
- यूपी बीजेपी में विभिन्न जातीय समाजों की बैठकों के जरिए संगठन और सरकार में हिस्सेदारी बढ़ाने की तैयारी.
- ठाकुर बिरादरी के विधायक और मंत्री डिनर पार्टी और भोज के माध्यम से अपनी राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं.
- कुर्मी समाज के कई विधायक भी अपनी ताकत दिखाने के लिए बैठक कर रहे हैं और अध्यक्ष पद की दावेदारी कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश (यूपी) बीजेपी में इन दिनों बैठकों के जरिए शक्ति प्रदर्शन का दौर जारी है. पहले नोनियां चौहान समाज की मीटिंग, फिर ठाकुर विधायकों की डिनर पार्टी और उसके तुरंत बाद कुर्मी समाज की बैठक. बीते दिनों उमा भारती के नेतृत्व में लोधी बिरादरी के नेताओं ने अपना दम दिखाया. यूपी की सत्ता से लेकर बीजेपी संगठन में सब अपनी बढ़ी हुई हिस्सेदारी चाहते हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव से लेकर योगी मंत्रिमंडल का विस्तार होना है. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने आज डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से उनके घर पर जाकर मुलाकात की.
मुलाकात हुई तो क्या बात हुई !
कहा जा रहा है कि ये शिष्टाचार भेंट थी. वैसे दोनों नेता यूपी में योगी विरोधी गुट के माने जाते हैं. यूपी बीजेपी में इन दिनों जाति का जोर है. जाति के दम पर सब अपनी-अपनी गोटी सेट करने में जुटे हैं. इसलिए जाति के नाम पर बैठकों का दौर जारी है. सरकार से लेकर बीजेपी संगठन में संख्या के हिसाब से सबकी तैयारी अपनी भागीदारी बढ़ाने की है. बीजेपी के ठाकुर बिरादरी के विधायक और मंत्री 11 अगस्त को लखनऊ में डिनर पार्टी पर मिले. अगले दिन यानी 12 अगस्त को भी पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने ठाकुर राजपूत नेताओं को भोज दिया. ये सब हुआ कुटुंब परिवार के बैनर तले.
अखिलेश उठा ले जाएंगे फायदा!
यूपी में करीब 7 प्रतिशत ठाकुर वोटर हैं. इस बिरादरी के 49 विधायक हैं जिनमें 43 तो बीजेपी से हैं. इसी तरह यूपी से 6 ठाकुर सांसद हैं. इनमें से 5 बीजेपी और समाजवादी पार्टी से एक एमपी है. सीएम योगी के अलावा उनके मंत्रिमंडल में आठ ठाकुर मंत्री है. केंद्र में राजनाथ सिंह रक्षा मंत्री हैं. कीर्ति वर्धन सिंह भी राज्य मंत्री हैं. एक अनुमान के मुताबिक विधानसभा की 94 और लोकसभा की 23 सीटों पर राजपूत वोटरों का दबदबा है.
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इसी समाज से आते हैं. हमेशा इस बात के आरोप लगते रहे हैं कि बीजेपी में दिल्ली और लखनऊ में सब कुछ ठीक नहीं है. इसीलिए ठाकुर बिरादरी के विधायकों ने बैठक कर इशारों ही इशारों में यह संदेश दे दिया है. समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव तो बीजेपी के खिलाफ पिछड़ा और दलित विरोधी माहौल बनाने में जुटे हैं.
अखिलेश यादव के अनुसार यह जानबूझकर पिछड़ों का वोट काटते हैं, इसमें बिंद, मौर्य, पाल, राठौर समाज सब शामिल हैं और दिखावा करते हैं कि पिछड़ा वोट मिल रहा है. पिछड़ों का वोट काट देते हैं लिस्ट से और आप चुनाव जीत लेते हैं. जबकि सच्चाई यह है कि उनका वोट डिलीट हो रहा है.
कुर्मी समाज ने भी की मीटिंग
ठाकुर विधायकों की बैठक के अगले ही दिन बीजेपी के कुर्मी समाज के कई विधायक एक कार्यक्रम में जुटे. सहयोगी पार्टी अपना दल के आशीष पटेल और योगी सरकार में मंत्री राकेश सचान समेत कई विधायक मौजूद रहे. कार्यक्रम सरदार पटेल के नाम पर था लेकिन असली मकसद तो अपनी ताकत दिखाने का था. यूपी में कुर्मी समाज के 38 विधायक हैं. इसमें 34 बीजेपी से और 4 विधायक समाजवादी पार्टी के हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में इस जाति के वोटरों के एक बड़े हिस्से ने बीजेपी को छोड़कर समाजवादी पार्टी का साथ दिया.
उमा भारती का बड़ा बयान
यूपी में बीजेपी के कुर्मी बिरादरी के नेता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी चाहते हैं. सबसे बड़े दावेदार सीएम योगी के सबसे करीबी मंत्री स्वतंत्र देव सिंह हैं. यूपी में करीब 10 प्रतिशत कुर्मी वोटर हैं. गैर यादव OBC में कुर्मी के बाद सबसे मजबूत दावेदारी लोध राजपूतों की है. शनिवार को बरेली में अवंति लोधी बाई की मूर्ति के उद्घाटन के बहाने बीजेपी में लोध बिरादरी के सभी बड़े नेता एक मंच पर जुटे. इसी समाज से कल्याण सिंह यूपी में और उमा भारती एमपी में मुख्यमंत्री बनीं. उमा ने कहा जब बीजेपी को कोई OBC वोट नहीं करता था तब लोध राजपूतों ने पार्टी का साथ दिया.
पूजा पाल बनेंगी मंत्री?
समाजवादी पार्टी से बाहर की गई विधायक पूजा पाल भी OBC राजनीति के बहाने मंत्री बनने की रेस में हैं. यूपी सरकार में उनकी बिरादरी का कोई मंत्री नहीं है. योगी आदित्यनाथ बंटेंगे तो कटेंगे के नारे के साथ हिंदुत्व की पिच पर डटे हैं. डेढ़ साल बाद यूपी में विेधानसभा चुनाव है. अखिलेश यादव के पीडीए की हवा निकालने के लिए बीजेपी में पिछड़ों और दलितों को ताक़त देने की चर्चा हैं. इसलिए जाति के आधार पर गोलबंदी तेज़ हो गई है. वहीं इस बात का भी डर है कि आपसी वर्चस्व की लड़ाई में कहीं बीजेपी का नुकसान न हो जाए.
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