CBI और ED निदेशकों का कार्यकाल बढ़ाने के अध्यादेश के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा सुप्रीम पहुंच गई हैं. उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशकों के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने की अनुमति देने वाले केंद्र के अध्यादेशों को चुनौती दी है.उन्होंने दावा किया है कि यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के खिलाफ हैं. महुआ मोइत्रा ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय के निदेशकों के कार्यकाल को बढ़ाने के केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. उनका तर्क है कि यह एजेंसियों की जांच की निष्पक्षता पर हमला है.
Top court specifically said Mishra tenure cannot be extended. Yet Nov 14th ordinance used on Nov 17th to extend yet again.
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) November 17, 2021
What dirty work is Mishraji doing for his masters that makes him so indispensible? Just asking. pic.twitter.com/cIO2a39FdL
दो केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों का कार्यकाल दो साल का था जिसे अब पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है. दो साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद उन्हें एक-एक साल के तीन एक्सटेंशन दिए जा सकते हैं. इससे पहले आज ईडी के निदेशक संजय कुमार मिश्रा, जो कल सेवानिवृत्त होने वाले थे, को एक साल का सेवा विस्तार दिया गया.
महुआ मोइत्रा ने अपनी याचिका में कहा है कि केंद्र के अध्यादेश "सीबीआई और ईडी की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर हमला करते हैं" और केंद्र को "उन निदेशकों को चुनने और चुनने का अधिकार देते हैं जो कार्यकाल के विस्तार के प्रयोजनों के लिए सरकार की प्राथमिकताओं के अनुरूप कार्य करते हैं."
याचिका में कहा गया है कि अध्यादेश "केंद्र सरकार को 'जनहित' में इन निदेशकों के कार्यकाल को बढ़ाने की शक्ति का उपयोग करके मौजूदा ईडी निदेशक या सीबीआई निदेशक को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने की अनुमति देता है."
My petition just filed in Supreme Court challenging Union Ordinances on extension to CBI & ED Director tenures being contrary to SC own judgements
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) November 17, 2021
याचिका में कहा गया है कि अध्यादेश निष्पक्ष जांच और निष्पक्ष सुनवाई के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं, जैसा कि संविधान में समानता के अधिकार और जीवन के अधिकार के तहत निहित है.
याचिका में केंद्र के अध्यादेशों की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी गई है. इसमें कहा गया है कि यह सितंबर में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत है.
ईडी के निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल के विस्तार के खिलाफ एनजीओ कॉमन कॉज द्वारा दायर एक याचिका पर 8 सितंबर को अपने फैसले में कोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले को उनके नियुक्ति आदेश में पूर्वव्यापी परिवर्तन करने के फैसले को बरकरार रखा था जिसके द्वारा उनका कार्यकाल दो साल से तीन साल तक बढ़ाया गया था. लेकिन जस्टिस एल नागेश्वर राव और बीआर गवई की पीठ ने कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक का कार्यकाल "दुर्लभ और असाधारण मामलों" को छोड़कर "छोटी अवधि" के लिए उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख से आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है.
महुआ मोइत्रा ने अपनी याचिका में कहा है कि केंद्र के अध्यादेश निर्णय में निर्धारित "छोटी अवधि" और "दुर्लभ मामलों" के मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं और केंद्र एक अध्यादेश जारी करके सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को रद्द नहीं कर सकता है.
अध्यादेशों की विपक्ष ने कड़ी आलोचना की है. विपक्ष ने बार-बार आरोप लगाया है कि केंद्र अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को परेशान करने के लिए जांच एजेंसियों का उपयोग कर रहा है.
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