मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बुलडोजर ड्राइव के खिलाफ एक जनहित याचिका खारिज कर दी है. मुख्य न्यायाधीश आर वी मलीमठ और न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कौरव की खंडपीठ ने कहा कि अगर कुछ लोगों के सभी घरों को तोड़ा जाता है तो उन्हें अपनी और अपनी संपत्ति की रक्षा करने का कानूनी अधिकार है.
याचिकाकर्ता अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने कहा कि राज्य के कई हिस्सों में प्रशासन और पुलिस द्वारा अपराधियों के घरों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है. उन्होंने इंदौर, भोपाल, उज्जैन, खरगोन और कुछ अन्य स्थानों पर घरों को बुलडोजर से गिराने की मीडिया रिपोर्टों का हवाला दिया, लेकिन अदालत ने अपने आदेश में कहा, "विवादों और दलीलों पर विचार करने पर हमारा विचार है कि इस याचिका को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करना उचित नहीं है.
कोर्ट ने कहा कि भले ही याचिकाकर्ता के मामले को स्वीकार कर लिया जाए कि कुछ व्यक्तियों के कुछ घरों को ध्वस्त कर दिया गया है, उन व्यक्तियों को कानून के लिए ज्ञात तरीके से अपनी और अपनी संपत्तियों की रक्षा करने का कानूनी अधिकार है. हमें याचिकाकर्ता का उन व्यक्तियों के साथ किसी तरह का कोई संबंध नहीं दिखता जिनकी संपत्ति को तोड़ा गया है. इसलिए यह उनके लिए हो सकता है जो पीड़ित हैं, इसलिए हम वर्तमान याचिकाकर्ता की ओर से इस याचिका पर विचार नहीं कर सकते और इसे खारिज किया जाता है.
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