पीडीपी के प्रवक्ता नईम अख्तर
श्रीनगर:
महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के प्रवक्ता नईम अख्तर ने राज्य में गठबंधन को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को कड़ा संदेश दे दिया है। अख्तर ने दोटूक लहजे में कहा है कि जम्मू-कश्मीर में गठबंधन जारी रखने को लेकर उनकी पार्टी पिछले साल तय किए गए एजेंडे पर पुख्ता कार्यवाही चाहती है।
एजेंडे का क्रियान्वयन किया जाए
स्वर्गीय मुफ्ती मोहम्मद सईद और महबूबा के वफादार सहयोगी अख्तर ने NDTV के साथ बातचीत में कहा, 'एक एजेंडा तय किया था। इसका क्रियान्वयन किया जाना चाहिए।' उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी इस बात की समीक्षा कर रही है कि जम्मू-कश्मीर को लेकर पीएम और मुफ्ती साहब के साझा विचार को कितना आगे बढ़ाया गया है।गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में इस समय अस्थायी तौर पर राष्ट्रपति शासन लागू है क्योंकि पीडीपी की ओर से मुफ्ती मोहम्मद के स्थान पर मुख्यमंत्री पद के लिए चुनी गईं महबूबा ने फिलहाल शपथ लेने से इनकार कर दिया है। हालांकि पीडीपी ने इस देर का कारण नहीं बताया है। राज्य में सात दिन का शोक बुधवार को समाप्त हुआ है।
अभी पार्टी की बैठक नहीं हुई
नईम अख्तर ने कहा कि 58 वर्षीय महबूबा ने सरकार के गठन को लेकर अभी पार्टी की बैठक नहीं बुलाई है। पिछले साल समझौते को लेकर कई सप्ताह तक चले बातचीत के दौर के बाद उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद और विचारधारा के मामले में इससे लगभग उलट बीजेपी के बीच गठबंधन को लेकर सहमति बनी थी। यह सहमति 'गठबंधन के एजेंडे' पर आधारित थी।
वैसे, बीजेपी ने नईम अख्तर के संदेश को उनका व्यक्तिगत विचार बताते हुए खारिज कर दिया है। एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, 'यह पीडीपी अथवा महबूबा के विचार नहीं है। कुछ लोगों का अपना अलग एजेंडा है। हमें कल की औपचारिक बैठक का इंतजार करना चाहिए। मुझे यकीन है कि ये लोग खुद महबूबा द्वारा 'नजरअंदाज' कर दिए जाएंगे।'
आसान नहीं था पीडीपी-बीजेपी गठबंधन
सियासी तौर पर देखें तो पीडीपी-बीजेपी गठबंधन को आसान नहीं माना जा सकता। कई मुद्दों पर इन दोनों पार्टियों का स्टेंड एकदम अलग रहा है। नईम ने कहा, 'मुफ्ती साहब का कद ऐसा था कि वे इसे आसानी से जज्ब कर लेते थे। पीडीपी के सामने अब सवाल यह है कि उनके जैसे कद्दावर नेता की गैरमौजूदगी में क्या हम सीधे जाकर इन्हीं सब चीजों के लिए मंत्रियों की कुर्सी में जाकर बैठें?' जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश मिला था।
पीडीपी ने जीती थीं सर्वाधिक 28 सीटें
पीडीपी ने राज्य में सर्वाधिक 28 सीटें जीती थीं। यह संख्या बहुमत के लिए जरूरी 44 से काफी कम थी। इसलिए पीडीपी ने राज्य की पार्टी नंबर दो, बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हाल ही में श्रीनगर जाकर महबूबा से मुलाकात की थी। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस प्रमुख संवेदना व्यक्त करने के लिए महबूबा से मिली थीं लेकिन इसके बाद पीडीपी के बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है।
एजेंडे का क्रियान्वयन किया जाए
स्वर्गीय मुफ्ती मोहम्मद सईद और महबूबा के वफादार सहयोगी अख्तर ने NDTV के साथ बातचीत में कहा, 'एक एजेंडा तय किया था। इसका क्रियान्वयन किया जाना चाहिए।' उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी इस बात की समीक्षा कर रही है कि जम्मू-कश्मीर को लेकर पीएम और मुफ्ती साहब के साझा विचार को कितना आगे बढ़ाया गया है।गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में इस समय अस्थायी तौर पर राष्ट्रपति शासन लागू है क्योंकि पीडीपी की ओर से मुफ्ती मोहम्मद के स्थान पर मुख्यमंत्री पद के लिए चुनी गईं महबूबा ने फिलहाल शपथ लेने से इनकार कर दिया है। हालांकि पीडीपी ने इस देर का कारण नहीं बताया है। राज्य में सात दिन का शोक बुधवार को समाप्त हुआ है।
अभी पार्टी की बैठक नहीं हुई
नईम अख्तर ने कहा कि 58 वर्षीय महबूबा ने सरकार के गठन को लेकर अभी पार्टी की बैठक नहीं बुलाई है। पिछले साल समझौते को लेकर कई सप्ताह तक चले बातचीत के दौर के बाद उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद और विचारधारा के मामले में इससे लगभग उलट बीजेपी के बीच गठबंधन को लेकर सहमति बनी थी। यह सहमति 'गठबंधन के एजेंडे' पर आधारित थी।
वैसे, बीजेपी ने नईम अख्तर के संदेश को उनका व्यक्तिगत विचार बताते हुए खारिज कर दिया है। एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, 'यह पीडीपी अथवा महबूबा के विचार नहीं है। कुछ लोगों का अपना अलग एजेंडा है। हमें कल की औपचारिक बैठक का इंतजार करना चाहिए। मुझे यकीन है कि ये लोग खुद महबूबा द्वारा 'नजरअंदाज' कर दिए जाएंगे।'
आसान नहीं था पीडीपी-बीजेपी गठबंधन
सियासी तौर पर देखें तो पीडीपी-बीजेपी गठबंधन को आसान नहीं माना जा सकता। कई मुद्दों पर इन दोनों पार्टियों का स्टेंड एकदम अलग रहा है। नईम ने कहा, 'मुफ्ती साहब का कद ऐसा था कि वे इसे आसानी से जज्ब कर लेते थे। पीडीपी के सामने अब सवाल यह है कि उनके जैसे कद्दावर नेता की गैरमौजूदगी में क्या हम सीधे जाकर इन्हीं सब चीजों के लिए मंत्रियों की कुर्सी में जाकर बैठें?' जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश मिला था।
पीडीपी ने जीती थीं सर्वाधिक 28 सीटें
पीडीपी ने राज्य में सर्वाधिक 28 सीटें जीती थीं। यह संख्या बहुमत के लिए जरूरी 44 से काफी कम थी। इसलिए पीडीपी ने राज्य की पार्टी नंबर दो, बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हाल ही में श्रीनगर जाकर महबूबा से मुलाकात की थी। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस प्रमुख संवेदना व्यक्त करने के लिए महबूबा से मिली थीं लेकिन इसके बाद पीडीपी के बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है।
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