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चिल्ड्रन डे पर स्कूल में देर से पहुंची बच्ची तो टीचर ने लगवाए 100 उठक-बैठक, हुई मौत

Mumbai News: बेटी को खोने के बाद परिवार स्कूल प्रशासन के कामकाज पर गंभीर सवाल उठा रहा है. इस मामले पर राजनीति भी तेज हो गई है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने चेतावनी दी है कि जब तक दोषी शिक्षकों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं होता, तब तक वह स्कूल नहीं खुलने देंगे.

चिल्ड्रन डे पर स्कूल में देर से पहुंची बच्ची तो टीचर ने लगवाए 100 उठक-बैठक, हुई मौत
मुंबई में स्कूल में सजा से बच्ची की मौत.
  • मुंबई के वसई के एक स्कूल में 6वीं क्लास की छात्रा को देर से आने पर स्कूल ने 100 उठक-बैठक लगावाए.
  • सजा पूरी करने के बाद छात्रा की तबीयत बिगड़ गई और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
  • परिवार ने टीचर पर अमानवीय सजा देने का आरोप लगाया और उसकी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है.
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मुंबई:

मुंबई के वसई इलाके से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां पर स्कूल में देर से आने की सज़ा ने बच्ची की जान ले ली. टीचर ने सजा के तौर पर 6वीं क्लास की छात्रा से 100 उठक-बैठक लगवाए थे. सजा पूरी करने के कुछ ही देर बाद बच्ची की मौत हो गई. यह मामला वई के हनुमंत विद्या मंदिर में का है.

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टीचर की सजा से 6वीं क्लास की बच्ची की मौत

12 साल की काजल उर्फ आशिका गौंड छठवीं क्लास में पढ़ती थी. शुक्रवार, 14 नवंबर को बाल दिवस के दिन वह स्कूल में देर से पहुंची तो टीचर से सजा के तौर पर उससे 100 उठक-बैठक लगवाए. जानकारी के मुताबिक, सज़ा पूरी करने के बाद बच्ची की तबीयत खराब हो गई. उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया था. कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई.

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परिवार ने लगाया अमानवीय सज़ा देने का आरोप

परिवार का आरोप है कि ने स्कूल में टीचर की अमानवीय सज़ा की वजह से ही बच्ची की तबीयत बिगड़ी और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. बच्ची का परिवार इसकी मौत के लिए टीचर को जिम्मेदार ठहरा रहा है. परिवार का दावा है कि सज़ा देते समय छात्रा की पीठ पर उसका बैग भी लदा हुआ था. सज़ा के बाद काजल की पीठ और कमर के निचले हिस्से में तेज दर्द शुरू हो गया था.

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इलाज के दौरान बच्ची ने तोड़ा दम, स्कूल को MNS की चेतावनी

घर जाने के बाद काजल की तबीयत लगातार बिगड़ती गई. जिके बाद उसे नालासोपारा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. खराब हालत को देखते हुए बच्ची को मुंबई के जेजे अस्पताल में रेफर कर दिया गया. लेकिन जेजे अस्पताल में इलाज के दौरान ही बच्ची ने दम तोड़ दिया. परिवार का गुस्सा बच्ची को सजा देने वाली टीचर पर फूट पड़ा है. बेटी को खोने के बाद परिवार स्कूल प्रशासन के कामकाज पर गंभीर सवाल उठा रहा है. इस मामले पर राजनीति भी तेज हो गई है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने चेतावनी दी है कि जब तक दोषी शिक्षकों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं होता, तब तक वह स्कूल नहीं खुलने देंगे.

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