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This Article is From May 19, 2023

"क्या हम कीड़े मकोड़े हैं? हमें भी तो साफ पानी चाहिए" : महाराष्ट्र के नासिक में पानी के संकट से त्रस्त बच्ची का दर्द

पिंट गांव में महिलाएं जान जोखिम में डालकर गहरे कुएं के चारों तरफ़ खड़े होकर पानी निकालती हैं. महिलाओं को पीने का पानी लाने के लिए घर से काफी दूर जाना पड़ता है और लंबी कतार में लगना पड़ता है.

मुंबई:

देश के जिन लोगों को अपने घरों में साफ और पर्याप्त पानी मिलता है, उनमें से बहुत से लोगों को उस पानी की कीमत पता नहीं होती है. वहीं कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्हें पानी के कुछ घड़ों के लिए मीलों सफर करना पड़ता है. वो पानी की कीमत भी जानते हैं और पानी के नहीं होने का दर्द भी आम लोगों की अपेक्षा कुछ ज्यादा महसूस करते हैं. महाराष्ट्र में नासिक के कई गांव पीने के पानी की किल्लत का सामना कर रहे हैं. यहां से जो तस्वीरें सामने आई हैं, उन्हें देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस हद तक गांवों में पानी का संकट है. 

पिंट गांव में महिलाएं जान जोखिम में डालकर गहरे कुएं के चारों तरफ़ खड़े होकर पानी निकालती हैं. महिलाओं को पीने का पानी लाने के लिए घर से काफी दूर जाना पड़ता है और लंबी कतार में लगना पड़ता है. सबसे ज्यादा जो गांव इस समस्या से जूझ रहा है वो है वेलपाड़ा गांव. यहां की सरपंच ने कहा है कि प्रशासन इस पर ध्यान दे और पानी की किल्लत दूर करे. कई सालों से पानी की इस समस्या से नासिक के कई गांव जूझ रहे हैं. 

'यहां ऐसा पानी क्यों मिलता है?'
एक बच्ची ने बताया कि मेरे माता-पिता काम पर जाते हैं और सब जिम्मेदारी मुझ पर आती है. ऐसे में मुझे पानी भरने आना पड़ता है. इसके कारण मेरे एग्जाम भी रह जाते हैं और मेरी पढ़ाई भी नहीं होती है. इसके साथ ही उस बच्ची ने कहा कि हमारे यहां खराब पानी पीना पड़ता है. साथ ही उसने कहा कि हमारे इधर ऐसा पानी क्यों मिलता है? क्या हम कीड़े-मकोड़े हैं? हम भी इंसान हैं, हमें भी अच्छा पानी मिलना चाहिए. 

पानी, मगर रंग पानी सा नहीं 
बच्ची ने जिस खराब पानी की ओर इशारा किया है, उसका रंग आपको पानी जैसा नहीं लगेगा. कुएं से जो पानी लोग अपनी जान जोखिम में डालकर निकाल रहे हैं, उसका रंग बिलकुल पीला है. 

'पानी की समस्या बड़ी और पुरानी है'
महाराष्ट्र विधायी परिषद के सदस्य श्रीकांत तारा पंडित से जब इस बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि शासन और प्रशासन की ओर से जो जल मिशन चल रहा है, वो ईमानदारी और प्रामाणिकता से चल रहा है. उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि सालों से इस विषय को लेकर जिस प्रकार की संवेदनशीलता पुराने लोगों के शासन में रहनी चाहिए थी, वो नहीं रही है. पानी की समस्या सच में बड़ी है और पुरानी है. शासन और प्रशासन मिलकर हम सारी समस्याओं का समाधान ढूंढने निकले हैं. 

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