1999 से मध्य प्रदेश में महापौर पद के लिए प्रत्यक्ष चुनाव की शुरुआत हुई थी.
मध्यप्रदेश में 16 नगर निगम की तस्वीर साफ हो चुकी है. पहले चरण में बीजेपी के हिस्से 11 में 7 नगर निगम आए थे, दूसरे चरण की मतगणना में कांग्रेस ने मुरैना और रीवा में बीजेपी से 1-1 सीट छीन ली. कटनी में बड़ा उलटफेर हुआ. बीजेपी से यह सीट बागी निर्दलीय उम्मीदवार ने छीन ली. बीजेपी के खाते में रतलाम और देवास की 1-1 सीट ही आई है. यानी बीजेपी के 9 महापौर, कांग्रेस के खाते में 5, 1-1 जगह पर आप और निर्दलीय उम्मीदवार.हालांकि, पांचों निगमों में बोर्ड बीजेपी का ही बनना तय है, क्योंकि पार्षद बीजेपी के ज्यादा चुनकर आये हैं.
वैसे पिछले दो दशकों में महापौर चुनाव में बीजेपी का ये सबसे ख़राब प्रदर्शन है क्योंकि 1999 और 2004 में कांग्रेस ने सिर्फ दो सीटें जीती थीं और 2009 के चुनावों में, वह तीन मेयर सीटों को हासिल करने में सफल रही थी. एक और महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम में दो नई पार्टियों ने भी राज्य में एंट्री मारी है, सिंगरौली से आप ने महापौर की सीट जीत ली और एआईएमआईएम के कई पार्षदों ने जीत दर्ज की है वहीं बुरहानपुर में, एआईएमआईएम के मेयर उम्मीदवार को 10,000 से ज्यादा वोट मिले जिसके परिणामस्वरूप कांग्रेस की शानाज़ इस्माइल को बीजेपी की माधुरी पटेल ने 388 मतों के मामूली अंतर से हरा दिया.
2014 में मध्यप्रदेश में पहले बीजेपी के 16 में 16 महापौर थे, विधानसभा चुनाव से पहले अर्ध वार्षिक परीक्षा में वो 7 नंबर कम लाई, फिर भी जश्न मना रही है नेता तर्क दे रहे हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा 2014 में 98 नगर पालिकाओं के चुनाव में भाजपा 54 सीटों( 55%,)मिली, इस वर्ष 76 नगर पालिकाओं में से 65 सीट पर अध्यक्ष बनाने की स्थिति में , जीत का प्रतिशत 85% रहा है. कांग्रेस ने ग्वालियर, जबलपुर और रीवा में महापौर चुनाव जीते हैं, लेकिन भाजपा ने उन शहरों के नगर निगमों में बहुमत हासिल किया है. 2014 में 264 नगर परिषद के चुनाव में भाजपा 154 सीटों पर विजयी हुई थी, कुल 58.3%, इस वर्ष 255 नगर परिषद के चुनाव में भाजपा 231 सीटों पर अपना अध्यक्ष बनाने जा रही है, जीत का प्रतिशत 90.58% रहा है.
वहीं कैबिनेट मंत्री कमल पटेल ने कहा लोकतंत्र में सबसे बड़ी शक्ति है जनता इसमें रिपीट होना बड़ी बात रहती है ये जीत एक उपलब्धि है, कई जिलों में प्रधानमंत्री का जैसा सपना था वो कांग्रेस मुक्त हो गया, कुछ स्थानीय समस्या रही है जिससे वजह से 3-4 जगहों पर हम हारे हैं.
वैसे दूसरे चरण में केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के संसदीय और बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा के अपने जिले मुरैना में भी बीजेपी को हार मिली, पहले चरण में उसे सिंधिया के गढ़ ग्वालियर और जेपी नड्डा की ससुराल जबलपुर को गंवाना पड़ा था
15 साल बाद सत्ता में आकर, 15 महीने में सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस के पांच महापौर मिले हैं सो वहां भी जश्न का माहौल है, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, इस चुनाव में पुलिस पैसा प्रशासन तक दुरुपयोग हुआ, ये खरीदने की दबाने की परंपरा गलत है . दिल दिमाग और आत्मा को नहीं खरीद सकते, जिनको इन्होंने खरीदी वो इनसे बदला लेंगे इसके साथ इसके साल विधानसभा चुनाव में देख लेना. अगर बीजेपी इसमें जश्न मनाना चाहिए है तो कोई दिक्कत नहीं बच्चा कहीं और होता है मिठाई ये बांटते हैं, 14 महीने में जनता उन्हें मुंह तोड़ जवाब देगी. ये बीजेपी की नहीं बल्कि पुलिस पैसा और प्रशासन की जीत गईं, 2023 में बदलवा जनता ने तय कर लिया है. ग्वालियर चंबल में सबसे बड़े नेता बीजेपी के है और सबसे बड़ी हार इनकी ग्वालियर चंबल में रही है.
उन्होंने रीवा से जीतने वाले पार्टी के प्रत्याशी को बधाई देते हुए कू पर पोस्ट किया, "विंध्य की पावन धरती पर रीवा नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी श्री अजय मिश्रा बाबा को शानदार जीत की बहुत-बहुत बधाई. मैं रीवा की सम्मानित जनता का आभार व्यक्त करता हूं कि उसने कांग्रेस का साथ दिया, विंध्य के भविष्य का साथ दिया और एक नया मध्यप्रदेश बनाने के सपने का साथ दिया. यह बदलाव की शुरुआत है. जय मध्य प्रदेश. जय मध्य प्रदेश की जनता."
मध्यप्रदेश में दो दलीय राजनीति है लेकिन आम आदमी पार्टी ने सिंगरौली में महापौर का पद जीत लिया, वहीं एमआईएम ने बुरहानपुर में कांग्रेस के मुंह से महापौर का पद छीन लिया तो खरगोन सहित कई इलाकों में उसके पार्षद चुने गये. बीजेपी ने सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील खरगोन शहर में नगर पालिका चुनावों में जीत हासिल की, जो 10 अप्रैल को राम नवमी पर दंगों की चपेट में था. बीजेपी ने खरगोन नगर पालिका के कुल 33 वार्डों में से 19 पर जीत हासिल की, कांग्रेस ने चार, एआईएमआईएम ने 3 और निर्दलीयों ने 7 वॉर्ड में जीत हासिल की. एआईएमआईएम ने जबलपुर, बुरहानपुर, खंडवा और खरगोन सहित चार शहरों और कस्बों में सात नगरपालिका वार्डों में जीत हासिल की, इसके अलावा बुरहानपुर मेयर चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ कांग्रेस की हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
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