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खेती को बूस्ट : सरकार ने दिया नए फॉर्मूले पर MSP, यहां जानिए किसानों को मिलेगा कम से कम कितने प्रतिशत का लाभ

सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि सभी फसलों के लिए एमएसपी उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना हो. बाजरा में सबसे अधिक मार्जिन (63%) अनुमानित है, इसके बाद मक्का और तुअर (59%), और उड़द (53%) हैं. अन्य फसलों के लिए मार्जिन 50% के आसपास रखा गया है. यह नीति किसानों को उनकी लागत पर उचित लाभ देने के लिए किया गया है.

खेती को बूस्ट : सरकार ने दिया नए फॉर्मूले पर MSP, यहां जानिए किसानों को मिलेगा कम से कम कितने प्रतिशत का लाभ
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने 28 मई 2025 को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए मार्केटिंग सीजन 2025-26 के लिए 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दी.  यह वृद्धि केंद्र सरकार के उस वादे के अनुसार बताया जा रहा है जिसमें औसत उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना तय करने का वादा किया गया था. 

2025-26 के लिए घोषित एमएसपी वृद्धि का कुल वित्तीय प्रभाव लगभग 2.07 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 35,000 करोड़ रुपये अधिक है. यह वृद्धि किसानों की आय को बढ़ाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. 

फसलनया एमएसपी  बढ़ोतरीलागत पर कितना प्रतिशत लाभ
धान (सामान्य)2,3696950%
ज्वार (हाइब्रिड)3,699328 50% 
 बाजरा 2,77515063%
रागी 4,886 59650%
मक्का2,40017559%
तुअर  8,000 45059%
उड़द 7,800400 53% 
मूंग 8,7688650%
मूंगफली7,263480 50%
 सोयाबीन (पीला)  5,328436 50%
सूरजमुखी 7,72144150%
 तिल9,846579 50%
रामतिल9,537  82050%
कपास (मध्यम रेशा) 7,71058950% 

नोट: एमएसपी और वृद्धि प्रति क्विंटल रुपये में हैं. 

उत्पादन लागत के आधार पर सरकार ने जारी किया है एमएसपी

सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि सभी फसलों के लिए एमएसपी उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना हो. बाजरा में सबसे अधिक मार्जिन (63%) अनुमानित है, इसके बाद मक्का और तुअर (59%), और उड़द (53%) हैं. अन्य फसलों के लिए मार्जिन 50% के आसपास रखा गया है. यह नीति किसानों को उनकी लागत पर उचित लाभ सुनिश्चित करती है. 

एमएसपी तय करते समय, सरकार ने सभी भुगतान लागतों (A2) जैसे बीज, उर्वरक, श्रम, और किराए पर ली गई भूमि, साथ ही पारिवारिक श्रम (FL) और पूंजी पर ब्याज जैसे कारकों को ध्यान में रखा है. कुछ किसान संगठनों ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर C2 लागत (जो किराए और पूंजी के पूर्ण लागत को शामिल करती है) को आधार बनाने की मांग की है, लेकिन सरकार ने A2+FL लागत को प्राथमिकता दी है. 

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