मिश्रा और प्रोफेसर अनुपम प्रियदर्शी मंच पर उपस्थित रहे. गगन गिल ने बताया कि हमें कविताएं पाठकों को ध्‍यान में रखकर लिखनी चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं है. 

कैसे कोई गाना वायरल होता है... डमरू ऐप के फाउंडर राम मिश्रा ने बताया

कोई गाना वायरल कैसे होता है... डमरू ऐप के फाउंडर राम मिश्रा ने बताया, 'आपको गूगल की एल्‍गोरिदम या वायरल करने की सोच के साथ किसी गाने को नहीं लिखना है. आपको हमेशा अपने दिल से धुन बनानी चाहिए. गाना बनाए, जो लोगों के दिलों का छू दे. गूगल की किसी एल्‍गोरिडम को सोचकर न बनाएं. अगर आप ऐसा करेंगे, तो बेहद मुश्किल है. कुमार विश्‍वास ने 'कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है', किसी एल्‍गोरिदम को सोचकर नहीं लिखा था. लेकिन ये बिक भी रहा है और सालों से टिका भी हुआ है.

जब तक आप बिकना शुरू नहीं होते हैं... डमरू ऐप के फाउंडर ने बताया कैसे गायकों को मिल रहा मंच

डमरू ऐप के फाउंड राम मिश्रा ने बताया कि अगर आपने एक अच्‍छा गाना बनाया है और आपको एक प्‍लेटफॉर्म चाहिए, तो ऐसे लोगों के लिए डमरू ऐप अच्‍छी जगह है. जब तक आप बिकना शुरू नहीं होते हैं, जब तक आपके गाने लोगों तक पहुंचे शुरू नहीं होते हैं, तब तक कितना भी जोर लगा लीजिए दूसरे प्‍लेटफॉर्म पर आपको डिस्‍कवरी नहीं मिलेगी. वहीं, अगर आप डमरू पर आते हैं, तो हम पूरा जोर लगाते हैं कि गाना ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों तक पहुंचे. गायक को पहचान मिल सके. 

'गुनाहों का देवता' को बेहद कमजोर मानते थे धर्मवीर भारती

वाणी प्रकाशन की सीईओ अदिति माहेश्‍वरी ने बताया कि हर युग में हर तरह का साहित्‍य लिखा गया है. जो जिस युग में लिखा गया, वो उस युग का सर्वश्रेष्‍ठ साहित्‍य नहीं माना गया, लेकिन आने वाली पीढि़यां उसे वो दर्जा देती हैं. जैसे धर्मवीर भारती के शब्‍दों में 'गुनाहों का देवता' उनकी सबसे कमजोर किताब थी. वह इसके फाइनल ड्राफ्ट से भी बेहद खुश नहीं थे. लेकिन आज 'गुनाहों का देवता' जिस मुकाम पर पहुंच गई है, उसे देखा जा सकता है. अगर भारती जी आज जीवित होते, तो बेहद निराश भी होते कि 'गुनाहों का देवता' को इतना क्‍यों पसंद किया जा रहा है.क्‍योंकि इसके अलावा उनकी किताबे- सूरज का सातवां घोड़ा और अंधयुग भी मौजूद है. कहने का मकसद ये है कि क्‍या लिखा जा रहा है, क्‍या टिक रहा है और क्‍या पसंद किया जा रहा है, ये सब उस युग पर निर्भर करता है.   

'क्या बिकता है, क्या टिकता है- साहित्य के दो छोर'

वाणी प्रकाशन की सीईओ अदिति माहेश्‍वरी, पेंगुइन पब्लिकेशन में पब्लिशर मिली ऐश्‍वर्या और डमरू ऐप के फाउंड राम मिश्रा ने  NDTV क्रिएटर्स मंच पर 'क्या बिकता है, क्या टिकता है- साहित्य के दो छोर' मुद्दे पर अपने विचार रखे. मिली ऐश्‍वर्या ने बताया, 'हम यही चाहते हैं कि हर किताब लंबे समय तक टिकी रहे. रिडर उसे पसंद करें. लेकिन हर नई किताब को लेकर उत्‍सुकता रहती है. नई किताब का बिकना और टिकना भी बेहद जरूरी है. इसलिए बिकना और टिकना दोनों ही बेहद जरूरी है.  

क्‍या कोई नया अशोक चक्रधर बन सकता है?

