
परियोजना के लिए प्रस्ताव अनुरोध अंतिम चरणों में है और इसपर सीडैक, पुणे काम कर रहा है. ..
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
परियोजना के लिए प्रस्ताव अनुरोध अंतिम चरणों में है
सरकार की योजना सटीक कंप्यूटरों को देश भर में उपलब्ध करवाना है
योजना 'पहले चरण में छह सुपरकंप्यूटर पाने' की है
परियोजना के लिए प्रस्ताव अनुरोध अंतिम चरणों में है और इसपर सीडैक, पुणे काम कर रहा है. यह संस्थान इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत आने वाला अनुसंधान एवं विकास संस्थान है. एनएसएम का ध्येय तीन चरणों में लगभग 50 सुपरकंप्यूटर तैयार करने का है. सरकार की योजना इन सटीक कंप्यूटरों को देश भर में वैज्ञानिक अनुसंधानों के लिए उपलब्ध करवाना है. परियोजना की देखरेख कर रहे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक मिलिंद कुलकर्णी ने कहा कि योजना 'पहले चरण में छह सुपरकंप्यूटर पाने' की है.
ये भी पढ़ें
विशेषज्ञों ने 'मेक इन इंडिया' अभियान की सफलता पर उठाए सवाल, कहा- नई आया एफडीआई
राहुल का पीएम पर निशाना, कहा- चूहे की आवाज भी नहीं निकालता 'मेक इन इंडिया' का बब्बर शेर
पहले चरण में तीन सुपर कंप्यूटर आयात किए जाएंगे. शेष तीन सुपर कंप्यूटरों के हिस्सों का निर्माण विदेश में किया जाएगा लेकिन उन्हें जोड़ा भारत में जाएगा. सिस्टम के समग्र डिजाइन की जिम्मेदारी सीडैक पर होगी. दो सुपरकंप्यूटरों की क्षमता शीर्ष 2 पेटाफ्लॉप्स की होगी जबकि शेष सुपर कंप्यूटरों की क्षमता 500 टेराफ्लॉप्स की होगी. फ्लोटिंग प्वाइंट ऑपरेशन्स पर सेकेंड (फ्लॉप्स) गणनात्मक क्षमता को मापने की एक मानक इकाई है.
इन छह सुपर कंप्यूटरों को चार आईआईटी- बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, कानपुर, खड़गपुर और हैदराबाद में लगाया जाएगा. शेष दो को पुणे के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च और बेंगलूरू के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में लगाया जाएगा.
वीडियो
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव आशुतोष शर्मा ने कहा, "इन्हें इस साल के अंत तक हासिल कर लेने का लक्ष्य है." दूसरे चरण में उच्च गति इंटरनेट स्विच, कंप्यूट नोड और नेटवर्क सिस्टमों का निर्माण भारत में होगा. कुलकर्णी ने कहा कि तीसरे चरण में लगभग पूरा सिस्टम भारत में बनाया जाएगा. भारत ने वर्ष 1988 में अपना खुद का सुपरकंप्यूटिंग मिशन शुरू किया था. इसमें प्रथम श्रेणी के परम कंप्यूटर बनाए गए थे. यह मिशन 10 साल तक चला और वर्ष 2000 के बाद से परियोजना में कुछ खास प्रगति नहीं हुई है. इस समय भारत के विभिन्न संस्थानों में लगभग 25 सुपरकंप्यूटर हैं.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं