- डॉक्टरों की मांग है कि बर्खास्त किए गए साथी डॉक्टर को तुरंत ड्यूटी पर पुनः नियुक्त किया जाए
- मारपीट का विवाद मरीज और डॉक्टर के बीच "तू" शब्द के उपयोग से शुरू हुआ और विवाद बढ़ गया था
- मरीज अर्जुन ने डॉक्टर पर ऑक्सीजन मास्क हटाने और जानलेवा हमला करने का आरोप लगाया है
शिमला IGMC अस्पताल में हुई मारपीट मामले को लेकर अस्पताल के अन्य डॉक्टर अब हड़ताल पर चले गए हैं. हड़ताल पर गए डॉक्टर अपने साथी डॉक्टर को बर्खास्त करने का विरोध कर रहे हैं. उनकी मांग है कि इस मामले में जिस डॉक्टर को बर्खास्त किया गया है, उसे तुरंत ड्यूटी पर वापस बुलाया जाए. डॉक्टरों की इस हड़ताल को लेकर आरडीए एसोसिएशन ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उसका कहना है कि अगर समय रहते इसे समय रहते नहीं खत्म किया गया तो ये अनिश्चितकाल तक भी चल सकती है.
आपको बता दें कि शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (IGMC) में डॉक्टर और मरीज के बीच हुई मारपीट का मामला कुछ दिन पहले ही सामने आया था. इस घटना को लेकर कुछ दिन पहले एक नया वीडियो भी सामने आया है. इस वीडियो में दिख रहा था कि असल में झगड़ा किस बात से शुरू हुआ था.
'तू' शब्द से शुरू हुआ था झगड़ा
दरअसल, मारपीट होने से पहले मरीज अर्जुन पंवार एंडोस्कोपी करवाने के लिए अस्पताल आए थे. टेस्ट के बाद, सांस लेने में तकलीफ के कारण वे आराम करने के लिए एक बेड पर लेट गए. आरोप है कि इसी दौरान ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर वहां पहुंचे और मरीज के साथ दुर्व्यवहार शुरू कर दिया.वायरल वीडियो में साफ दिख रहा था कि विवाद तब बढ़ा जब बातचीत के दौरान 'तू' शब्द का इस्तेमाल हुआ. यह बहस इतनी बढ़ गई कि डॉक्टर ने अपना आपा खो दिया और मरीज के साथ मारपीट शुरू कर दी.
इस मामले पीड़ित मरीज का भी बयान सामने आया था. मरीज अर्जुन का आरोप है कि ऑक्सीजन मांगने पर डॉक्टर ने बदतमीजी की और उन पर जानलेवा हमला कर ऑक्सीजन मास्क तक हटा दिया. टर्मिनेशन के बाद अर्जुन ने "सत्यमेव जयते" कहते हुए मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया और इसे गरीब की जीत बताया. वहीं, डॉ. राघव नरूला का पक्ष बिल्कुल अलग है. एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने बताया कि वीडियो अधूरा है. उनके अनुसार, मरीज ने पहले गाली-गलौज की, उन्हें मुक्के मारे और IV स्टैंड से हमला करने की कोशिश की, जिसके जवाब में उन्होंने आत्मरक्षा की. डॉक्टर ने यह भी खुलासा किया कि घटना के बाद 200-250 लोगों की भीड़ ने अस्पताल में घुसकर उन्हें जान से मारने की धमकी दी.
वहीं, दूसरी तरफ डॉक्टरों की लामबंदी और हड़ताल की चेतावनी पहले ही दे चुके थे. इस कार्रवाई के विरोध में रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (RDA), CSA और FAIMA जैसे संगठन एकजुट हो गए हैं. डॉक्टरों का तर्क है कि बिना निष्पक्ष जांच और केवल वायरल वीडियो के दबाव में करियर खत्म करना गलत है. RDA-CSA ने चेतावनी दी थी कि यदि डॉ. राघव का टर्मिनेशन बहाल नहीं हुआ, तो शुक्रवार को डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर रहेंगे.
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