"आयुष या एलोपैथी, ये व्यक्ति की अपनी पसंद": पतंजलि पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का जवाब

सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में आयुष मंत्रालय (Patanjali Misleading Advertising Case) ने चिकित्सा की विभिन्न प्रणालियों के बीच आपसी सम्मान के महत्व पर भी प्रकाश डाला है.

पंतजलि आयुर्वेद के बयानों पर आयुष मंत्रालय का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा.

नई दिल्ली:

पतंजलि विज्ञापन मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. इस दौरान योग गुरु रामदेव (Baba Ramdev), पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved) के प्रबंध निदेशक (एमडी) आचार्य बालकृष्ण पेशी के लिए अदालत पहुंच गए हैं. पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurveda) अपनी दवाओं के लिए 'भ्रामक दावों' को लेकर फंसा हुआ है. पतंजलि अवमानना ​​मामले पर सुनवाई से पहले, एलोपैथिक दवाओं को लेकर पंतजलि आयुर्वेद के बयानों पर केंद्र (आयुष मंत्रालय) ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. सरकार ने अपने हलफनामे के माध्यम से एक एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की वकालत की है. इस हलफनामे में इस बात पर जोर दिया गया कि आयुष या एलोपैथिक दवाओं का लाभ लेना लोगों की अपनी पसंद है.

केंद्र (आयुष मंत्रालय) ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर एलोपैथी दवाओं की प्रभावशीलता को कम करने या उस पर प्रश्न उठाने के लिए पतंजलि की आलोचना की. केंद्र ने कहा कि आयुष प्रणाली या एलोपैथिक चिकित्सा का लाभ लेना व्यक्ति की अपनी पसंद है. 

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"पतंजलि को किया था आगाह"

आयुष मंत्रालय ने कहा कि पतंजलि को विधिवत जांच किए जाने तक कोविड​​​-19 महामारी के दौरान, कोरोनिल को वायरस के इलाज के रूप में प्रचारित करने के प्रति आगाह किया गया था. पतंजलि को मंत्रालय द्वारा अनिवार्य ​​​​परीक्षणों के संचालन के लिए आवश्यकताओं की याद दिलाई गई थी. सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में आयुष मंत्रालय ने चिकित्सा की विभिन्न प्रणालियों के बीच आपसी सम्मान के महत्व पर भी प्रकाश डाला है.

भारत सरकार की मौजूदा नीति एलोपैथी के साथ आयुष प्रणालियों के एकीकरण के साथ एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के एक मॉडल की वकालत करती है. आयुष प्रणाली या एलोपैथिक चिकित्सा की सेवाओं का लाभ उठाना किसी व्यक्ति या स्वास्थ्य सेवा चाहने वाले की पसंद है.  कोरोनिल के संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय को विभिन्न अभ्यावेदन प्राप्त हुए, जिसके बाद पतंजलि को नोटिस जारी किया गया. 

जांच होने तक कोरोनिल का विज्ञापन न करने की दी थी सलाह

सरकार ने कहा कि कंपनी से अनुरोध किया गया था कि जब तक मंत्रालय द्वारा मामले की पूरी तरह से जांच नहीं कर ली जाती, तब तक वह COVID-19 के खिलाफ कोरोनिल की प्रभावकारिता के बारे में दावों का विज्ञापन न करे. उन्होंने कहा कि सरकार अपने नागरिकों के समग्र स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए प्रत्येक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की ताकत का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करती है. 

बता दें कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने 21 नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वह किसी भी कानून का, खासकर उसके उत्पादों के विज्ञापन या ब्रांडिंग से संबंधित कानूनों का उल्लंघन नहीं करेगी. उसने पीठ को यह भी आश्वासन दिया कि "औषधीय प्रभावकारिता का दावा करने वाला या चिकित्सा की किसी भी प्रणाली के खिलाफ कोई भी आकस्मिक बयान किसी भी रूप में मीडिया में जारी नहीं किया जाएगा''.

रामदेव और बालकृष्ण को मिला था कारण बताओ नोटिस

शीर्ष अदालत ने कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड "इस तरह के आश्वासन को लेकर प्रतिबद्ध है". विशिष्ट हलफनामे का पालन न करने और उसके बाद के मीडिया बयानों के कारण पीठ ने अप्रसन्नता जताई और बाद में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. कोर्ट ने पतंजलि के प्रबंध निदेशक के इस बयान को भी खारिज कर दिया कि औषधि और प्रसाधन सामग्री (जादुई उपचार) अधिनियम "पुराना'' है और कहा कि पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापन "अधिनियम के दायरे'' में हैं और अदालत से किए गए वादे का उल्लंघन करते हैं.

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