प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
विभिन्न कारणों से भारतीय रेल की 200 से अधिक परियोजनाओं की लागत उनकी अनुमानित लागत से लगभग 1.82 लाख करोड़ रुपये बढ़ चुकी है. सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की नवीनतम रपट के अनुसार, रेल मंत्रालय की 204 परियोजनाओं की कुल लागत 1.82 लाख करोड़ रुपये बढ़ चुकी है. मंत्रालय केंद्र सरकार की 150 करोड़ रुपये या उससे अधिक लागत वाली परियोजनाओं की निगरानी करता है. मंत्रालय की रपट के अनुसार, इस साल अप्रैल में इन 204 परियोजनाओं की कुल वास्तविक लागत 1,29,339.96 करोड़ रुपये थी. इसकी अब कुल अनुमानित लागत 3,12,026.83 करोड़ रुपये हो चुकी है जो लागत में 141.25% की वृद्धि को दिखाता है.
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मंत्रालय ने अप्रैल में भारतीय रेल की 330 परियोजनाओं की समीक्षा की थी. उसकी रपट के अनुसार, इनमें से 46 परियोजनाएं अपने समय से तीन माह से 261 माह तक की देरी से चल रही हैं. रेल मंत्रालय के बाद बिजली क्षेत्र दूसरा ऐसा क्षेत्र है जहां परियोजनाओं की लागत सबसे ज्यादा बढ़ी है. मंत्रालय ने बिजली क्षेत्र की 114 परियोजनाओं की समीक्षा के आधार पर बताया कि 47 परियोजनाओं की लागत 70,940.81 करोड़ रुपये तक बढ़ चुकी है. इनकी कुल वास्तविक लागत 1,84,243.07 करोड़ रुपये थी.
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इनकी अनुमानित लागत अब 2,55,183.88 करोड़ रुपये हो चुकी है. इनमें से 61 परियोजनाएं अपने समय से दो से 135 महीने तक की देरी से चल रही हैं.
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