प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुस्लिम महिलाओं के बिना ‘महरम' (पुरुष साथी) हज यात्रा करने को एक ‘बड़ा बदलाव' करार देते हुए रविवार को इसका श्रेय हज नीति में किए गए परिवर्तन को दिया. उन्होंने इन महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था करने के लिए सऊदी सरकार का आभार भी जताया. आकाशवाणी पर प्रसारित मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात' की 103वीं कड़ी में अपने विचार साझा करते हुए मोदी ने कहा कि इस बार उन्हें हज यात्रा से लौटी महिलाओं के कई पत्र भी मिले हैं, जो मन को बहुत ही संतोष देते हैं.
पीएम मोदी ने कहा, "ये वे महिलाएं हैं, जिन्होंने हज यात्रा बिना महरम पूरी की. ऐसी महिलाओं की संख्या सौ-पचास नहीं, बल्कि 4,000 से ज्यादा है. यह एक बड़ा बदलाव है." मोदी ने कहा कि पहले मुस्लिम महिलाओं को बिना महरम ‘हज' करने की इजाजत नहीं थी. इस्लाम में महरम वह पुरुष होता है, जो महिला का पति या ख़ून के रिश्ते में हो.
'मन की बात' में मुझे इस बार काफी संख्या में ऐसे पत्र भी मिले हैं, जो मन को बहुत ही संतोष देते हैं। ये चिट्ठी उन मुस्लिम महिलाओं ने लिखी हैं, जो हाल ही में हज यात्रा करके आई हैं। उनकी ये यात्रा कई मायनों में बहुत खास है।
— BJP LIVE (@BJPLive) July 30, 2023
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प्रधानमंत्री ने कहा, "बीते कुछ वर्षों में हज नीति में जो बदलाव किए गए हैं, उनकी भरपूर सराहना हो रही है. हमारी मुस्लिम माताओं और बहनों ने इस बारे में मुझे काफी कुछ लिखा है. अब, ज्यादा से ज्यादा लोगों को हज पर जाने का मौका मिल रहा है." उन्होंने कहा कि हज यात्रा से लौटे लोगों ने, खासकर माताओं और बहनों ने चिट्ठी लिखकर जो आशीर्वाद दिया है, वह अपने आप में बहुत प्रेरक है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह ‘मन की बात' के माध्यम से सऊदी अरब सरकार का हृदय से आभार व्यक्त करते हैं कि उसने बिना महरम हज यात्रा पर गई महिलाओं के लिए विशेष रूप से महिला समन्वयकों की नियुक्ति की.
केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय ने वर्ष 2018 में 45 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को बिना महरम हज यात्रा पर जाने की अनुमति दी थी. प्रधानमंत्री मोदी ने 2018 के जनवरी महीने में प्रसारित ‘मन की बात' की कड़ी में इसकी घोषणा की थी.
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