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This Article is From Jul 01, 2020

कोरोना के दौर में बाढ़ से बचाव के दौरान NDRF बरतेगा सतर्कता, नया SOP अपनाया जाएगा

एनडीआरएफ ने कोविड के समय में बाढ़ के दौरान बचाव और प्रभावितों को निकालने की प्रक्रिया में नए मानक तय किए

कोरोना के दौर में बाढ़ से बचाव के दौरान NDRF बरतेगा सतर्कता, नया SOP अपनाया जाएगा
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) द्वारा उन सभी लोगों के लिए थर्मल स्क्रीनिंग अनिवार्य कर दी गई है, जिन्हें इस मानसून और बाढ़ के मौसम में फंसे होने पर सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया जाएगा. एनडीआरएफ ने कोविड के समय में बाढ़ के दौरान बचाव और प्रभावितों को निकालने की प्रक्रिया में नए मानक तय किए हैं. पश्चिम बंगाल में चक्रवात अम्फन के दौरान 76 एनडीआरएफ कर्मी संक्रमित हो गए थे, इसीलिए नए एसओपी (SOP) की आवश्यकता महसूस की गई थी.

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया, ''इस कोविड-19 ​​के समय में फ्लड वाटर रेस्क्यू बहुत चुनौतीपूर्ण है, इसलिए इस नए एसओपी का मसौदा तैयार किया गया है. उनके अनुसार नई नियम पुस्तिका में कोविड और स्पर्शोन्मुख रोगियों की सक्रियता, परिचालन संबंधी तैनाती, निष्क्रियता और हैंडलिंग के बारे में बात की गई है.

अधिकारी ने बताया कि "आईएमडी ने सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की है और बाढ़ के दौरान एनडीआरएफ की टीमों की जिम्मेदारी पहले है इसलिए टीम बड़ी संख्या में लोगों और समुदाय के संपर्क में आएगी. इस नए एसओपी का उद्देश्य हालात के मद्देनजर एक नई कार्य योजना तैयार करना है. ” 

नई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) की नई नियम पुस्तिका को बाढ़ के दौरान प्रभावितों की निकासी के लिए परिचालित किया गया है. NDTV को प्राप्त इस दस्तावेज के अनुसार सभी लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग नहीं की जानी चाहिए, लेकिन यदि संभव हो तो COVID-19 के लक्षणों की प्रश्नावली होनी चाहिए. उस व्यक्ति से पूछा जाएगा जिसे स्थानांतरित करने की आवश्यकता है.

नई बाढ़ आपदा प्रतिक्रिया एसओपी में कहा गया है कि "बड़े पैमाने पर भीड़ जुटने या लोगों को निकालने के दौरान, वाहनों, नावों, राफ्टों की 50 प्रतिशत क्षमता का उपयोग करके सामाजिक दूरी का पालन किया जाना चाहिए." इसके अनुसार बाढ़ के दौरान सभी को संक्रमण से बचाव के लिए पीपीई पहननी चाहिए और कमांडर को बचाव दल के रोटेशन को सुनिश्चित करना चाहिए. 

एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि "ऑपरेशन के दौरान टीमों को सलाह दी गई है कि वे दो नावों और बचाव दल का इस्तेमाल कहीं भी न करें." उनके अनुसार नए नियमों के अनुसार पीड़ितों के बैठने के उद्देश्य के लिए प्रत्येक सीट पर प्लास्टिक शीट का उपयोग किया जाना चाहिए, ताकि नाव को आसानी से साफ किया जा सके. उन सभी के लिए एक सख्त प्रोटोकॉल हो जिसमें यह साफ हो कि कोई कोरोना पॉजिटिव तो नहीं है, या COVID के लक्षण तो नहीं दिख रहे हैं. एक विशेष पीपीई किट जिसमें फेस शील्ड, दस्ताने, मास्क आई प्रोटेक्शन एनडीआरएफ बचाव दल द्वारा ले जाए जाएंगे. अधिकारी ने कहा कि “संक्रमित व्यक्ति को अलग नाव में न्यूनतम संख्या में बचाव दल के साथ निकाला जाएगा. कमांडर को भी निर्देश दिया गया है कि निकालने के बाद में एम्बुलेंस की व्यवस्था की जाए.” 

वायरस पीड़ितों के बचाव के लिए इस नए एसओपी में तय किया गया है कि क्या करना है और क्या नहीं करना है. एसओपी में कहा गया है कि "बचाव करते समय कोरोना पीड़ित का चेहरा ढंका रहना चाहिए ताकि बचावकर्ता सुरक्षित रहे और संक्रमित से कोई भी तरल पदार्थ बचावकर्ता में न जाए."

सन 2019 में जुलाई और अगस्त के बीच लगभग 13 राज्यों को बाढ़ की आपदा का सामना करना पड़ा. गृह मंत्रालय के अनुसार बाढ़ में सैकड़ों लोग मारे गए और लाखों लोग विस्थापित हुए. महाराष्ट्र और कर्नाटक पिछले साल बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित हुए थे.

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