
- PM मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने रेलवे की चार बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी दी
- इन परियोजनाओं पर लगभग चौबीस हजार छह सौ चौतीस करोड़ रुपये खर्च होंगे और छह वर्षों में पूरा होने का अनुमान है.
- परियोजनाओं से भारतीय रेल नेटवर्क में लगभग 854 किलोमीटर की नई मल्टी-ट्रैक लाइन जुड़ेगी.
रेलवे की चार बड़ी परियोजनाओं को केंद्र की मंजूरी मिल गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार (7 अक्टूबर) को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने इसको हरी झंडी दी, जिस पर करीब 24,634 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
6 साल में पूरी होगी योजना
ये चारों परियोजनाएं 18 जिलों में फैली होंगी, जिसका काम साल 2030- 2031 तक पूरा होने का अनुमान है. इस परियोजना से भारतीय रेल नेटवर्क में करीब 894 किलोमीटर की नई मल्टी-ट्रैक लाइन जुड़ जाएगी जिससे 3,600 से ज्यादा गांवों को फायदा होगा, जिनकी आबादी करीब 86 लाख है. इसमें दो आकांक्षी जिले विदिशा और राजनांदगांव भी शामिल हैं.
इन चार लाइनों को मिली मंजूरी
1- महाराष्ट्र के वर्धा – भुसावल के बीच तीसरी और चौथी लाइन का निर्माण होगा. ये ट्रैक 314 किलोमीटर लंबा होगा.
2- महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में गोंदिया – डोंगरगढ़ के बीच 84 किलोमीटर की चौथी लाइन बनेगी.
3- वडोदरा (गुजरात )– रतलाम (मध्य प्रदेश) के बीच 259 किलोमीटर की तीसरी और चौथी लाइन बनेगी.
4- मध्य प्रदेश के इटारसी – भोपाल – बीना के बीच 237 किलोमीटर की चौथी लाइन के निर्माण को मंजूरी मिली है.
आत्मनिर्भर भारत के विजन का हिस्सा
यह परियोजनाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “आत्मनिर्भर भारत” और “न्यू इंडिया” के विजन का हिस्सा हैं, जो रोजगार देने के साथ विकास को बढ़ावा देंगी. इन सभी प्रोजेक्ट्स का निर्माण पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत किया जाएगा, जिसका मकसद मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक एफिशिएंसी बढ़ाना है ताकि लोगों और सामान का परिवहन आसान हो जाए. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इन परियोजनाओं से न सिर्फ रेल नेटवर्क का विस्तार होगा बल्कि ग्रामीण इलाकों में विकास, रोजगार और पर्यटन को भी रफ्तार मिलेगी.
पर्यटन और पर्यावरण को मिलेगा बढ़ावा
यह परियोजना सांची, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, भीमबेटका रॉक शेल्टर, हजारा फॉल्स और नावागांव नेशनल पार्क जैसे स्थलों को जोड़ेगा, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. नई रेलवे लाइन के निर्माण से कोयला, सीमेंट, स्टील, अनाज, कंटेनर आदि का परिवहन आसान हो जाएगा. इससे प्रति वर्ष करीब 78 मिलियन टन अतिरिक्त माल ढोया जा सकेगा. ये परियोजनाएं जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने और परिवहन खर्च को कम करने में मदद करेंगी. इससे करीब 28 करोड़ लीटर तेल की बचत होगी और 139 करोड़ किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) उत्सर्जन घटेगा, जो करीब 6 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है.
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