
भारतीय वायुसेना ने हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान पर की गई अपनी कार्रवाई का विस्तृत ब्यौरा जारी कर दिया है, जिससे पाकिस्तान की सेना और सरकार के झूठ की पोल खुल गई है. वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने पहली बार आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार किया है कि इस ऑपरेशन में पाकिस्तान के पांच लड़ाकू विमानों और एक बड़े विमान को मार गिराया गया है. यह खुलासा ऐसे समय में हुआ है जब पाकिस्तान इस नुकसान को छिपाने की भरसक कोशिश कर रहा है, जबकि भारत में कुछ विपक्षी नेता ऑपरेशन की सफलता पर सवाल उठा रहे थे.
'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता और 'बालाकोट का भूत'
वायुसेना प्रमुख अमर प्रीत सिंह ने 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता के पीछे भारत की 'स्पष्ट राजनीतिक इच्छाशक्ति' को प्रमुख कारण बताया. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने सेना को पूरी तरह से काम करने की आजादी दी थी और कोई पाबंदी नहीं लगाई गई थी. यह बात उन्होंने उन आलोचकों को जवाब देते हुए कही जो सरकार पर पाकिस्तान पर दबाव कम करने का आरोप लगा रहे थे. सिंह ने स्पष्ट किया कि युद्ध के नियम और कार्रवाई की सीमाएं सेना ने खुद तय की थीं, ताकि हालात काबू में रहें और गैर-जरूरी नुकसान से बचा जा सके.

सिंह ने यह भी कहा कि इस बार भारतीय वायुसेना 'बालाकोट के उस भूत' से निपटने में कामयाब रही. उनका इशारा बालाकोट हवाई हमले की तरफ था, जब भारत ने जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर हमला किया था, लेकिन उस हमले के बाद कोई पुख्ता तस्वीरें या वीडियो उपलब्ध न होने के कारण विपक्ष ने सवाल उठाए थे. 'ऑपरेशन सिंदूर' में हालांकि वायुसेना ने वीडियो और तस्वीरें जारी करके जनता को अपनी सफलता के बारे में आश्वस्त किया है.
पाक के 5 लड़ाकू विमान और 1 बड़ा विमान ध्वस्त
सिंह ने बताया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान के भीतर 300 किलोमीटर की दूरी से हमला किया, जिसमें पांच लड़ाकू विमानों और एक बड़े विमान को निशाना बनाया गया. उन्होंने कहा कि यह भारत द्वारा सतह से हवा में मार गिराने का अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है. उन्होंने यह भी पुष्टि की कि कम से कम एक AWAC (एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम) विमान को भी नुकसान पहुंचा है, जिसे AWAC हैंगर में निशाना बनाया गया था.

इसके अलावा, इस ऑपरेशन में पाकिस्तान के कई मानवरहित हवाई वाहन (UAV) और मिसाइलें भी भारतीय क्षेत्र में गिरीं, लेकिन इनसे भारत के प्रतिष्ठानों को कोई नुकसान नहीं हुआ. सिंह ने बताया कि हमने सरगोधा एयरबेस पर भी हमला किया, जहां हमें F-16 विमानों के होने की पक्की जानकारी मिली थी. उन्होंने कहा कि हर सैनिक इस तरह के मौके का सपना देखता है और उन्हें अपनी सेवानिवृत्ति से पहले यह मौका मिला.
रणनीति और सबक: युद्ध का उद्देश्य और उसकी समाप्ति
वायुसेना प्रमुख ने युद्ध की समाप्ति के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि युद्ध को लगातार जारी रखने के बजाय, लक्ष्य हासिल होने पर उसे रोकने के सभी अवसरों का लाभ उठाना चाहिए. 'ऑपरेशन सिंदूर' का मुख्य उद्देश्य आतंकवादियों को ऐसा सबक सिखाना था कि वे कुछ भी करने से पहले दो बार सोचें. सिंह ने कहा कि एक बार जब यह उद्देश्य पूरा हो गया, तो इसे जारी रखने के बजाय, इसे समाप्त करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि उस रात हमारी सेना का मनोबल बहुत ऊंचा था, और कई लोगों ने कहा कि 'और मारना था', लेकिन हमें परिपक्वता दिखानी थी.

इस अभियान से भारतीय वायुसेना को कई महत्वपूर्ण सबक मिले. सिंह ने कहा कि सबसे बड़ी सीख यह है कि हवाई युद्ध की प्रधानता एक बार फिर साबित हुई है. हवाई युद्ध किसी भी देश की पहली प्रतिक्रिया है क्योंकि यह त्वरित, सटीक और अनावश्यक नुकसान के बिना अपने उद्देश्य को हासिल कर सकता है. उन्होंने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के पद के महत्व को भी उजागर किया, जिससे विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय बेहतर हुआ. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की भूमिका की भी उन्होंने प्रशंसा की.
एस-400 सिस्टम का असर
सिंह ने बताया कि हाल ही में खरीदी गई एस-400 वायु रक्षा प्रणाली ने इस ऑपरेशन में गेम-चेंजर का काम किया. इस प्रणाली की लंबी रेंज के कारण पाकिस्तान के विमान भारतीय रक्षा प्रणाली से दूर रहे और वे उसे भेद नहीं पाए. इस तकनीकी श्रेष्ठता ने भारत को पाकिस्तान पर बढ़त दिलाई.
वायुसेना चीफ के बयानों के बाद सोशल मीडिया पर भी लोग पाकिस्तानी सेना प्रमुख की खिंचाई कर रहे हैं. कई फेसबुक पोस्ट्स में पाकिस्तानी सेना की भद पिटती नजर आ रही है. एक पोस्ट में कहा गया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान हुए नुकसान पर पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल मुनीर की चुप्पी और भारत सरकार के इस खुलासे ने पाकिस्तान की कमजोर स्थिति को उजागर कर दिया है. वहीं एक यूजर ने कमेंट किया कि पाकिस्तान को अब अपने लोगों को यह जवाब देना होगा कि इस ऑपरेशन में उसका कितना नुकसान हुआ है और क्यों उसकी वायुसेना भारतीय हमले को रोकने में नाकाम रही.
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