"यहां 100 परिवार थे, अब 15 बच गए हैं": नूंह हिंसा के बाद गुरुग्राम में खौफ में जी रहे प्रवासी परिवार

मंगलवार शाम को लगभग 60 लोग गुरुग्राम के एक इलाके में एक मकान मालिक के पास गए. इन लोगों ने मकान मालिक पर दबाव बनाया कि वह सभी मुस्लिम परिवारों को दो दिन के अंदर कमरा खाली करने को कहे. मंगलवार को ही भीड़ ने पहचान पूछकर एक घरेलू सहायक की पिटाई कर दी थी.

गुरुग्राम:

हरियाणा के नूंह में हुई हिंसा की आग अन्य जिलों तक पहुंच गई है. गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल समेत कई जगहों पर हाई अलर्ट है. नूंह में भड़की हिंसा और राज्य के अन्य हिस्सों में फैली हिंसा में प्रभावितों की संख्या को मृतकों और घायलों के आधार पर नहीं मापा जा सकता है. कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो इस हिंसा के बाद से हर रोज खौफ में जी रहे हैं. गुरुग्राम का एक इलाका इसका ताजा उदाहरण है. यहां पश्चिम बंगाल के 100 से अधिक मुस्लिम परिवार रहते थे, लेकिन हिंसा के बाद अब 15 परिवार ही बचे हैं. लोगों का कहना है कि वे नूंह हिंसा के बाद से डरे हुए हैं. वो अपने राज्य वापस लौटना चाहते हैं, लेकिन पैसों की किल्लत के कारण ऐसा नहीं कर सकते.

NDTV की टीम ने गुरुग्राम में कुछ ऐसे ही लोगों से बात की. 25 साल के शमीम हुसैन की आंखों में आंसू थे. वो दोनों हाथ जोड़कर गुहार लगा रहे थे. शमीम हुसैन कहते हैं, "कल शाम, कुछ लोग आए और सभी मुसलमानों को चले जाने के लिए कहा. हमारे पास वापस जाने के लिए पैसे नहीं हैं. मुझे यहां के लोकल दुकानदार का कर्जा भी चुकाना बाकी है. अगर मुझे कुछ हो जाता है, तो कोई बात नहीं. लेकिन मेरा एक साल का बेटा है. सरकार, जिला प्रशासन और स्थानीय निवासियों से मेरी गुजारिश है कि हमारी सुरक्षा करें. कृपया हमारी मदद करें."

रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार शाम को लगभग 60 लोग इलाके के एक मकान मालिक के पास गए. इन लोगों ने मकान मालिक पर दबाव बनाया कि वह सभी मुस्लिम परिवारों को दो दिन के अंदर कमरा खाली करने को कहे. मंगलवार को ही भीड़ ने पहचान पूछकर एक घरेलू सहायक की पिटाई कर दी थी. 

घरेलू सहायक की भीड़ ने की पिटाई
एक व्यक्ति इसी इलाके में हाउसकीपिंग ऑपरेशन चलाता है. उसके साथ 30 लोग काम करते हैं. उसने कहा, "आज केवल चार लोग काम पर आए. एक स्टाफ को भीड़ ने बीच रास्ते रोक लिया और उसका नाम पूछा. इसके बाद भीड़ ने उसकी पिटाई कर दी. हमें खबर मिली, तो उसे यहां लेकर आए और इलाज कराया. आज सुबह ही उसे पैसे देकर बंगाल के लिए रवाना किया गया है."

'हमारी मदद करिए'
हाथ जोड़ते हुए एक शख्स ने कहा, "हम भी डरे हुए हैं. हम सड़क पर निकलेंगे और कोई हमें पीट देगा. हम कुछ नहीं कर सकते. हमारा गांव पश्चिम बंगाल में बहुत दूर है. अगर आप हमारी मदद कर सकते हैं, तो हम आभारी होंगे."

'हमारे पास खाने को भी पैसा नहीं'
वहीं, शमीम हुसैन की 40 वर्षीय मां सफिया ने कहा, "मंगलवार शाम 7 बजे के आसपास लगभग 60 लोग आए. उन्होंने हमसे बात नहीं की. उन्होंने मकान मालिक से बात की और उनसे कहा कि सभी मुसलमानों को चले जाने के लिए कहें. सभी लोग चले गए हैं. केवल 15 ही बचे हैं. यहां 100 से अधिक परिवार रहते थे. हम नहीं जा सकते, क्योंकि हमारे पास किराया और खाने के लिए पैसे नहीं है."

अपने घर पर NDTV से बात करते हुए शमीम हुसैन ने कहा- "मुझे रोजगार की तलाश में बंगाल से गुरुग्राम आए केवल सात दिन हुए हैं. मेरे एक साल के बेटे का नाम अलीशान है. हिंसा के बाद से मैं डर गया हूं. मुझे डर है कि वो लोग आएंगे और मुझे और मेरी पत्नी को पीटेंगे. मेरा बेटा यह देखकर रोएगा. हम पश्चिम बंगाल वापस नहीं जा सकते, क्योंकि हमारे पास गांव में भी पैसे नहीं हैं. हम कैसे जिंदा रहेंगे.”

क्या कहते हैं गुरुग्राम के डिप्टी कमिश्नर?
गुरुग्राम के डिप्टी कमिश्नर निशांत यादव ने कहा, "हमें कुछ खबरें मिली हैं कि प्रवासी श्रमिकों को अपना कमरा खाली करने के लिए कहा जा रहा है. हमने जिला और पुलिस अधिकारियों को मौके पर भेजा है. हम विश्वास बहाली के उपाय कर रहे हैं. मैं उन्हें सुरक्षा का आश्वासन देना चाहता हूं. संवेदनशील इलाकों में रात भर पुलिस फोर्स की तैनाती रहेगी." 

बता दें कि दिल्ली से करीब 80 किलोमीटर दूर हरियाणा के नूंह में सोमवार को विश्व हिंदू परिषद के एक शोभायात्रा के दौरान हिंसा भड़की थी. दंगे के बाद सोमवार से अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है. हिंसा देखते ही देखते नूंह के अलावा पलवल, मेवात, गुरुग्राम, फरीदाबाद में भी फैल गई.

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