अशोक चक्रधर से जब पूछा गया कि क्‍या कोई नया कवि उन जैसा बन सकता है, तो उन्‍होंने कहा, 'ऐसा कुछ नहीं होता, मेरे अंदर अगर किसी प्रकार का कोई कवि है, तो पहले श्रेय मेरे पिता राधे श्‍याम जी को जाता है. वह महान कवि थे. फिर उनके जो कवि मित्र आते थे, उनकी जैसी कविताएं लिखने का मन करता था. मैंने हरिवंश राय बच्‍चन के साथ भी कविता का पाठ किया है. इसलिए आप कह सकते हैं कि मैं भी हड़प्‍पा संस्‍कृति से हूं.' अशोक चक्रधर का इतना कहना था कि भी ठहाके मारकर हंसने लगे.  

जहां न पहुंचे रवि, कवि... वहां पहुंचे अनुभवी : अशोक चक्रधर

हिन्दी भाषा के सुप्रसिद्ध लेखक व हास्य कवि अशोक चक्रधर ने अपनी लोकप्रिय गजल 'गर तू दरिंदा है...' सुनाकर समां बांध दिया. इस दौरान पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज गया. अशोक चक्रधर ने इस दौरान शुभांशु शुक्‍ला की भी तारीफ की जो 40 साल बाद अंतरिक्ष में गए हैं. उन्‍होंने कहा, पहले कहते थे- जहां न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि. लेकिन अब माहौल है- जहां न पहुंचे रवि, कवि... वहां पहुंचे अनुभवी. 

पहली कविता क्‍लास टीचर के लिए लिखी थी: साक्षी तिवारी

देशभक्ति की कविताओं के लिए पहचानी जाने वालीं साक्षी तिवारी ने बताया कि सोशल मीडिया एक ऐसा मंच है, जहां हम अपनी आवाज को एक साथ कई लोगों तक पहुंचा सकते हैं. आज युवा वर्ग भी कविताओं के प्रति आकर्षित हो रहे हैं. मेरी मां भी कवित्री हैं, इसलिए मैंने काफी छोटी उम्र से ही कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं. मैंने अपनी पहली कविता क्‍लास टीचर के लिए लिखी थी. इसके बाद देशभक्ति की कविताएं लिखने लगीं. 

राम भजन के साथ NDTV क्रिएटर्स मंच की शुरुआत

NDTV क्रिएटर्स मंच कार्यक्रम की शुरुआत राम भजन के साथ हुई. लोकप्रिय राम भजन 'राम आएंगे तो अंगना सजाऊंगी' की गायिका स्‍वाति मिश्रा ने भजन की कुछ पक्तियां गुनगुनाई, जिससे पूरा माहौल रामधुन में रम गया.  स्‍वाति मिश्रा ने बताया कि  वह इस भजन को 1 करोड़ बार गा चुकी हैं. स्‍वाति मिश्रा ने बताया कि वह जिस भी मंच पर जाती हैं, तो उन्‍हें 'राम आएंगे तो अंगना सजाऊंगी' की फरमाइश सुनने को मिलती है. मुझे सपने में भी लोग 'राम आएंगे' की फरमाश करते दिखते हैं. 

NDTV क्रिएटर्स मंच: कला, साहित्य और संस्कृति की विविध आवाजों का उत्सव...

NDTV Creators मंच: दिग्‍गजों का होगा जमावड़ा

NDTV Creators मंच पर कई सितारे चमकेंगे. जावेद अख्तर, जिनकी शायरी और संवाद भारतीय सिनेमा की आत्मा बन गए हैं. चेतन भगत जिन्होंने नई पीढ़ी को उपन्यासों की तरफ मोड़ा और हिंदी-अंग्रेज़ी की खाई पाट दी. इम्तियाज़ अली, जिनकी फिल्मों में किरदार भी यात्राएं करते हैं और दर्शक भी. गगन गिल, एक ऐसा नाम जिन्होंने कविता को अपनी भाषा और संवेदना से एक ऊंचाई दी. गरिमा श्रीवास्तव, दिव्य प्रकाश दुबे, सत्या व्यास, अविनाश मिश्र, ये सब वे नाम हैं जो हिंदी साहित्य और पटकथा लेखन को नई दिशा और नया पाठक वर्ग दे रहे हैं. कुमार विश्वास जिनकी कविता न केवल मंच पर गूंजती है बल्कि जनमन में भी बसती है.

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