
- महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में पहली बार मकोका के तहत आपराधिक गिरोह के सात सदस्यों पर कार्रवाई की गई है.
- राजया नागेश वाल्वी और उमदया पडवी के गिरोह पर घातक हथियार रखने, डकैती, हत्या के प्रयास और घर में सेंधमारी जैसे अपराध शामिल हैं.
- इस गिरोह ने नंदुरबार और गुजरात में संगठित तरीके से अपराध कर जनता में आतंक फैलाया और पहले भी कानूनी कार्यवाही हो चुकी है.
महाराष्ट्र की नंदुरबार पुलिस ने जिले में मकोका (महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम, 1999) के तहत पहली बार कार्रवाई की है. राजया नागेश वाल्वी और उमदया पडवी के आपराधिक गिरोह के सात सदस्यों पर मामला दर्ज किया गया है. ये गिरोह नंदुरबार और गुजरात में कई गंभीर अपराधों में शामिल है, जिनमें शामिल हैं:
- घातक हथियार रखना
- जनता में डर पैदा करना
- डकैती
- हत्या का प्रयास
- घर में सेंधमारी
- हमला और धमकियां देना
संगठन पर पहले भी हो चुकी है कानूनी कार्यवाई
ये गिरोह अपनी ताकत दिखाने और आतंक फैलाने के लिए संगठित तरीके से क्राइम करता था. इससे पहले भी संगठन के सदस्यों के ऊपर कानूनी कार्यवाई हो चुकी है. पहले के मामलों में जमानत मिलने के बावजूद, आरोपियों ने कानून को अनदेखा कर फिर से आपराधिक गतिविधियां जारी रखीं. इसी वजह और जनता की सुरक्षा के लिए पुलिस ने आपराधिक गिरोह पर मकोका लगाया है.
मकोका क्या है?
मकोका को संगठित अपराध, अंडरवर्ल्ड गतिविधियों को रोकने के लिए बनाया गया है. ये कानून महाराष्ट्र में साल 1999 और साल 2002 में दिल्ली में लागू किया गया था. मकोका के जरिए वसूली, किडनैपिंग, मर्डर, नशीले पदार्थों की तस्करी जैसे अपराधों में शामिल लोगों पर मुकदमा चलाया जाता है. इस कानून में जमानत मिलना बेहद मुश्किल है, साथ ही चार्जशीट दायर करने के लिए पुलिस को 180 दिन का समय मिलता है. इस कानून के तहत सुनवाई मकोका अदालतों में ही होती है.
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