संसद का मानसून सत्र इस बार अपने मूल उद्देश्य से भटकता नजर आ रहा है. जनहित के मुद्दों पर गंभीर बहस की जगह नारेबाजी,टकराव और राजनीतिक बयानबाजी सुर्खियों में रही.लोकतंत्र के इस सबसे बड़े मंच का इस्तेमाल जहां आम आदमी की जिंदगी बदलने वाली योजनाओं पर चर्चा के लिए होना चाहिए था,वहां बार-बार कार्यवाही बाधित होती रही. इस राजनीतिक कोलाहल में कई अहम नीतिगत फैसले दब गए. ऐसे ही एक फैसले पर न तो मीडिया ने उतना ध्यान दिया और न ही आम जनता में इसकी व्यापक चर्चा हो पाई. भारतीय रेलवे का अब तक का सबसे बड़ा सुरक्षा अपग्रेड, इसके तहत देशभर के 74 हजार यात्री डिब्बों और 15 हजार इंजनों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं.
भारतीय रेलवे केवल एक परिवहन व्यवस्था नहीं, बल्कि देश की आर्थिक और सामाजिक रीढ़ है. यह हर दिन 2.3 करोड़ यात्रियों को उनकी मंज़िल तक पहुंचाती है. इतनी बड़ी संख्या किसी पूरे देश की आबादी के बराबर है.रेल यात्रा भारत के हर वर्ग, हर राज्य, हर धर्म और हर पेशे के लोगों को जोड़ती है. लेकिन इस व्यापक नेटवर्क में सुरक्षा हमेशा से एक चुनौती रही है. चोरी, छेड़छाड़, तोड़फोड़, लूटपाट, और यहां तक कि अपहरण जैसी घटनाएं समय-समय पर सामने आती रही हैं.
रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और राजकीय रेलवे पुलिस (GRP) जैसी सुरक्षा एजेंसियों की संख्या सीमित है. कई बार एक लंबी दूरी की ट्रेन में सिर्फ एक-दो सशस्त्र कर्मी मौजूद होते हैं. ऐसे में यात्रियों का भरोसा अक्सर उनकी अपनी सतर्कता पर ही टिका रहता है.
संसद में आया सुरक्षा का रोडमैप
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में लिखित जवाब में बताया कि रेलवे ने सुरक्षा के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार की है, इसमें आधुनिक सीसीटीवी कैमरे, रियल-टाइम मॉनिटरिंग और भविष्य में AI तकनीक को शामिल किया जाएगा.
इसके तहत हर यात्री डिब्बे में चार कैमरे दोनों प्रवेश द्वारों पर लगाए जाएंगे, ताकि चढ़ने-उतरने वाले हर यात्री की रिकॉर्डिंग हो सके.हर इंजन में छह कैमरे आगे, पीछे, दोनों साइड और दोनों कैब में ताकि ट्रैक सिग्नल और लोको पायलट के कार्यक्षेत्र की निगरानी हो सके. दो हाई ग्रेड माइक्रोफोन इंजन डेस्क पर, जिससे आवाज रिकॉर्डिंग भी संभव हो और संचार बेहतर हो सके.ये कैमरे STQC प्रमाणित उपकरण जो 100 किमी/घंटा या उससे अधिक गति पर भी साफ फुटेज दें.
निजता बनाम सुरक्षा
कैमरे लगने के साथ सबसे पहला सवाल आता है, क्या इससे यात्रियों की निजता प्रभावित होगी? रेलवे ने साफ किया है कि कैमरे केवल सार्वजनिक हिस्सों में होंगे, जैसे कोच के दरवाजों के पास.बर्थ और टॉयलेट जैसी निजी जगहों पर कैमरे नहीं होंगे.इस तरह रेलवे ने सुरक्षा और निजता के बीच एक संतुलित व्यवस्था बनाई है.
रेल मंत्री की ओर से पेश जोनवार आंकड़े बताते हैं कि यह योजना केवल कागज पर नहीं, बल्कि धरातल पर तेजी से आगे बढ़ रही है.अब तक 11,535 डिब्बों में कैमरे लगाए जा चुके हैं. रेल मंत्री के मुताबिक पश्चिम रेलवे – 1,679,मध्य रेलवे –1,320, दक्षिण रेलवे – 1,149,
उत्तर रेलवे – 1,125, दक्षिण मध्य रेलवे – 753, पूर्व रेलवे – 1,131, पूर्व तट रेलवे – 823, पूर्वोत्तर रेलवे – 509, उत्तर मध्य रेलवे –339, दक्षिण पश्चिम रेलवे– 529, दक्षिण पूर्व रेलवे – 575, पश्चिम मध्य रेलवे – 266, पूर्व मध्य रेलवे – 437, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे – 280, उत्तर पश्चिम रेलवे – 285, पूर्वोत्तर सीमा रेलवे –335 डिब्बों में कैमरे लगाए गए हैं.
महिला यात्रियों के लिए बदलाव की शुरुआत
महिलाओं के लिए रात की ट्रेन यात्राएं अक्सर असुरक्षा से भरी होती हैं. अंधेरा, लंबा सफर और अपरिचित माहौल ये सब मिलकर असहजता बढ़ा देते हैं. सीसीटीवी कैमरों की मौजूदगी, संदिग्ध गतिविधियों पर तुरंत निगरानी रखेगी, अपराधियों में डर पैदा करेगी,जांच में पुख़्ता सबूत देगी. कई महिला अधिकार संगठनों का मानना है कि यह पहल ट्रेन यात्रा को महिलाओं के लिए और अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद बनाएगी.
रेलवे की योजना यहीं खत्म नहीं होती. अगला चरण और भी हाई-टेक होगा. इसके तहत कृत्रिम मेधा (AI) के जरिए संदिग्ध गतिविधियों की पहचान की जाएगी.फेस रिकग्निशन सिस्टम से वांछित अपराधियों का पता लगाया जाएगा.रियल-टाइम अलर्ट से तुरंत कार्रवाई की जाएगी.इससे रेलवे सुरक्षा प्रतिक्रिया आधारित से प्रोएक्टिव हो जाएगी.
दुर्भाग्य है कि संसद में इस योजना पर उतनी चर्चा नहीं हो पाई जितनी जरूरी थी. राजनीतिक बयानबाज़ी और हंगामे ने इस पहल को सुर्खियों से दूर कर दिया.मीडिया में भी राजनीतिक विवादों को प्राथमिकता मिली, जबकि यह योजना हर वर्ग, हर क्षेत्र, हर धर्म के यात्रियों को बराबर लाभ देने वाली है.
जब हम स्मार्ट सिटी, बुलेट ट्रेन और डिजिटल इंडिया की बात करते हैं, तो सुरक्षित यात्रा भी उतनी ही अहम है. रेलवे का यह कदम सिर्फ एक तकनीकी अपग्रेड नहीं, बल्कि यात्रियों के लिए भरोसे का नया इन्फ्रास्ट्रक्चर है.
अस्वीकरण: लेखक देश की राजनीति पर पैनी नजर रखते हैं. वो राजनीतिक-सामाजिक मुद्दों पर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लिखते रहे हैं. इस लेख में व्यक्त किए गए विचार उनके निजी हैं, उनसे एनडीटीवी का सहमत या असहमत होना जरूरी नहीं है.