- यूपी के सोनभद्र जिले के ओबरा थाना क्षेत्र में खदान धंसने से कई मजदूर मलबे में फंस गए हैं, रेस्क्यू जारी है
- घटना स्थल पर भारी पत्थर के कारण राहत कार्य में समय लग रहा है, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ बचाव में जुटे हैं
- पुलिस ने अवैध खनन के आरोप में एफआईआर दर्ज कर आरोपी की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम गठित की है
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के ओबरा थाना क्षेत्र के एक खनन क्षेत्र में शनिवार शाम को खदान धंसने से फंसे लोगों को रेस्क्यू करने का काम सोमवार को भी जारी है. मजदूरों का रेस्क्यू शनिवार रात से जारी और अब तक सिर्फ एक शव निकाला गया है. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ रेस्क्यू में जुटा हुआ है. सोनभद्र खदान हादसे पर डीएम चंद्र विजय सिंह ने कहा कि इस चट्टान का वजन लगभग 70-75 टन है और इसे हटाने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी. बचाव अभियान चल रहा है. इस मामले में स्थानीय थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और कानूनी कार्रवाई की जा रही है.
अवैध खनन के कारण हई घटना!
ओबरा पुलिस ने खदान धंसने के मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है. रॉबर्ट्सगंज से समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद छोटेलाल खरवार ने कहा कि माफिया द्वारा चलाए जा रहे अवैध खनन के कारण यह घटना हुई. उन्होंने पीड़ित परिवार के लिए 50 लाख रुपये का मुआवजा और प्रत्येक परिवार को एक सरकारी नौकरी देने की मांग की. वाराणसी जोन के अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) पीयूष मोर्डिया ने बताया कि बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र में पहाड़ी से गिरे मलबे को हटाने का कार्य शनिवार रात से ही लगातार जारी है. उन्होंने बताया कि रविवार सुबह एक व्यक्ति का शव बरामद किया गया, जबकि अन्य की तलाश जारी है. पुलिस ने बताया कि मृतक की पहचान ग्राम पनारी (सोनभद्र) निवासी राजू सिंह (30) के रूप में हुई है.

अभी तक क्यों नहीं निकाले गए लोग?
एडीजी ने बताया कि चूंकि पहाड़ी से गिरे पत्थर काफी बड़े हैं, इसलिए सावधानीपूर्वक कार्य किया जा रहा है और इसके कारण राहत कार्य में भी समय लग रहा है. उन्होंने कहा कि हमारे पास पर्याप्त उपकरण एवं संसाधन उपलब्ध हैं तथा पूरा प्रशासन राहत कार्य में जुटा है. सोनभद्र के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अभिषेक वर्मा ने बताया कि शनिवार को शाम साढ़े चार बजे ओबरा थाने को सूचना मिली कि बिल्ली मारकुंडी स्थित ‘कृष्णा माइनिंग वर्क्स' के खदान में पहाड़ी का एक भाग दरकने से कई मजदूर पत्थर/मलबे में दब गए हैं. उन्होंने कहा कि ओबरा पुलिस आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम के गठन का प्रयास कर रही है.

कैसे हुआ हादसा?
जिलाधिकारी बीएन सिंह ने बताया कि कृष्णा माइंस में एक हिस्सा ढह जाने से वहां कार्यरत कुछ मजदूर मलबे में दब गए हैं. इसमें एक चट्टान का वजन लगभग 70-75 टन है और इसे हटाने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी. उन्होंने कहा कि मशीनों की मदद से मलबा हटाकर दबे हुए लोगों को निकालने का प्रयास किया जा रहा है. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम भी बचाव कार्य में जुटी है. जिलाधिकारी ने कहा कि मलबे में कितने लोग दबे हैं इसकी सटीक संख्या का फिलहाल पता नहीं लग सका है. इस बीच, अधिकारियों के साथ घटनास्थल का दौरा करने के बाद उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण राज्य मंत्री और स्थानीय विधायक संजीव कुमार गोंड ने कहा कि घटनास्थल पर मौजूद लोगों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर ढही हुई पत्थर की खदान के मलबे में ‘करीब 12 मजदूरों' के दबे होने की आशंका है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि फंसे हुए मजदूरों की सही संख्या अभी स्पष्ट नहीं है.

12 से 15 लोगों के पत्थरों के नीचे दबे होने की आशंका
इधर, रॉबर्ट्सगंज से समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद छोटेलाल खरवार ने आरोप लगाया कि यह दुखद घटना माफिया द्वारा चलाए जा रहे अवैध खनन के कारण हुई. उन्होंने कहा, 'इस घटना में 12 से 15 लोगों के पत्थरों के नीचे दबे होने की आशंका है. आदिवासी कई तरह से मारे जा रहे हैं. इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है. इस इलाके में हर महीने एक-दो ऐसी घटनाएं होती हैं, लेकिन खनन माफिया सब कुछ कैसे संभाल लेते हैं यह किसी को पता नहीं चलता.' खरवार ने आरोप लगाया, 'दारोगा, पुलिस अधीक्षक, जिलाधिकारी और खनन अधिकारी की मिलीभगत है. इन सभी की मिलीभगत से अवैध खनन हो रहा है.'
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